पीएम गतिशक्ति के तहत नेटवर्क योजना समूह की 74वीं बैठक में पांच प्रमुख बुनियादी ढांचे से संबंधित परियोजनाओं का मूल्यांकन किया गया
पीएम गतिशक्ति के अंतर्गत नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप (एनपीजी) की 74वीं बैठक कल नई दिल्ली में उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के अतिरिक्त सचिव राजीव सिंह ठाकुर की अध्यक्षता में आयोजित की गई। इस बैठक में रेल मंत्रालय (एमओआर), सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएच) और आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय (एमओएचयूए) की पांच महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे से संबंधित परियोजनाओं के आकलन पर ध्यान केंद्रित किया गया। इन परियोजनाओं का आकलन पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान (एनएमपी) में उल्लिखित एकीकृत योजना के साथ समन्वित किया गया।
ओडिशा में बलराम-तेनतुलोई नई रेलवे लाइन (एमसीआरएल चरण II)
इस ग्रीनफील्ड परियोजना में 1,404 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से अंगुल जिले में 49.58 किलोमीटर लंबी रेल लाइन का निर्माण शामिल है, जो 11 कोयला ब्लॉकों के लिए महत्वपूर्ण फर्स्ट-माइल रेल कनेक्टिविटी प्रदान करेगी। इसका उद्देश्य उद्योगों के लिए लॉजिस्टिक लागत को कम करना और रोजगार पैदा करना है, जिससे क्षेत्रीय विकास में योगदान मिलता है। इस परियोजना से कोयले की परिवहन दक्षता में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था और ओडिशा राज्य के व्यापक औद्योगिक परिदृश्य दोनों को लाभ होगा।
ओडिशा में बुधपंक-लुबुरी नई रेलवे लाइन (एमसीआरएल आउटर कॉरिडोर)
106 किलोमीटर तक फैली यह ग्रीनफील्ड रेल लाइन, जिसकी अनुमानित परियोजना लागत 3,478 करोड़ रुपये है, महानदी नदी बेसिन से कोयले की कुशल निकासी में मदद करेगी। प्रस्तावित लाइन तालचेर कोयला क्षेत्रों से कोयले के परिवहन की सुविधा प्रदान करती है, इससे 21 कोयला ब्लॉकों को फर्स्ट माइल रेल कनेक्टिविटी मिलेगी। जिससे रेल हेड की औसत दूरी 43 किमी से घटकर 4.2 किमी रह जाती है, जिससे लॉजिस्टिक दक्षता में वृद्धि होती है और लोहा व इस्पात जैसे प्रमुख उद्योगों के लिए लागत कम होती है।
उत्तर प्रदेश में लखनऊ मेट्रो रेल परियोजना चरण I-B पूर्व-पश्चिम कॉरिडोर (चारबाग से वसंत कुंज)
इस परियोजना में शहर की बढ़ती परिवहन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए लखनऊ मेट्रो कॉरिडोर को 11.165 किलोमीटर तक विस्तारित करना शामिल है जबकि मौजूदा मेट्रो लाइन के जरिए प्रति दिन 80,000 यात्री यात्रा करते हैं। इस अतिरिक्त नई लाइन से अतिरिक्त 200,000 यात्रियों को लाभ मिलने की उम्मीद है। यह प्रस्तावित नया कॉरिडोर शहर के सबसे घनी आबादी वाले केंद्रीय व्यापारिक जिलों (सीबीडी) को फायदा पहुंचाएगा, जिसमें अमीनाबाद, आलमबाग, फैजाबाद और चारबाग क्षेत्र शामिल हैं। स्टेशनों को रणनीतिक रूप से फुट ओवरब्रिज (एफओबी) और अंडरपास के माध्यम से इंटरचेंज के सहारे निर्बाध रूप से जोड़ने का प्रस्ताव है। इस परियोजना पर 5,801 करोड़ रुपये खर्च होने की उम्मीद है और इसका उद्देश्य एक इंटीग्रेटेड नेटवर्क के माध्यम से भीड़भाड़, वाहन प्रदूषण को कम करना और सार्वजनिक परिवहन पहुंच को बढ़ाना है।
गुजरात में एनएच-47 (नारोल जंक्शन से सरखेज जंक्शन) के एलिवेटेड कॉरिडोर सहित मौजूदा 6 लेन सड़क का उन्नयन
इस ब्राउनफील्ड परियोजना में अहमदाबाद के दक्षिणी भाग में प्रमुख राजमार्गों और एक्सप्रेसवे से जुड़ने वाले बढ़ते यातायात की भीड़ को दूर करने के लिए 1,295 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से एनएच-47 के 10.63 किलोमीटर खंड को अपग्रेड करना शामिल है। इस परियोजना का उद्देश्य सुचारु और सुरक्षित यातायात प्रवाह को बढ़ाना है, जिससे सेवा स्तर में सुधार होगा। एनएच-47 के इस महत्वपूर्ण खंड को अपग्रेड करने से माल और लोगों की अधिक कुशल आवाजाही की सुविधा मिलने की उम्मीद है, जिससे क्षेत्र की आर्थिक मजबूती में योगदान मिलेगा।
महाराष्ट्र में चोकक से सांगली (अंकाली) तक एनएच-166 के खंड को 4 लेन का बनाया जाना
इस परियोजना में एनएच-166 के 33.6 किलोमीटर लंबे हिस्से को चार लेन का बनाना शामिल है, जिससे महाराष्ट्र राज्य के कोल्हापुर और सांगली के बीच प्रमुख क्षेत्रों के बीच संपर्क बढ़ेगा, जिसकी अनुमानित लागत 864 करोड़ रुपये है। इस विकास से यात्रा का समय 50 प्रतिशत और दूरी लगभग 5.4 किलोमीटर कम हो जाएगी। इसका पर्यावरणीय विशेषताओं पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा। इस सड़क के सुधार से ईंधन और समय की बचत होगी और साथ ही वाहनों से निकलने वाले धुएं के कारण होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने में भी मदद मिलेगी।
नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप (एनपीजी) ने पीएम गतिशक्ति के सिद्धांतों के परिप्रेक्ष्य से सभी परियोजनाओं का आकलन किया, यानी मल्टीमॉडल इंफ्रास्ट्रक्चर विकास का एकीकृत विकास, आर्थिक और सामाजिक नोड्स के लिए अंतिम छोर तक कनेक्टिविटी, इंटरमॉडल कनेक्टिविटी और परियोजनाओं का संभावित समन्वित कार्यान्वयन। इन परियोजनाओं से राष्ट्र निर्माण, परिवहन के विभिन्न साधनों को एकीकृत करने और पर्याप्त सामाजिक-आर्थिक लाभ और जीवन को आसान बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है, जिससे क्षेत्रों के समग्र विकास में योगदान मिलेगा।