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Defence Secretary co-chairs 13th Malaysia-India Defence Cooperation Committee Meeting in Kuala Lumpur
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रक्षा सचिव ने कुआलालम्पुर में 13वीं मलेशिया-भारत रक्षा सहयोग समिति की बैठक की सह-अध्यक्षता की

कुआलालम्पुर में मलेशिया-भारत रक्षा सहयोग समिति (एमआईडीसीओएम) की 13वीं बैठक हुई। रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह और मलेशिया के रक्षा मंत्रालय के महासचिव लुकमान हकीम बिन अली ने इस बैठक की सह-अध्यक्षता की। इस दौरान, दोनों पक्षों ने हाल के वर्षों में दोनों देशों के सशस्त्र बलों के नियमित रूप से अभ्यास और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के साथ बढ़ते द्विपक्षीय रक्षा सहयोग पर प्रसन्नता व्यक्त की।

दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय रक्षा संबंधों और क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों के और आगे विस्तार के लिए प्रभावी एवं व्यावहारिक पहलों पर व्यापक रूप से चर्चा की। उन्होंने साइबर सुरक्षा और कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसे उभरते क्षेत्रों में सहयोग को और बढ़ाने के लिए उठाए जाने वाले कदमों की पहचान की। साथ ही, उन्होंने खास तौर से रक्षा उद्योग, समुद्री सुरक्षा और बहुपक्षीय संबंधों में वर्तमान आपसी सहयोग को और गहराई तक ले जाने के तरीकों की भी पहचान की। दोनों पक्ष समुद्री सुरक्षा से जुड़े गैर-पारंपरिक खतरों से निपटने पर ध्यान देने के लिए संयुक्त समूह बनाने पर भी सहमत हुए।

दोनों पक्षों ने व्यापक रणनीतिक साझेदारी के लिए रक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र के अंतर्गत नई पहलों को पूरी तरह से लागू करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की, जिसकी परिकल्पना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके मलेशियाई समकक्ष दातो सेरी अनवर इब्राहिम ने अगस्त 2024 में हुई भारत यात्रा के दौरान की थी।

भारत और मलेशिया ने सामरिक मामलों के कार्य समूह की स्थापना पर अंतिम रूप से तैयार संदर्भ की शर्तों (टीओआर) का भी आदान-प्रदान किया। यह मंच द्विपक्षीय रक्षा सहयोग के सभी पहलुओं को आगे बढ़ाने के लिए मलेशिया-भारत रक्षा सहयोग समिति और दो उप-समितियों के बीच परामर्श के तंत्र के रूप में कार्य करेगा।

दोनों पक्षों ने मलेशिया-भारत रक्षा सहयोग समिति में तय एसयू-30 फोरम की स्थापना के विषय पर अंतिम रूप से तैयार संदर्भ की शर्तों का भी आदान-प्रदान किया। एसयू-30 फोरम से दोनों देशों की वायु सेनाओं के बीच घनिष्ठ सहयोग संभव हो सकेगा और इससे एसयू-30 के रखरखाव में विशेषज्ञता और सर्वोत्तम तौर-तरीकों का आदान-प्रदान किया जा सकेगा।

बैठक के दौरान रक्षा सचिव ने भारतीय रक्षा उद्योग की क्षमता, और विशेष रूप से मलेशियाई कंपनियों और सशस्त्र बलों की सामर्थ्य में वृद्धि और आधुनिकीकरण में उनके साथ सहयोग करने की इसकी योग्यता पर प्रकाश डाला। उन्होंने आसियान और आसियान देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक-प्लस की अध्यक्षता संभालने पर मलेशिया को बधाई दी और इस वर्ष एडीएमएम-प्लस और आसियान के रक्षा वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक के आयोजन के लिए मलेशिया के रक्षा मंत्रालय को शुभकामनाएं दीं।

भारत आसियान के महत्व और एकता का समर्थन करता है, जो भारत के हिंद-प्रशांत दृष्टिकोण का महत्वपूर्ण तत्व है। रक्षा सचिव ने मजबूत, एकीकृत और समृद्ध आसियान को बढ़ावा देने में आसियान अध्यक्ष के रूप में मलेशिया के प्रयासों के लिए भारत के समर्थन को दोहराया, जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र की उभरती बदलाव की गति को आकार देने में केंद्रीय भूमिका निभाता है।

भारत, मलेशिया को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण साझेदार मानता है, क्योंकि मलेशिया तीन प्रमुख विदेश नीति दृष्टिकोणों अर्थात एक्ट ईस्ट पॉलिसी, सागर (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) तथा हिंद-प्रशांत महासागर पहल के संगम पर स्थित है।

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