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CDS General Anil Chauhan said Jointness 2.0, developing joint culture in the armed forces, is the way forward.
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CDS जनरल अनिल चौहान ने कहा कि संयुक्तता 2.0, सशस्त्र बलों में संयुक्त संस्कृति विकसित कर रही है, जो आगे बढ़ने का रास्ता है

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने संयुक्त परिचालन संरचनाओं का निर्माण करने की दिशा में आगे बढ़ते हुए तीनों सेनाओं से एक संयुक्त संस्कृति का सृजन करने का आह्वान किया। आज नई दिल्ली में यूएसआई ऑफ इंडिया में आयोजित 22वें मेजर जनरल समीर सिन्हा स्‍मारक व्‍याख्‍यान के एक हिस्से के रूप में ‘ज्वाइंटमैनशिप: द वे अहेड’ विषय पर संबोधित करते हुए सीडीएस ने सशस्त्र बलों में संयुक्त संस्कृति विकसित करने को संयुक्तता 2.0 करार दिया, जो आगे बढ़ने का रास्ता है।

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ने कहा, जॉइंटनेस 1.0 सेवाओं के बीच बेहतर सद्भाव और आम सहमति के बारे में था और कोई बड़ा मतभेद भी नहीं था, इसलिए संयुक्तता के अगले स्तर की ओर बढ़ने की प्रेरणा ही संयुक्तता 2.0 है।

तीनों सेनाओं की विशिष्ट संस्कृति को मान्‍यता देते हुए सीडीएस ने इस बात पर जोर दिया कि सेवाओं में चौथी संस्कृति के सृजन की जरूरत है। यद्यपि संयुक्त संस्कृति सेवा विशिष्ट संस्कृति से भिन्न है, फिर भी प्रत्येक सेवा की विशिष्टता का सम्मान किए जाने की आवश्यकता है। सीडीएस ने कहा कि हमें प्रत्येक सेवा का सर्वश्रेष्ठ प्राप्त करने में सक्षम होना चाहिए और सबसे कम साझा भाजक के लिए समझौता करने की अपेक्षा उच्चतम सामान्य भाजक को शामिल करना चाहिए। उन्होंने सहजीवन की विभिन्न पहलों का उल्लेख किया, जिन्हें राष्ट्रीय कार्यक्रमों में तीनों सेनाओं की भागीदारी सहित संयुक्त संस्कृति को बढ़ावा देने की दिशा में आगे बढ़ाया जा रहा है।

सीडीएस ने कार्यात्मक एकीकृत थिएटर कमान के निर्माण के लिए संयुक्तता और एकीकरण को पूर्व-आवश्यकता बताया और ऐसे कमान के महत्व के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस तरह के कमान के निर्माण से ‘ऑपरेशनल’ कार्यों को रेज-ट्रेन-सस्टेन (आरटीएस) और अन्य प्रशासनिक कार्यों से अलग किया जाएगा एवं ऑपरेशनल कमांडर को सुरक्षा के मामलों पर अधिक ध्यान केंद्रित करने की अनुमति मिलेगी।”

सीडीएस ने कहा कि थिएटर कमान अंतिम स्थिति नहीं होगी बल्कि यह सुधारों के अगले सेट की शुरुआत होगी। उन्होंने कहा कि एकीकृत थिएटर कमान से सिंगल से मल्टी डोमेन ऑपरेशंस, पारंपरिक डोमेन में फ्यूजिंग स्पेस और साइबर स्पेस, युद्धक्षेत्र की जानकारी तथा विजुएलाइजेशन का डिजिटलीकरण, नेट सेंट्रिक से डेटा सेंट्रिक जैसे कई सुधारों को बढ़ावा मिलेगा।

सीडीएस ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि भारतीय रक्षा इकोसिस्‍टम में सुधार बहुत आवश्यक है, दुनिया भर के कई राष्ट्र नई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं और विश्व व्यवस्था में मौजूदा प्रवाह राष्ट्रों को अपनी सुरक्षा रणनीतियों की समीक्षा करने के लिए मजबूर कर रहा है। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी का तीव्र और अनियंत्रित प्रसार भविष्य में युद्ध लड़ने के तौर-तरीके भी बदल रहा है।

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