पंजाब में धान की खरीद मुख्य रूप से राज्य सरकार की एजेंसियों द्वारा की जाती है और कस्टम मिल्ड चावल (सीएमआर) भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को दिया जाता है। किसानों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार द्वारा निर्धारित समान विनिर्देशों के अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर धान की खरीद की जाती है। हालांकि, किसी भी प्राकृतिक आपदा की स्थिति में, सुचारू खरीद के लिए प्रभावित खाद्यान्नों की समान विशिष्टताओं में छूट भी प्रदान की जाती है ताकि खाद्यान्नों की संकटपूर्ण बिक्री/अस्वीकृति को रोका जा सके।
एफसीआई द्वारा बहुस्तरीय गुणवत्ता जांच प्रणाली के साथ मिल्ड चावल की खरीद और स्वीकृति की मजबूत प्रणाली है। यदि लॉट अस्वीकृति सीमा से परे पाए जाते हैं या निर्धारित विनिर्देशों को पूरा नहीं करते हैं, तो संबंधित मिलर्स द्वारा उन्हें उचित औसत गुणवत्ता (एफएक्यू) स्टॉक से बदल दिया जाता है।
इसके अलावा, खरीफ विपणन सीजन 2024-25 के दौरान पंजाब में किसानों से लगभग 172 एलएमटी धान खरीदा गया है। इसमें से 169 एलएमटी धान पंजाब की मंडियों से पहले ही उठा लिया गया है और धान के स्टॉक की आगे की मिलिंग के लिए मिल पॉइंट पर संग्रहीत किया गया है। एफसीआई ने भारत सरकार (जीओआई) के विनिर्देशों के अनुसार मिलर्स से चावल स्वीकार करना शुरू कर दिया है और एफसीआई द्वारा 94,000 मीट्रिक टन चावल पहले ही स्वीकार कर लिया गया है।
स्टॉक की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए हर स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। सरकार पंजाब में बिक्री के लिए उपलब्ध धान को सरकार द्वारा निर्धारित गुणवत्ता विनिर्देशों के अनुसार खरीदने और यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि सभी किसानों को एमएसपी व्यवस्था का लाभ आसानी से मिले।
पंजाब में अन्य राज्यों से चावल की तस्करी के बारे में कोई घटना सामने नहीं आई है। गुणवत्ता के आधार पर चावल को अनुचित तरीके से अस्वीकार करने के बारे में कोई मामला सामने नहीं आया है।
यह जानकारी केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री निमूबेन जयंतीभाई बांभनिया ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।