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FATF ने मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्त पोषण सहित अवैध वित्त से निपटने के उपायों को लागू करने के भारत के प्रयासों की सराहना की

वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) ने मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण सहित अवैध वित्त से निपटने के उपायों को लागू करने के भारत के प्रयासों की सराहना की है। वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अपर सचिव विवेक अग्रवाल ने आज नई दिल्ली में पत्रकारों को जानकारी देते हुए कहा कि भारत के लिए अपनी पारस्परिक आकलन रिपोर्ट ‘मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण रोधी उपायों’ में एफएटीएफ ने इस बात पर जोर दिया है कि भारत ने एफएटीएफ की सिफारिशों के अनुरूप तकनीकी अनुपालन का उच्च स्तर हासिल कर लिया है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने अवैध वित्त से निपटने के उपायों को लागू करने के लिए अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।

एफएटीएफ-एपीजी-ईएजी के संयुक्त आकलन में यह निष्कर्ष निकाला गया है कि भारत ने मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण रोधी (एएमएल/सीएफटी) रूपरेखा लागू की है, जिसके अच्छे परिणाम मिल रहे हैं। अधिकारीगण वित्तीय खुफिया जानकारी का अच्छा उपयोग करते हैं और देश-विदेश में प्रभावकारी ढंग से सहयोग करते हैं।

विवेक अग्रवाल ने यह भी बताया कि आकलन के बाद भारत को ‘नियमित अनुवर्ती’ श्रेणी में रखा गया है जो कि एफएटीएफ द्वारा दी जाने वाली उच्चतम रेटिंग श्रेणी है। उन्होंने बताया कि भारत के अलावा ब्रिटेन, फ्रांस और इटली ही ऐसे जी-20 देश हैं जिन्हें इस श्रेणी में रखा गया है।

रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि भारत ने वित्तीय समावेशन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं जिससे बैंक खाते वाले लोगों का अनुपात दोगुना से भी अधिक हो गई है, और इसके साथ ही डिजिटल भुगतान प्रणालियों पर अधिक निर्भरता को बढ़ावा दिया जा रहा है। इन प्रयासों से वित्तीय पारदर्शिता को काफी बढ़ावा मिला है जिससे एएमएल/सीएफटी संबंधी प्रयासों में व्‍यापक योगदान मिल रहा है।

भारतीय प्रणाली के विशाल आकार और संस्थागत जटिलता के बावजूद भारत के अधिकारीगण अवैध वित्तीय प्रवाह से निपटने के मामलों में प्रभावकारी ढंग से सहयोग और समन्वय करते हैं, जिसमें वित्तीय खुफिया जानकारी का उपयोग करना भी शामिल है। भारत ने अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, परिसंपत्तियों की वसूली और बढ़ते वित्तपोषण पर लगाम लगाने के लिए लक्षित वित्तीय प्रतिबंधों को लागू करने में भी सकारात्मक परिणाम प्राप्त किए हैं।

वित्तीय क्षेत्र में, विशेषकर वाणिज्यिक बैंकों द्वारा जोखिमों के साथ-साथ निवारक उपायों को लागू करने की भी अच्छी समझ है।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय अधिकारियों को मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवाद और बढ़ते वित्तपोषण से जुड़े जोखिमों की भी व्यापक समझ है, लेकिन सभी संबंधित हितधारकों के बीच इन जोखिमों पर अंतर्दृष्टि को साझा करने के लिए इस दिशा में और भी बहुत कुछ करने की आवश्यकता है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत को आतंकवाद और आतंकवादियों के वित्तपोषण के गंभीर खतरों का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें आईएसआईएल या अलकायदा से संबंधित खतरे भी शामिल हैं। भारत ने जटिल वित्तीय जांच करने की अपनी क्षमता को बखूबी साबित किया है, लेकिन उसे विभिन्‍न अभियोजन को समाप्त करने एवं आतंकवादियों को वित्तपोषित करने वालों को दोषी ठहराने और उचित रूप से प्रतिबंध लगाने पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि देश को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि आतंकवादियों के वित्तपोषण के लिए गैर-लाभकारी क्षेत्र का दुरुपयोग रोकने के उद्देश्य से उठाए गए कदमों को जोखिम-आधारित दृष्टिकोण के अनुरूप लागू किया जाए, जिसमें आतंकवादियों का वित्तपोषण करने से जुड़े जोखिमों को लेकर गैर-लाभकारी संगठनों तक पहुंच बनाना भी शामिल है।

वित्तीय संस्थान ‘राजनीति से जुड़े व्यक्तियों (पीईपी)’ पर बेहतर उपाय लागू करने के लिए आवश्‍यक कदम उठा रहे हैं। हालांकि, भारत को तकनीकी अनुपालन के नजरिए से देश के पीईपी को कवर करने में भारी कमी की समस्‍या से निपटने और रिपोर्टिंग संस्थाओं द्वारा इन आवश्यकताओं को पूरी तरह से लागू करना सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। गैर-वित्तीय क्षेत्र और आभासी परिसंपत्ति सेवा प्रदाताओं द्वारा निवारक उपायों को लागू करना और इन क्षेत्रों पर करीबी नजर रखना ​​अभी शुरुआती चरण में है। भारत को बेशकीमती धातुओं और बेशकीमती पत्थरों के डीलरों पर लगे नकदी संबंधी प्रतिबंधों को बेहतरीन तरीके से प्राथमिकता के साथ लागू करने की आवश्यकता है। इस सेक्टर की विशेष अहमियत को देखते हुए यह अत्‍यंत आवश्‍यक है।

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