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Crucial reforms in the petroleum and natural gas sector Draft PNG rules aim to modernise the country's upstream oil and gas infrastructure
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पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधार: मसौदा पीएनजी नियम का लक्ष्य देश के अपस्ट्रीम तेल एवं गैस ढांचे का आधुनिकीकरण करना है

“प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में तेल एवं गैस अन्वेषण में तेज़ी लाने के हमारे प्रयास के तहत हम अन्वेषण और उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण नीतिगत सुधार ला रहे हैं। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस नियम, 2025 के मसौदे सहित ये सुधार हमारे अन्वेषण और उत्पादन संचालकों के लिए व्यापार सुगमता को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाएंगे,” पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा। हरदीप सिंह पुरी ने सभी हितधारकों—उद्योग जगत के नेतृत्व, विशेषज्ञों और नागरिकों—से पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस नियमों के मसौदे, संशोधित मॉडल राजस्व साझाकरण अनुबंध (एमआरएससी) और अद्यतन पेट्रोलियम पट्टा प्रारूप पर 17 जुलाई 2025 तक png-rules@dghindia.gov.in पर अपनी-अपनी प्रतिक्रिया साझा करने का आग्रह किया। यह परामर्श प्रक्रिया 17 जुलाई को नई दिल्ली स्थित भारत मंडपम में आयोजित ऊर्जा वार्ता 2025 में समाप्त होगी।

पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस नियम, 2025 के मसौदे का लक्ष्य कई बड़े सुधारों के साथ देश के अपस्ट्रीम तेल एवं गैस ढांचे का आधुनिकीकरण करना है। इनमें से एक प्रमुख सुधार निवेशक-अनुकूल स्थिरीकरण खंड का समावेश है, जो पट्टेदारों को भविष्य के कानूनी या वित्तीय परिवर्तनों, जैसे करों, रॉयल्टी या अन्य शुल्कों में वृद्धि, के प्रतिकूल प्रभावों से बचाने के लिए बनाया गया है, जिसके लिए उन्हें मुआवज़ा या कटौती की अनुमति दी जाएगी। बुनियादी ढांचे के दोहराव को कम करने और छोटे खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए इस मसौदे में यह अनिवार्य किया गया है कि पट्टेदार पाइपलाइनों और अन्य सुविधाओं में कम उपयोग की गई क्षमता की घोषणा करें और सरकारी निगरानी के अधीन उचित शर्तों पर तीसरे पक्ष को पहुंच प्रदान करें।

मसौदा नियम पहली बार संचालकों को तेल क्षेत्र ब्लॉकों के भीतर एकीकृत नवीकरणीय और निम्न-कार्बन परियोजनाएं—सौर, पवन, हाइड्रोजन और भू-तापीय ऊर्जा सहित—शुरू करने की अनुमति देते हैं, बशर्ते वे सुरक्षा मानकों को पूरा करें तथा पेट्रोलियम उत्पादन में बाधा न डालें। पर्यावरणीय प्रबंधन को मज़बूत करते हुए मसौदा पीएनजी नियम ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन की निगरानी और रिपोर्टिंग के लिए विस्तृत शर्तें प्रस्तुत करता है, कार्बन कैप्चर और स्टोरेज (सीसीएस) के लिए एक नियामक ढांचा स्थापित करता है और कम से कम पांच वर्षों तक बंद होने के बाद निगरानी के साथ साइट पुनर्स्थापना निधि को अनिवार्य करता है।

डेटा गवर्नेंस के संदर्भ में अन्वेषण और उत्पादन के दौरान उत्पन्न सभी परिचालन आंकड़े और भौतिक नमूने केंद्र सरकार के स्वामित्व में होंगे। पट्टेदार इस डेटा का आंतरिक रूप से उपयोग कर सकते हैं, लेकिन किसी भी निर्यात या बाहरी उपयोग के लिए सरकार की मंजूरी आवश्यक है, जिसमें गोपनीयता संबंधी सुरक्षा सात वर्षों तक लागू रहेगी। मसौदा नियमों में एक समर्पित न्यायनिर्णयन प्राधिकरण के गठन का भी प्रस्ताव है, जो संयुक्त सचिव के रैंक से नीचे का नहीं होगा और इसे अनुपालन लागू करने, विवादों को सुलझाने और दंड लगाने का अधिकार होगा। अतिरिक्त प्रावधानों में पट्टा विलय, विस्तार और कई ब्लॉकों में फैले रिजर्वायर्स के इकाईकरण के लिए स्पष्ट प्रक्रियाएं सम्मिलित हैं, जिनका लक्ष्य परिचालन समायोजन क्षमता को बेहतर करना है।

ये सुधार पुराने पेट्रोलियम रियायत नियम, 1949 और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस नियम, 1959 का स्थान लेंगे तथा तेल क्षेत्र (विनियमन एवं विकास) अधिनियम, 1948 में हाल ही में किए गए संशोधन के अनुरूप होंगे। इन्हें देश के अब तक के सबसे बड़े अन्वेषण एवं उत्पादन बोली दौर, ओएएलपी राउंड एक्स से पहले लागू किया गया है।

मसौदा नियमों के साथ-साथ मंत्रालय ने एक संशोधित आदर्श राजस्व साझाकरण अनुबंध भी जारी किया है, जो नए ढांचे के अनुरूप है, विशेष रूप से इकाईकरण, विलयित पट्टा क्षेत्रों और बुनियादी ढांचे के साझाकरण दायित्वों के मामले में। संशोधित पेट्रोलियम पट्टा प्रारूप पट्टा त्याग, रिजर्वायर विस्तार और निरस्तीकरण के कारणों की प्रक्रियाओं को स्पष्ट करता है और इससे परिचालन संबंधी अधिक निश्चितता मुहैया होती है।

जैसा कि हरदीप सिंह पुरी ने बल देकर कहा, “भारत में तेल और गैस की खोज करना पहले कभी इतना आसान, तेज़ और लाभदायक नहीं रहा। हम एक आधुनिक, निवेशक-अनुकूल व्यवस्था को आकार देने के लिए रचनात्मक सहयोग की आशा करते हैं।” हितधारकों से अनुरोध है कि वे 17 जुलाई 2025 तक png-rules@dghindia.gov.in पर अपनी प्रतिक्रियाएं भेजें। सरकार के प्रयासों का लक्ष्य देश के व्यापक ऊर्जा परिवर्तन लक्ष्यों के अनुरूप एक पारदर्शी, कुशल तथा सतत अन्वेषण और उत्पादन संबंधी वातावरण बनाना है।

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