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MoD inks MoU to set up testing facilities in Unmanned Aerial System, Electronic Warfare & Electro Optics domains in Tamil Nadu Defence Industrial Corridor
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रक्षा मंत्रालय ने तमिलनाडु रक्षा औद्योगिक गलियारे में मानव रहित हवाई प्रणाली, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर और इलेक्ट्रो ऑप्टिक्स डोमेन में परीक्षण सुविधाएं स्थापित करने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए

रक्षा मंत्रालय (एमओडी) ने तमिलनाडु रक्षा औद्योगिक गलियारे के तहत चेन्नई में तीन अत्याधुनिक परीक्षण सुविधाएं स्थापित करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं, जो मानव रहित हवाई प्रणाली (यूएएस), इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर (ईडब्ल्यू) और इलेक्ट्रो ऑप्टिक्स (ईओ) डोमेन से संबंधित हैं। डिफेंस टेस्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर स्कीम (डीटीआईएस) के तहत समझौता ज्ञापन का आदान-प्रदान 2 जुलाई, 2024 को नई दिल्ली में रक्षा मंत्रालय और तमिलनाडु औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच किया गया। इस अवसर पर रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने भी उपस्थित रहे।

केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मई 2020 में 400 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ डीटीआईएस का शुभारंभ किया था। इसका उद्देश्य निजी कंपनियों और केंद्र/ राज्य सरकार के सहयोग से अत्याधुनिक परीक्षण सुविधाएं स्थापित करना, स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देना, सैन्य उपकरणों के आयात को कम करना और आत्मनिर्भरता बढ़ाना है। रक्षा औद्योगिक गलियारों (डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर्स) के भीतर रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्रों को गति प्रदान करने के लिए सात परीक्षण सुविधाओं को मंजूरी दी गई। इसके तहत तमिलनाडु में चार और उत्तर प्रदेश में तीन परीक्षण सुविधाएं स्थापित की जानी हैं। तमिलनाडु में तीन सुविधाओं के लिए आज समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

डीटीआईएस 75 प्रतिशत तक सरकारी निधि ‘अनुदान सहायता’ के रूप में उपलब्ध कराता है, जबकि शेष 25 प्रतिशत निधि स्पेशल परपज व्हीकल (एसपीवी) द्वारा दी जाती है, जिसमें भारतीय निजी कंपनियां और राज्य/ केंद्र सरकारें शामिल हैं।

यूएएस परीक्षण सुविधा के लिए, केरल सरकार का उपक्रम केलट्रॉन प्रमुख एसपीवी सदस्य है, जबकि कुछ निजी क्षेत्र की कंपनियां कंसोर्टियम की सदस्य हैं। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) और इंडिया ऑप्टेल लिमिटेड (आईओएल) क्रमशः ईडब्ल्यू और ईओ परीक्षण सुविधाओं में प्रमुख एसपीवी सदस्य हैं।

परियोजना के पूरा होने पर, वे सरकारी और निजी उद्योग दोनों को उन्नत परीक्षण उपकरण और सेवाएं प्रदान करेंगे, जिससे रक्षा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भरता’ को बढ़ावा मिलेगा।

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