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DRDO ने शोध कार्यों को बेहतर करने के लिए DIA-COE में पुनर्परिभाषित और संवर्धित अनुसंधान विषय (वर्टिकल्स) और प्रमुख क्षेत्र संबंधी सूचना जारी की

भविष्य की प्रौद्योगिकी प्रबंधन निदेशालय (DFTM) ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) मुख्यालय, नई दिल्ली में 07 फरवरी, 2025 को निर्देशित अनुसंधान को सुव्यवस्थित और बढ़ाने के लिए डीआरडीओ उद्योग अकादमी – उत्कृष्टता केंद्र (DIA-COES) में पुनर्परिभाषित और संवर्धित अनुसंधान विषय और प्रमुख क्षेत्र संबंधी सूचना जारी की। अनुसंधान क्षेत्रों के पुनर्संरेखण और संवर्द्धन में डीआरडीओ प्रयोगशालाओं और गहन प्रौद्योगिकी अनुसंधान क्षेत्रों की भविष्य की प्रौद्योगिकी आवश्यकताएं शामिल हैं। 15 डीआईए-सीओईएस में समाहित मौजूदा 65 अनुसंधान वर्टिकल को 82 अनुसंधान वर्टिकल में पुनः परिभाषित किया गया है। यह महत्वपूर्ण विकास डीआईए-सीओईएस के अनुसंधान क्षेत्र को परिष्कृत करने और समग्र अनुसंधान परिणामों को मजबूत करने की दिशा में अत्याधुनिक गहन प्रौद्योगिकी अनुसंधान क्षेत्रों को पेश करने के नीतिगत प्रयास का हिस्सा है।

अनुसंधान कार्यक्षेत्रों में जोड़े गए कुछ नए क्षेत्र हैं – आईआईटीबी में ‘यौगिक अर्धचालक प्रौद्योगिकी’, आईआईटीएच में ‘लेजर बीम संयोजन आधारित संचार, विद्युत संचरण एवं विनिर्माण तथा सामग्री का निष्कर्षण एवं पुनर्चक्रण’, आईआईटीके में ‘सॉफ्टवेयर परिभाषित रेडियो’, आईआईटीआर में ‘उभरती आरएफ प्रौद्योगिकी’ तथा आईआईटीकेजीपी में ‘क्रिप्टोग्राफी एवं सूचना सुरक्षा’ आदि।

नये कार्यक्रम से उद्योग और शिक्षा जगत को शामिल करते हुए मजबूत अंतःविषयक, बहु-संस्थागत अनुसंधान सहयोग को बढ़ावा मिलने, दोहराव संबंधी प्रयासों को कम करने और संस्थानों में संसाधनों के अधिकतम उपयोग की उम्मीद है। इसके अतिरिक्त, यह भी सुनिश्चित करेगा कि डीआईए-सीओईएस डीआरडीओ की भविष्य की प्रौद्योगिकी चुनौतियों का समाधान करने और रक्षा प्रौद्योगिकी के भविष्य को आकार देने में सार्थक योगदान दें।

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