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कैबिनेट ने असम और त्रिपुरा के लिए विद्यमान केंद्रीय क्षेत्र विशेष विकास पैकेज (एसडीपी) योजना के अंतर्गत 4,250 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ चार नए घटकों को अनुमति दी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने असम और त्रिपुरा के लिए विद्यमान केंद्रीय क्षेत्र विशेष विकास पैकेज (एसडीपी) योजना के अंतर्गत 4,250 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ चार नए घटकों को अनुमति दी है।

विवरण:

• भारत सरकार और असम सरकार द्वारा असम के जनजातीय समूहों के साथ हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन (एमओएस) के अनुसार असम के जनजाति बहुल गाँवों/क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे के विकास के लिए 500 करोड़ रुपये।

• भारत सरकार और असम सरकार द्वारा असम के दिमासा नेशनल लिबरेशन आर्मी (डीएनएलए)/दिमासा पीपुल्स सुप्रीम काउंसिल (डीपीएसी) समूहों के साथ समझौता ज्ञापन के अनुसार, असम के दिमासा नेशनल लिबरेशन आर्मी/दिमासा पीपुल्स सुप्रीम काउंसिल के बसे हुए गाँवों/क्षेत्रों के उत्तरी कैचर हिल्स स्वायत्त परिषद (एनसीएचएसी) क्षेत्र में बुनियादी ढाँचे के विकास के लिए 500 करोड़ रुपये।

• भारत सरकार और असम सरकार द्वारा असम के उल्फा समूहों के साथ समझौता ज्ञापन के अनुसार, असम राज्य में बुनियादी ढाँचे के विकास के लिए 3,000 करोड़ रुपये।

• भारत सरकार और त्रिपुरा सरकार द्वारा त्रिपुरा के नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (एनएलएफटी) और ऑल त्रिपुरा टाइगर फोर्स (एटीटीएफ) समूहों के साथ समझौता ज्ञापन के अनुसार, त्रिपुरा के जनजातियों के विकास के लिए 250 करोड़ रुपये।

वित्तीय पहलू:

प्रस्तावित चार नए घटकों का कुल परिव्यय 7,250 करोड़ रुपये होगा, जिसमें से 4,250 करोड़ रुपये असम (4000 करोड़ रुपये) और त्रिपुरा (250 करोड़ रुपये) के लिए विशेष विकास पैकेजों की विद्यमान केंद्रीय क्षेत्र योजना के अंतर्गत प्रदान किए जाएँगे, और शेष 3,000 करोड़ रुपये असम राज्य सरकार द्वारा अपने संसाधनों से प्रदान किए जाएँगे।

भारत सरकार, असम और त्रिपुरा की राज्य सरकारों और संबंधित राज्य के जातीय समूहों के बीच समझौता ज्ञापन के अनुसार, 4,250 करोड़ रुपये में से, वित्तीय वर्ष 205-26 से 2029-30 तक पाँच वर्षों की अवधि के लिए 4,000 करोड़ रुपये का परिव्यय असम के तीन घटकों के लिए और वित्तीय वर्ष 2025-26 से 2028-29 तक चार वर्षों की अवधि के लिए 250 करोड़ रुपये का परिव्यय त्रिपुरा के एक घटक के लिए है।

रोज़गार सृजन क्षमता सहित प्रभाव:

• बुनियादी ढाँचा और आजीविका परियोजनाएँ रोज़गार सृजित करेंगी

• कौशल विकास, आय सृजन और स्थानीय उद्यमिता के माध्यम से युवाओं और महिलाओं को लाभान्वित करेंगी

• स्थिरता लाने और प्रभावित समुदायों के मुख्यधारा में सम्मिलित होने की उम्मीद है

लाभ:

यह योजना विशेष रूप से पूर्वोत्तर राज्यों असम और त्रिपुरा के लिए लक्षित है। यह निम्नलिखित माध्यमों से भागीदारी को प्रोत्साहन देगी:

– विभिन्न मौजूदा सरकारी योजनाओं से पर्याप्त लाभ प्राप्त नहीं करने वाले कमजोर और वंचित लोगों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार;

– युवाओं और महिलाओं के लिए आजीविका गतिविधियों के माध्यम से रोज़गार के अवसरों को प्रोत्साहन देना, स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करना, शिक्षा, कौशल और आय को प्रोत्साहन देना;

– देश के अन्य भागों से पर्यटकों की संख्या बढ़ाना, जिससे पूर्वोत्तर क्षेत्र के लोगों के लिए रोज़गार और आजीविका के अधिक अवसर सृजित होंगे।

इसके माध्यम से, असम के जनजाति और दिमासा समुदायों, असम के विभिन्न अन्य ज़िलों में रहने वाले लोगों और त्रिपुरा के जनजाति समुदायों के लाखों लोग लाभान्वित होंगे।

यह विशेष विकास पैकेजों की चल रही केंद्रीय क्षेत्र योजना के अंतर्गत एक नई पहल है। पिछले समझौता ज्ञापन -आधारित पैकेजों (जैसे, बोडो और कार्बी समूहों के लिए) ने शांति स्थापना और विकास में सकारात्मक परिणाम प्रदर्शित किए हैं।

पृष्ठभूमि:

भारत सरकार, असम और त्रिपुरा राज्य सरकार और संबंधित जातीय समूहों (आदिवासी समूह – 2022, डीएनएलए/डीपीएससी – 2023, उल्फा – 2023, एनएलएफटी/एटीटीएफ – 2024) के बीच समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए। इन समझौता ज्ञापनों का उद्देश्य बुनियादी ढाँचे और सामाजिक-आर्थिक परियोजनाओं के माध्यम से शांति, समावेशी विकास और पुनर्वास को प्रोत्साहन प्रदान करना है।

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