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Coal Minister addresses National Seminar on Challenges and Opportunities in Mines and Minerals Sector
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कोयला मंत्री ने खान एवं खनिज क्षेत्र में चुनौतियों एवं अवसरों पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित किया

कोयला एवं खान मंत्री जी. किशन रेड्डी ने आज नई दिल्ली में भारतीय खनन, भूवैज्ञानिक, धातुकर्म संस्थान द्वारा खान एवं खनिज क्षेत्र में चुनौतियों एवं अवसरों पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित किया। संगोष्ठी में खान मंत्रालय के सचिव वी.एल. कांता राव और कोयला तथा खान मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ सरकार के कोयला एवं खान हितधारकों सहित कई प्रमुख गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया।

जी. किशन रेड्डी ने खनन एवं अन्वेषण उद्योगों से जुड़ी निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के साथ रचनात्मक चर्चा भी की। बातचीत के दौरान उद्योग प्रतिनिधियों ने चुनौतियों पर चर्चा की और बहुमूल्य सुझाव एवं सिफारिशें भी प्रस्तुत कीं।

मंत्री महोदय ने आश्वासन दिया कि मंत्रालय सम्मेलन के दौरान उठाये गये सभी मुद्दों और सुझावों की गहन समीक्षा तथा विचार-विमर्श करेगा, तत्पश्चात इस पर शीघ्र कार्रवाई की जाएगी। जी. किशन रेड्डी ने प्रतिभागियों की सक्रिय भागीदारी के लिए आभार व्यक्त किया तथा निरंतर फीडबैक के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि इस तरह का विचार-विमर्श सुशासन के लिए महत्वपूर्ण है। यह उद्योग की गतिशील प्रकृति एवं सरकारी प्रयासों के साथ सुदृढ़ समन्वय के महत्व को दर्शाती है।

प्रतिष्ठित उद्योगपतियों को संबोधित करते हुए, जी. किशन रेड्डी ने कहा कि भारत के विशाल प्राकृतिक संसाधन, विकसित भारत-2047 की दिशा में देश की विकास यात्रा और आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को हासिल करने में महत्वपूर्ण साबित होंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने कोयला और खनिज क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन किया है, जिससे यह पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी बन गया है। उन्होंने कहा कि कोयला और खनिज ब्लॉकों के लिए वाणिज्यिक नीलामी व्यवस्था की शुरुआत और निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित किया गया है। उन्होंने पिछले एक दशक में दोहन करने के लिए सरकार द्वारा किए गए व्यापक प्रयासों का विवरण दिया।

जी. किशन रेड्डी ने कहा कि महत्वपूर्ण खनिज आधुनिक अर्थव्यवस्था के संचालक के रूप में उभरे हैं और भारत सरकार ने राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन के शुभारंभ के माध्यम से यह सुनिश्चित किया है कि देश इस वैश्विक अवसर से लाभान्वित हो।

कोयला एवं खान मंत्री ने निजी क्षेत्र की भागीदारी के महत्व पर भी बल दिया और उद्योग जगत के नेताओं से भारत की इस उभरती हुई विकास गाथा का हिस्सा बनने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सरकार ने उनकी भागीदारी को प्रोत्साहित करने और इससे जुड़े जोखिमों को कम करने के लिए व्यापार में सुगमता बढ़ाने के लिए कई उपाय किए हैं। उन्होंने कहा कि अन्वेषण लाइसेंस और समग्र लाइसेंस धारकों के लिए 50 प्रतिशत अन्वेषण व्यय की प्रतिपूर्ति जैसी पहल अधिक भागीदारी को प्रोत्साहित कर रही है।

जी. किशन रेड्डी ने कोयले में आयात निर्भरता को कम करने और देश की घरेलू कोयला उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के उपायों के लिए सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों पर भी विस्तार से चर्चा की। जी. किशन रेड्डी ने 2030 तक 140 मिलियन टन कोकिंग कोल का उत्पादन करने के लक्ष्य वाले “मिशन कोकिंग कोल” जैसी पहलों और राष्ट्रीय खनिज नीति 2019 और उन्नत प्रौद्योगिकियों के माध्यम से सतत खनन प्रथाओं को बढ़ावा देने के प्रयासों पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि, आयात बोझ को कम करने और घरेलू मांग को पूरा करने के लिए कोल इंडिया वर्तमान वाशरियों में सुधार करने के साथ ही नई वाशरियों की स्थापना पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। मिशन कोकिंग कोल जैसी पहल और भारत की वाशरियों की क्षमता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने से भारत के कोयला इको-सिस्टम में परिवर्तन आएगा।

जी. किशन रेड्डी ने खनिजों की खोज पर होने वाले अधिक खर्च की प्रकृति को स्वीकार किया। उन्होंने क्षमताओं को बढ़ाने के लिए अधिक शोध, वैज्ञानिक जांच और सहयोग की आवश्यकता व्यक्त की।

सतत खनन उद्देश्य के अनुरूप, जी. किशन रेड्डी ने भूमिगत खनन को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला, जिसका लक्ष्य 2029-30 तक 100 मिलियन टन हासिल करना है। इसके अतिरिक्त, स्वच्छ ईंधन प्रौद्योगिकियों को आगे बढ़ाने के लिए कई उपाय अपनाए जा रहे हैं, जिनमें कोयला गैसीकरण, कोल बेड मीथेन (सीबीएम) गैसों का निष्कर्षण, कोयले से हाइड्रोजन प्रक्रियाओं की खोज और कार्बन कैप्चर और स्टोरेज (सीसीएस) शामिल हैं।

संबोधन के अंत में जी. किशन रेड्डी ने उद्योग प्रतिनिधियों से खनन क्षेत्र में प्रौद्योगिकी और नवाचार को आगे बढ़ाने में सरकार के साथ सहयोग करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “मुझे विश्वास है कि आज का सम्मेलन सतत खनन क्षेत्र के लिए चुनौतियों और समाधानों पर गहन चर्चा को बढ़ावा देगा। निजी क्षेत्र का नवाचार और जोखिम उठाना निकट भविष्य में भारत को तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने में महत्वपूर्ण होगा।”

इस सेमिनार ने भारत के खनन और खनिज क्षेत्र के भविष्य पर सार्थक चर्चा और विचारों के आदान-प्रदान के लिए एक मंच प्रदान किया, जिससे औद्योगिक और सतत विकास दोनों के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को बल मिला है।

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