उपभोक्ता मामले विभाग ने ऑनलाइन नकली समीक्षाओं से बचने संबंधी उपभोक्ताओं की सुरक्षा पर हितधारक परामर्श बैठक आयोजित की
उपभोक्ता मामले विभाग ने ऑनलाइन फर्जी समीक्षाओं से उपभोक्ता हितों की सुरक्षा पर आज (15 मई, 2024) दिल्ली में हितधारक परामर्श बैठक आयोजित की। उपभोक्ता मामले विभाग की सचिव निधि खरे ने इस बैठक की अध्यक्षता की।
राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (एनसीएच) पर पंजीकृत ई-कॉमर्स से संबंधित उपभोक्ता शिकायतों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है। 2018 में 95,270 (कुल शिकायतों का 22 प्रतिशत) से बढ़कर 2023 में शिकायतों की संख्या 4,44,034 (कुल शिकायतों का 43 प्रतिशत) हो गई है।
चूंकि ई-कॉमर्स एक आभासी खरीदारी अनुभव प्रदान करता है, जहां उपभोक्ता भौतिक रूप से उत्पादों का निरीक्षण नहीं कर सकते हैं, वे उन उपयोगकर्ताओं से अंतर्दृष्टि और अनुभव एकत्र करने के लिए ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों पर उपलब्ध समीक्षाओं पर महत्वपूर्ण रूप से निर्भर करते हैं, जो पहले ही सामान या सेवाएं खरीद चुके हैं। ऑनलाइन समीक्षाएं संभावित ग्राहकों को सामाजिक प्रमाण प्रदान करती हैं और उन्हें उत्पाद खरीदने या सेवा प्राप्त करने में भरोसा दिलाती हैं।
ऑनलाइन नकली समीक्षाओं की उपस्थिति, शॉपिंग प्लेटफ़ॉर्म की विश्वसनीयता को खतरे में डालती है, जो उपभोक्ताओं द्वारा गलत खरीदारी का निर्णय का कारण बन सकती है।
नवंबर, 2022 में, इस विभाग ने भारतीय मानक (आईएस) 19000:2022 ‘ऑनलाइन उपभोक्ता समीक्षाओं -उनके संग्रह, मॉडरेशन और प्रकाशन के लिए सिद्धांत और आवश्यकताओं’ का शुभारंभ किया था। इस मानक के मार्गदर्शक सिद्धांत ईमानदारी, सटीकता, गोपनीयता, सुरक्षा, पारदर्शिता, पहुंच और जवाबदेही है।
ये मानक समीक्षा लेखक और समीक्षा प्रशासक के लिए विशिष्ट दायित्व निर्धारित करता है। मानक के अनुसार, संगठनों को विशिष्ट निर्धारित तरीकों से समीक्षा लेखक की पहचान करने और एक लिखित अभ्यास संहिता विकसित करने, उसको संचरण करने और प्रबंधन और सभी कर्मचारियों को उपलब्ध कराना होता है, जो यह बताता है कि इस दस्तावेज़ और मार्गदर्शक सिद्धांतों को कैसे पूरा किया जाएगा और बनाए रखा जाएगा।
गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (क्यूसीओ) के मसौदे के तहत प्रदान की गई जरूरी अपेक्षाओं में ऑनलाइन उपभोक्ता समीक्षाओं को एकत्र करने, उनको मॉडरेट करने और प्रकाशित करने की प्रक्रियाएं इस तरह से की जाएंगी कि जो समीक्षाएं वास्तविक हैं, वे प्रकाशित हों।
प्रस्तावित क्यूसीओ के तहत निषेधों में शामिल हैं –
- संगठन पक्षपातपूर्ण उद्देश्य और पूर्वाग्रह के साथ एकत्र की गई उपभोक्ता समीक्षाओं को ऑनलाइन प्रकाशित नहीं करेगा।
- संगठन अपने संदेश को बदलने के लिए समीक्षाओं को संपादित नहीं करेगा।
- संगठन लोगों को नकारात्मक समीक्षाएं जमा करने से न ही रोकेगा और न ही हतोत्साहित करेगा।
संगठनों को भारतीय मानक आईएस 19000:2022 में निर्दिष्ट सिद्धांतों और आवश्यकताओं के अनुपालन में ऑनलाइन उपभोक्ता समीक्षाओं के संग्रह, मॉडरेशन और प्रकाशन के लिए एक उचित तंत्र को कार्यान्वित करने की आवश्यकता है।
आईएस 19000:2022 के लिए गुणवत्ता नियंत्रण आदेश की दिशा में आगे बढ़ने पर चर्चा का हितधारकों द्वारा स्वागत किया गया और सभी हितधारकों के बीच आम सहमति थी कि ऑनलाइन खरीदारी करते समय उपभोक्ता हितों की रक्षा के लिए नकली समीक्षाओं का मुद्दा महत्वपूर्ण है और इस पर बारीकी से नजर रखने की जरूरत है। निर्धारित समय सीमा के अंदर टिप्पणियां प्रस्तुत करने के लिए गुणवत्ता नियंत्रण आदेश के मसौदे को सार्वजनिक परामर्श के लिए रखा जाएगा।
बैठक के दौरान प्रमुख ऑनलाइन प्लेटफार्मों (जैसे गूगल, मेटा, अमेज़ॅन, फ्लिपकार्ट आदि), उद्योग निकायों, एमजीपी सहित स्वैच्छिक उपभोक्ता संघों और प्रसिद्ध उपभोक्ता कार्यकर्ता पुष्पा गिरीमजी और लॉ चेयर्स और कानून फर्मों के प्रतिनिधि मौजूद थे। बैठक के दौरान उपभोक्ता मामले विभाग द्वारा हाल के दिनों में ऑनलाइन शॉपिंग में वृद्धि और राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (एनसीएच) पर ई-कॉमर्स क्षेत्र में पंजीकृत उपभोक्ता शिकायतों की बढ़ती संख्या पर बल देते हुए एक प्रस्तुति भी दी गई।