वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विश्व बैंक के अध्यक्ष अजय बंगा से मुलाकात की और अन्य मुद्दों के अलावा बहुपक्षीय विकास बैंकों में सुधार पर चर्चा की। विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की वार्षिक बैठकों से इतर दोनों ने यहां वैश्विक सार्वजनिक वस्तुओं में निजी पूंजी की भागीदारी से संबंधित मुद्दों, ऊर्जा सुरक्षा और बहुपक्षीय विकास बैंकों (एमडीबीएस) में सुधार में पर चर्चा की।
वित्त मंत्रालय ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर अपने आधिकारिक खाते पर लिखा, ‘‘वित्त मंत्री ने कहा कि वह विश्व बैंक द्वारा भारत की जी-20 अध्यक्षता से एमडीबी सुधारों पर आईईजी की सिफारिशों को आगे बढ़ाने की प्रतीक्षा कर रही हैं। उन्होंने भविष्य में सिफारिशों के कार्यान्वयन की नियमित निगरानी का भी अनुरोध किया।’’
भारत की जी-20 अध्यक्षता के दौरान 2023 में गठित स्वतंत्र विशेषज्ञ समूह (आईईजी) ने एमडीबी में सुधारों के ‘ट्रिपल एजेंडे’ की सिफारिश की है। इस एजेंडे के तीन तत्व अत्यधिक गरीबी को समाप्त करना, साझा समृद्धि को बढ़ावा देना तथा 2030 तक वैश्विक सार्वजनिक वस्तुओं के लिए सतत ऋण स्तर को तीन गुना बढ़ाने में योगदान देना और तीसरा वित्तपोषण तंत्र बनाना शामिल है जो एमडीबी एजेंडे के तत्वों का समर्थन करने के इच्छुक निवेशकों के साथ उद्देश्यपूर्ण ढंग से जुड़ने के लिए लचीली व नवीन व्यवस्था बनाए।
सीतारमण ने ब्रिटेन वुड्स संस्थानों के 80 वर्ष पूरे होने पर चर्चा के लिए विश्व बैंक तथा आईएमएफ द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित सलाहकार तंत्र पर व्यापक परामर्श प्रक्रिया की आवश्यकता भी रेखांकित की। ब्रेटन वुड्स संस्थान, आईएमएफ और विश्व बैंक का एक समूह है। इसकी स्थापना 1944 में अमेरिका के न्यू हैम्पशायर के ब्रेटन वुड्स में एक सम्मेलन में की गई थी।
बंगा ने आईईजी की सिफारिशों पर पर्याप्त प्रगति का उल्लेख किया, जिन्हें जी-20 में प्रस्तुत किया जाना है। उन्होंने डब्ल्यूबीजी के रोजगार, ज्ञान ढांचे और बैंक योग्य परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित करने पर भी जोर दिया। बंगा ने कौशल, जल व स्वच्छता तथा शहरी विकास सहित भारत की बजट प्राथमिकताओं के साथ सहयोग की भी वकालत की।