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Ministry of Coal reviews status of 127 authorisedcommercial coal blocks
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कोयला मंत्रालय ने 127 अधिकृत/वाणिज्यिक कोयला ब्लॉकों की स्थिति की समीक्षा की; कोयला उत्पादन में 33 प्रतिशत की वृद्धि

कोयला मंत्रालय ने 13 और 14 नवंबर 2024 को भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने और विकसित भारत के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, 127 कोयला ब्लॉकों की व्यापक समीक्षा की। समीक्षा बैठक की अध्यक्षता अतिरिक्त सचिव और नामित प्राधिकरण श्रीमती रूपिंदर बरार ने की। समीक्षा में 64 उत्पादक कोयला ब्लॉक और 63 गैर-परिचालन अधिकृत /वाणिज्यिक कोयला ब्लॉक शामिल थे, जो परिचालन के उन्नत चरणों में हैं, जिनमें अरुणाचल प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और पश्चिम बंगाल शामिल हैं।

ऊर्जा क्षेत्र में 64 उत्पादक ब्लॉकों की समीक्षा ने आत्मनिर्भर भारत की दिशा में भारत की उल्लेखनीय प्रगति को प्रदर्शित किया। 8 नवंबर, 2024 तक इन ब्लॉकों ने 100.08 मीट्रिक टन का उत्कृष्ट उत्पादन हासिल किया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 33.35% की उल्लेखनीय वृद्धि को दर्शाता है। मजबूत परिचालन दक्षता का प्रदर्शन करते हुए, कुल प्रेषण 107.81 मीट्रिक टन तक पहुंच गया, जो साल-दर-साल 34.38% की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज करता है। यह उपलब्धि भारत की अपने घरेलू कोयला संसाधनों को कुशलतापूर्वक प्रबंधित करने की बढ़ती क्षमता को रेखांकित करती है, जिसमें 55 ब्लॉक पहले से ही उत्पादन में हैं, एक ब्लॉक इस साल परिचालन शुरू कर रहा है, और वित्त वर्ष 2024-25 में अन्य नौ उत्पादन शुरू करने के लिए तैयार है।

खनन क्षेत्र के आधुनिकीकरण के सरकार के दृष्टिकोण के अनुरूप इस महत्‍वपूर्ण बैठक में फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी, उत्पादन अनुकूलन और परिवहन बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर विशेष जोर दिया गया। अतिरिक्त सचिव और नामित प्राधिकरण ने राज्य सरकार के अधिकारियों और आवंटियों से परिचालन प्रक्रिया में तेजी लाने का आग्रह किया। उन्होंने भारत के ऊर्जा सुरक्षा ढांचे में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका पर भी जोर दिया।

कोयला मंत्रालय कोयला आपूर्ति सुनिश्चित करने की अपनी प्रतिबद्धता में दृढ़ है। यह प्रतिबद्धता 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में अग्रसर है। कोयला मंत्रालय, रणनीतिक योजना और कुशल क्रियान्वयन के माध्यम से भारत की ऊर्जा रीढ़ को मजबूत करने, सतत आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में कृतसंकल्प है।

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