रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने पुणे के पाषाण में आयुध अनुसंधान एवं विकास स्थापना (एआरडीई) में आयोजित एक समारोह के दौरान नौसेना आयुध निरीक्षण महानिदेशक (डीजीएनएआई) को 30 एमएम हाई एक्सप्लोसिव प्रीफॉर्म्ड फ्रैगमेंटेशन (एचईपीएफ) शेल का उत्पादन दस्तावेज सौंपा। डीआरडीओ की पुणे स्थित प्रयोगशाला एआरडीई द्वारा विकसित यह 30 एमएम एचईपीएफ शेल ड्रोन के विरुद्ध भारतीय नौसेना की युद्धक क्षमता में और अधिक वृद्धि करेगा।
एचईपीएफ शेल की विशेषताएं इन-सर्विस एम्युनिशन (एचई/आई शेल) के समान हैं, ताकि इसे मौजूदा एके-630 नेवल गन से दागा जा सके। एचईपीएफ शेल, एचई/आई शेल की तुलना में बेहतर विखंडन या फ्रैगमेंटेशन घातकता प्रदान करता है, जो इसे ड्रोन के झुंडों को बेअसर करने में प्रभावी बनाता है। एचईपीएफ शेल हार्डवेयर का निर्माण तीन भारतीय फर्मों द्वारा एआरडीई विनिर्देशों के अनुसार और नौसेना आयुध निरीक्षणालय, जबलपुर के सहयोग से गन फायरिंग प्रूफ परीक्षणों के अधीन किया गया है। परीक्षण परिणामों ने एके 630 गन में एचईपीएफ शेल के अनुकूलन की उपयुक्तता की पुष्टि की, जिससे इसके समावेशन का मार्ग प्रशस्त हो सका।
दस्तावेज सौंपे जाने के साथ ही, रक्षा मंत्रालय के एकीकृत मुख्यालय (नौसेना)/डीजीएनएआई ने एचईपीएफ शेल के समावेशन की मंजूरी प्राप्त कर ली है। तदनुसार, सेना की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए शेल के विनिर्माण का कार्य शुरू करने हेतु एआरडीई द्वारा 30 एमएम एचईपीएफ शेल के लिए उत्पादन दस्तावेज़ तैयार किया गया है।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत ने उत्पादन दस्तावेज सौंपे जाने के लिए एआरडीई को बधाई दी है। इस समारोह के दौरान डीआरडीओ के वरिष्ठ वैज्ञानिक और नौसेना मुख्यालय के अधिकारी मौजूद थे।
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