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Communications Minister Scindia inaugurates 25th meeting of SATRC; calls for co-creation of a transparent, secure and standards-based future
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संचार मंत्री सिंधिया ने SATRC की 25वीं बैठक का उद्घाटन कर; पारदर्शी, सुरक्षित और मानक आधारित भविष्य के सह-निर्माण का आह्वान किया

संचार मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने आज नई दिल्ली में दक्षिण एशियाई दूरसंचार विनियामक परिषद (एसएटीआरसी-25) की 25वीं बैठक का उद्घाटन किया। अपने मुख्य वक्तव्य में, सिंधिया ने कहा, “भारत वैश्विक दक्षिण की आवाज़ के रूप में उभर रहा है, एसएटीआरसी-25 ज्ञान-साझाकरण और उभरती नीति और विनियामक चुनौतियों पर अभिनव दृष्टिकोणों के संगम के लिए एक उत्कृष्ट मंच के रूप में काम करेगा।” उन्होंने आगे जोर देकर कहा कि विनियामक निकायों के नीति निर्माण का मार्गदर्शन “संरक्षित, सुरक्षित और मानक भविष्य” को करना चाहिए।

मंत्री महोदय अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, ईरान, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका सहित एसएटीआरसी सदस्य देशों के विनियामक प्रमुखों और संबद्ध सदस्यों की एक प्रतिष्ठित सभा को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उपस्थित अन्य गणमान्य व्यक्तियों में संचार और ग्रामीण विकास राज्य मंत्री डॉ. चंद्रशेखर पेम्मासानी, एशिया-प्रशांत दूरसंचार (एपीटी) के महासचिव मसानोरी कोंडो, बांग्लादेश दूरसंचार विनियामक आयोग के अध्यक्ष मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) मोहम्मद इमदाद उल बारी, ट्राई के अध्यक्ष अनिल कुमार लाहोटी और ट्राई के सचिव अतुल कुमार चौधरी शामिल थे।

अपने संबोधन में, मंत्री महोदय ने डिजिटल अवसंरचना विकास में भारत की बढ़त को रेखांकितकरते हुए, ब्रॉडबैंड पहुँच का विस्तार करने, विनियामक ढाँचे को बढ़ाने और एक समावेशी डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने के लिए देश की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला। “असाधारण 1.2 बिलियन टेलीफोन और 970 मिलियन इंटरनेट ग्राहकों के साथ, भारत एक डिजिटल महाशक्ति के रूप में उभर रहा है, जिसकी विशेषता एक तेज़ी से विकसित हो रही डिजिटल अर्थव्यवस्था है जो -एक दशक पहले के सिर्फ़ 3.5% से एक प्रभावशाली छलांग लगाते हुए अब हमारे समग्र आर्थिक परिदृश्य का 10% हिस्सा है । चूंकि हमारी डिजिटल अर्थव्यवस्था राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की तुलना में 2.8 गुना तेज़ गति से फल-फूल रही है, इसलिए हमारा अनुमान है कि यह 2026-27 तक आश्चर्यजनक रूप से 20% तक पहुँच जाएगी।” उन्होंने एसएटीआरसी के सदस्य देशों से डिजिटल समावेशिता, टिकाऊ नेटवर्क अवसंरचना और उपभोक्ता संरक्षण जैसे प्रमुख मुद्दों पर सहयोग करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “दक्षिण एशिया को एक सम्बद्ध, लचीले और टिकाऊ भविष्य के निर्माण के अपने प्रयासों में एकजुट होना चाहिए,” उन्होंने एक ऐसे क्षेत्र की कल्पना की जो साझा मूल्यों और आपसी समर्थन पर पनपता है।

संचार मंत्री सिंधिया ने यह भी कहा कि दक्षिण एशिया वैश्विक आईसीटी विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और ऐसे नियमों की आवश्यकता पर बल दिया जो समावेशिता सुनिश्चित करते हुए नवाचार को प्रेरित करते हैं। नई तकनीकी प्रगति के बारे में बात करते हुए, उन्होंने साझा किया, “गैर-स्थलीय नेटवर्क (एनटीएन) का आगमन – हमारे राष्ट्रों के सबसे दूरदराज कोनों तक दूरसंचार कवरेज विस्तार करने का एक क्रांतिकारी अवसर प्रस्तुत करता है। मुझे आशा है कि एनटीएन का विकास संचार प्रौद्योगिकियों में नए रास्ते खोलेगा, विभिन्न क्षेत्रों में अभिनव अनुप्रयोगों को प्रज्‍ज्वलित करेगा, और अंततः संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (यूएन एसडीजी) की दिशा में हमारी सामूहिक यात्रा को आगे बढ़ाएगा।”

संचार राज्य मंत्री डॉ. चंद्रशेखर ने लोगों और समुदायों को सशक्त बनाने में दूरसंचार की क्रांतिकारी शक्ति को रेखांकित किया। उन्होंने दक्षिण एशिया में डिजिटल परिवर्तन को आगे बढ़ाने के लिए भारत की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला, साथ ही ऐसी विनियामक नीतियों का आह्वान किया जो नवाचार को उपभोक्ता संरक्षण के साथ संतुलित करती हों।

एपीटी के महासचिव मासानोरी कोंडो ने स्वागत भाषण के साथ सत्र की शुरुआत की, जिसमें उन्होंने एशिया भर में एक स्थायी और समावेशी डिजिटल इकोसिस्‍टम का समर्थन करने के एपीटी के मिशन पर जोर दिया। उन्होंने निर्बाध संचार की सुविधा प्रदान करने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने वाली सामंजस्यपूर्ण नीतियां बनाने के लिए क्षेत्रीय सहयोग का आह्वान किया।

ट्राई के अध्यक्ष अनिल कुमार लाहोटी ने भी ट्राई की ओर से उपस्थित लोगों का स्वागत किया तथा डिजिटल संसाधनों तक समान पहुंच सुनिश्चित करने और डिजिटल विभाजन को पाटने के लिए सीमा पार साझेदारी को बढ़ावा देने में भारत की भूमिका पर जोर दिया।

एसएटीआरसी के अध्यक्ष, मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) मोहम्मद इमदाद उल बारी, जो बांग्लादेश दूरसंचार विनियामक आयोग के अध्यक्ष हैं, ने एसएटीआरसी की दो दशकों की प्रगति पर विचार किया तथा क्षेत्र में भविष्य के सहयोग के प्रति आशा व्यक्त की, जिससे दक्षिण एशिया में नागरिकों के जीवन में सुधार के लिए डिजिटल परिवर्तन का लाभ उठाया जा सके।

एशिया-प्रशांत दूरसंचार समुदाय द्वारा आयोजित और भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) द्वारा मेजबानी किए हुए इस कार्यक्रम में दूरसंचार विनियमनों और नीतिगत चुनौतियों पर चर्चा करने के लिए पूरे क्षेत्र के विशेषज्ञ, अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधि, उद्योग प्रतिनिधि और सेवा प्रदाता जुटते हैं। 11 से 13 नवंबर 2024 तक चलने वाली तीन दिवसीय बैठक में रेडियो आवृत्ति समन्वय, दूरसंचार विकास रणनीतियों, विनियामक प्रवृत्तियों और अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार मामलों जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

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