विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने भारत और जर्मनी के बीच अधिक रक्षा सहयोग का आह्वान किया है और जर्मनी से निर्यात नियंत्रण में ढील देने का आग्रह किया है। बर्लिन में जर्मन विदेश कार्यालय के राजदूतों के वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि विशेषकर भारत का निजी क्षेत्र जब रक्षा क्षेत्र में विस्तार कर रहा है तब रक्षा सहयोग पर अधिक विचार किया जाना चाहिए।
डॉ. एस जयशंकर ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि जर्मनी के साथ हरित और सतत विकास साझेदारी लगातार बढ़ रही है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि दोनों देशों ने 3 अरब 22 करोड़ यूरो के 38 समझौते किए हैं। यह, इस क्षेत्र में विशेषकर हरित हाइड्रोजन और हरित अमोनिया की क्षमता को रेखांकित करता है।
विदेश मंत्री ने कहा कि जर्मनी को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उसी प्रकार अधिक रुचि लेनी चाहिए, जैसे भारत यूरो-अटलांटिक में करना चाहता है। उन्होंने बताया कि जब अंतरराष्ट्रीय शांति और स्थिरता की बात आती है, तो साझा मूल्यों और समान हितों वाले देशों को रक्षा और सुरक्षा में सहयोग करना चाहिए। डॉ. एस जयशंकर ने सहयोग के क्षेत्रों के रूप में एआई, इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, हरित हाइड्रोजन, अंतरिक्ष और सेमिकंडक्टरों पर प्रकाश डाला।