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गुजरात राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, गांधीनगर ने EPFO के प्रवर्तन/लेखा अधिकारियों के छठे बैच के चार सप्ताह के प्रवेश प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन सत्र का आयोजन किया

रिजवान उद्दीन, क्षेत्रीय भविष्‍य निधि आयुक्त और पीडीयूएनएएसएस के मुख्य शिक्षण अधिकारी (सीएलओ) ने गांधीनगर स्थित एनआईडी के स्नातकोत्तर छात्रों और जीएनएलयू, गांधीनगर में ईपीएफओ के प्रवर्तन अधिकारियों/लेखा अधिकारियों को संबोधित किया।

एनआईडी, गांधीनगर ने 26 दिसंबर को स्नातकोत्तर छात्रों के लिए ‘‘लक्ष्य निर्धारण के माध्यम से प्रेरणा’’ विषय पर एक विशेष सत्र का आयोजन किया। यह एक अत्यंत संवादात्मक और रुचिकर सत्र था जिसमें वक्ता ने छात्रों की सक्रिय भागीदारी की सराहना की। सफलता, असफलता, चुनौतीपूर्ण लक्ष्य और उन्हें प्राप्त करने की योजना जैसे प्रासंगिक प्रश्न वार्ता के कुछ रोचक पहलू थे। इसमें अनुशासन, इच्छाशक्ति, दृष्टिकोण, विश्वास, समन्वय और निरंतरता पर बल दिया गया। एनआईडी के प्रमुख अधिकारी डॉ. भाविन कोठारी ने इस वार्ता का संचालन किया जबकि पीडीयूएनएएसएस के आरपीएफसी-I और सीएलओ रिजवान उद्दीन ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि प्रतिष्ठित एनआईडी के विद्वानों ने वार्ता को इतनी गंभीरता से लिया और अपने लक्ष्यों पर कार्य करके सत्र के उद्देश्य को आगे बढ़ाने में रुचि दिखाई।

सुबह, गुजरात राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (जीएनएलयू), गांधीनगर ने पंडित दीन दयाल उपाध्याय राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा अकादमी (पीडीयूएनएएसएस), कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) की राष्ट्रीय अकादमी के सहयोग से कर्मचारी भविष्य निधि संगठन, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय, भारत सरकार के प्रवर्तन अधिकारियों/लेखा अधिकारियों के छठे बैच के चार सप्ताह का ‘‘प्रवेश प्रशिक्षण कार्यक्रम’’ का आयोजन किया।

प्रवेश प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन सत्र 26 दिसंबर 2025 को निर्धारित किया गया था जिसमें रिजवान उद्दीन, आरपीएफसी-I और मुख्य शिक्षण अधिकारी, पीडीयूएनएएसएस, डॉ. नितिन मलिक, कुलसचिव, जीएनएलयू उपस्थित रहे।

प्रवेश प्रशिक्षण कार्यक्रम 1 दिसंबर 2025 को शुरू हुआ। इसमें 62 प्रवर्तन/लेखा अधिकारी उपस्थित रहे। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में कानून से संबंधित विभिन्न महत्वपूर्ण और संगत विषयों पर कुल 81 सत्र आयोजित किए गए जिनमें अधिकारियों को 121.5 घंटे का प्रशिक्षण दिया गया। प्रवेश प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान कुल छब्बीस संसाधन व्यक्तियों (जिनमें ईपीएफओ के अनुभवी अधिकारी शामिल थे) ने सत्र का संचालन किया।

इन सत्रों में आपराधिक कानून, नागरिक कानून, साक्ष्य अधिनियम, संवैधानिक प्रावधान, प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत, अर्ध-न्यायिक प्राधिकरणों का महत्व और संबंधित प्रावधान, पीओएसएच अधिनियम, साइबर कानून, खरीद प्रबंधन, राजभाषा, अनुबंध कानून, व्याख्या नियम, श्रम कानून, नए श्रम संहिता और पेशेवर शिष्टाचार और व्यक्तिगत साज-सज्जा सहित विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों को शामिल किया गया।

प्रशिक्षण के अंतिम दिन, रिजवान उद्दीन, आरपीएफसी-I ने दो सत्रों में प्रशिक्षार्थियों को संबोधित किया जिसमें ‘‘संविदा कर्मचारियों’’ के प्रति प्रधान नियोक्ताओं की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को दो महत्वपूर्ण निर्णयों – ‘‘एचएसडब्ल्यूसीएल बनाम आरपीएफसी’’ (कलकत्ता उच्च न्यायालय) और ‘‘एफसीआई बनाम आरपीएफसी’’ (दिल्ली उच्च न्यायालय) के माध्यम से विस्तार से समझाया गया। जीएनएलयू के कुलसचिव नितिन मलिक ने पाठ्यक्रम समन्वयक हार्दिक पारिख द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की और प्रशिक्षार्थियों के अनुशासन की प्रशंसा की। प्रशिक्षु अधिकारियों ने एक खुले और अनौपचारिक माहौल में अपनी प्रतिक्रिया साझा की। हार्दिक पारिख ने छब्बीस दिनों के प्रशिक्षण की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की।

समापन सत्र के दौरान अधिकारियों को राष्ट्रीय हित में कार्य करने और उन्हें दिए गए ज्ञान का सर्वोत्तम उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। रिजवान उद्दीन, आरपीएफसी-I और सीएलओ, पीडीयूएनएएसएस ने ग्राहक केंद्रित सेवा वितरण और गहन शिक्षण की आवश्यकता पर बल दिया। प्रशिक्षुओं को ईपीएफओ में कार्य करते हुए निर्णायक, सेवा उन्मुख, उत्तरदायी और सहयोगी होने के लिए प्रेरित किया गया। उन्हें सरकारी सेवाओं में कानून के महत्व के बारे में भी जागरूक किया गया और न्याय के हित में हितधारकों का अधिकतम लाभ सुनिश्चित करने की दिशा में कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया गया।

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