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CSIR-NISCPR organized a national workshop and celebrated World Intellectual Property Day
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CSIR-NISCPR ने एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया और विश्व बौद्धिक संपदा दिवस मनाया

वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद – राष्ट्रीय विज्ञान संचार एवं नीति अनुसंधान संस्थान (CSIR-NISCPR) ने एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया और विश्व बौद्धिक संपदा दिवस मनाया। इस कार्यशाला का विषय “बौद्धिक संपदा एवं सतत विकास लक्ष्य (आईपी एंड एसडीजी): साझा भविष्य के लिए नवाचार” था I यह कार्यक्रम वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) – राष्ट्रीय विज्ञान संचार और नीति अनुसंधान संस्थान (एनआईएससीपीआर) एस.वी. मार्ग परिसर, नई दिल्ली के सेमिनार हॉल में आयोजित किया गया जिसमें 250 से अधिक स्कूली छात्रों ने भाग लिया और पांच उत्कृष्ट नवप्रवर्तकों की प्रस्तुतियाँ दीं गईं , जिन्हें प्रौद्योगिकी और उद्यमिता में उनके योगदान के लिए सम्मानित भी किया गया।

कार्यशाला की समन्वयक डॉ. कनिका मलिक (CSIR-NISCPR की वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक) ने राष्ट्रीय विकास के लिए नवाचारों की रक्षा के महत्व पर बल देते हुए बौद्धिक संपदा अधिकारों का एक व्यावहारिक परिचय दिया। उन्होंने बताया कि कैसे स्कूली छात्र इस क्षेत्र में उतर सकते हैं और इसे अपने करियर विकल्प के रूप में अपना सकते हैं।

वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद – राष्ट्रीय विज्ञान संचार एवं नीति अनुसंधान संस्थान (CSIR-NISCPR) की निदेशक रंजना अग्रवाल ने अपने संबोधन में कहा कि “ऐतिहासिक रूप से, भारत को अक्सर “सोने की चिड़िया” कहा जाता था, जो इसकी उन्नत स्थिति और उस महत्वपूर्ण वैश्विक आर्थिक योगदान का प्रमाण है जो एक समय 30 प्रतिशत था। जैसे ही हम आजादी के 75 वर्ष पूरे कर रहे हैं, हमारा सकल घरेलू उत्पाद योगदान 9 प्रतिशत पर समायोजित हो गया है। 2047 को देखते हुए अब हमारी महत्वाकांक्षा इस आंकड़े को 20 प्रतिशत तक बढ़ाने की है। यह लक्ष्य घरेलू तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देने और स्वदेशी ज्ञान प्रणालियों के पोषण के महत्व को रेखांकित करता है।

वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ने हमारे देश की बौद्धिक विरासत की रक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसका उदाहरण संयुक्त राज्य अमेरिका में हल्दी और बासमती चावल के पेटेंट के विरुद्ध इसकी सफल चुनौती है। इस जीत ने भारत के लिए महत्वपूर्ण पेटेंट पुनः प्राप्त कर लिए। इसलिए यह आवश्यक है कि हम अपनी बौद्धिक संपदा की दृढ़ता से रक्षा करते रहें । सीएसआईआर के राष्ट्रीय विज्ञान संचार एवं नीति अनुसंधान संस्थान (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस कम्युनिकेशन एंड पॉलिसी रिसर्च -एनआईएससीपीआर) द्वारा प्रकाशित जर्नल ऑफ इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स, इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो बौद्धिक संपदा जागरूकता और शिक्षा के लिए एक प्रकाशस्तंभ बीकन) के रूप में कार्य करता है।

कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में पेटेंट डिजाइन और ट्रेडमार्क के महानियंत्रक (कंट्रोलर जनरल ऑफ़ पेटेंट्स , डिजाइन एंड ट्रेडमार्क्स-सीजीपीडीटीएम) प्रोफेसर उन्नत पंडित की उपस्थिति रही। उनके मुख्य भाषण में सतत विकास लक्ष्यों (सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स -एसडीजी) को प्राप्त करने और नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देने में बौद्धिक संपदा की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला गया। प्रोफेसर पंडित ने कहा कि “पिछले एक दशक में, भारत ने वैज्ञानिक उपलब्धियों में उल्लेखनीय प्रगति की है और यह हमारे देश के विचारकों की उस सहज नवीन भावना और अनुसंधान कौशल का प्रमाण है जो जमीनी स्तर की चुनौतियों का समाधान करने में निपुण हैं।

उन्होंने आगे कहा कि “जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए ही राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा (इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी –आईपी) जागरूकता मिशन शुरू किया गया है। और केवल एक वर्ष में हमें 90,300 पेटेंट प्राप्त हुए हैं।”

इस कार्यशाला का मुख्य आकर्षण युवा नवप्रवर्तकों और उद्यमियों द्वारा साझा की गई प्रेरक कहानियाँ थीं। इन दूरदर्शी व्यक्तियों ने न केवल अपने-अपने क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति की है, बल्कि यह भी प्रदर्शित किया है कि कैसे रचनात्मकता और नवाचार एक स्थायी भविष्य की ओर ले जा सकते हैं।

स्कूली छात्रों की भागीदारी विशेष रूप से उल्लेखनीय थी क्योंकि वे नवप्रवर्तकों के साथ जुड़े हुए थे और बौद्धिक संपदा के वास्तविक विश्व के अनुप्रयोगों एवं और प्रगति को आगे बढ़ाने में इसके महत्व के बारे में सीख रहे थे।

वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसन्धान परिषद -राष्ट्रीय विज्ञान संचार और नीति अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर – एनआईएससीपीआर) भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद के अधीन एक घटक प्रयोगशाला है तथा यह विज्ञान संचार, नीति अनुसंधान और जनता के बीच वैज्ञानिक जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है।

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