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Home Minister Amit Shah addressed the conference on Extradition of Fugitives Challenges and Strategies organized by CBI in New Delhi today.
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गृह मंत्री अमित शाह ने आज नई दिल्ली में CBI द्वारा आयोजित ‘भगोड़ों का प्रत्यर्पण: चुनौतियां और रणनीतियां’ विषय पर सम्मेलन को संबोधित किया

केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज नई दिल्ली में CBI द्वारा आयोजित Conference on Extradition of Fugitives: Challenges and Strategies को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित किया। इस अवसर पर केन्द्रीय गृह सचिव, विदेश सचिव, निदेशक, निदेशक, आसूचना ब्यूरो और केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो के निदेशक सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

इस अवसर पर अपने संबोधन में केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में आज हमारा देश विश्व में आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे में हमारे लिए देश की सुरक्षा के सभी आयामों को सुनिश्चित करना बेहद ज़रूरी हो जाता है। देश में भ्रष्टाचार, अपराध और आतंकवाद के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस रखते हुए भारत की सरहदों से बाहर रहकर इन गतिविधियों को चलाने वालों के खिलाफ भी ज़ीरो टॉलरेंस रखे। गृह मंत्री ने कहा कि ऐसे सभी अपराधियों को भारतीय कानूनों के दायरे में लाने का प्रयास और इसके लिए एक सुनिश्चित तंत्र बनाने की ज़िम्मेदारी भी हमारी है। यह सम्मेलन, भारतपोल और हमारे तीन नए आपराधिक कानूनों में उपलब्ध प्रावधानों के साथ हम किसी भी भगोड़े अपराधी को भारतीय अदालत के सामने प्रस्तुत करने में सक्षम बनने का एक संगठित प्रयास है और इसके लिए रोडमैप प्रदान करेगा। केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि उनके द्वारा लगभग डेढ़ साल पहले दिए गए सुझाव पर अमल करते हुए CBI ने भगोड़ों के प्रत्यर्पण से संबंधित विचार को ज़मीन पर उतारा है और इसके लिए संस्था बधाई की पात्र है।

अमित शाह ने कहा कि हम सबका यह संकल्प होना चाहिए कि अपराधी की चाल कितनी भी तेज़ हो, न्याय की पहुंच उससे भी अधिक गतिवान होनी चहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में एक मज़बूत भारत, सीमाओं की सुरक्षा के साथ-साथ Rule of Law की मज़बूती सुनिश्चित करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि इस दो दिवसीय कार्यशाला में हम Global Operation, Strong Coordination और Smart Diplomacy का समन्वय सुनिश्चित करेंगे। आज के सम्मेलन का विषय बेहद गंभीर और प्रासंगिक है। राष्ट्रीय सुरक्षा, देश की आर्थिक समृद्धि और नीतिगत जटिलता से मुक्ति पाने के लिए इस सम्मेलन में होने वाली चर्चाएं और सुझाए गए उपाय बहुत लाभप्रद सिद्ध होंगे। सम्मेलन के दौरान सात सत्रों में अनेक विषयों पर सार्थक चर्चा होगी जिनमें साइबर तकनीक, वित्तीय अपराध, पैसे के स्रोत और लेन-देन के प्रवाह का पता लगाना, प्रत्यर्पण की जटिल प्रक्रियाओं को सरल बनाना, भगोड़ों को वापिस लाना, उनके भौगोलिक ठिकानों का डेटाबेस तैयार करना और अंतरराष्ट्रीय पुलिस के साथ सहयोग कर इस तंत्र का उपयोग करना, जैसे विषय शामिल हैं।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि भगोड़े अपराधियों का मुद्दा देश की संप्रभुता, आर्थिक स्थिरता और कानून व्यवस्था के साथ-साथ देश की सुरक्षा के साथ भी जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि बहुत लंबे समय के बाद इस विषय पर एक structured सोच विकसित हो रही है। उन्होंने कहा कि हर भगोड़े के खिलाफ ruthless approach के साथ समयबद्ध तरीके से उसे भारतीय न्याय व्यवस्था के सामने खड़ा करने की व्यवस्था सुनिश्चित करने का समय अब आ गया है। अमित शाह ने कहा कि किसी भी प्रकार के भगोड़े को पकड़ने के लिए दो चीज़ों का combination अनिवार्य होता है – assurance और ecosystem। उन्होंने कहा कि हमें भगोड़े अपराधियों के मन में से इस assurance को खत्म करना चाहिए कि कानून उन तक नहीं पहुंच सकता। इसके साथ ही, कानूनी, वित्तीय और राजनीतिक सपोर्ट के ecosystem को भी हमें समाप्त करना होगा। उन्होंने कहा कि भगोड़ों द्वारा बाहर जाकर बनाए गए संस्थागत nexus को भी हमें समाप्त करना होगा।

अमित शाह ने कहा कि भारतीय प्रत्यर्पण प्रणाली में दो चीज़ों की ज़रूरत है – purpose और process। उन्होंने कहा कि हमारी प्रत्यर्पण प्रणाली के 5 उद्देश्य होने चाहिए – सीमाओं के परे न्याय की पहुंच को सुनिश्चित करना, राष्ट्रीय सुरक्षा को सुदृढ़ कर इनकी पहचान की प्रणाली को अत्याधुनिक और सटीक बनाना, कानून और न्यायिक व्यवस्था के प्रति हमारी अंतरराष्ट्रीय विश्वसनीयता को बढ़ाना, हमारी आर्थिक प्रणाली की रक्षा के साथ दुनिया के देशों को हमारी चिंता में शामिल करना और Rule of Law को वैश्विक रूप से स्वीकृति दिलाना। अमित शाह ने कहा कि seamless communication, strategic approach और संगठित निष्पादन के process को सुधारकर हम इस लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि CBI के सहयोग से हर राज्य को अपने यहां एक ऐसी यूनिट खड़ी करनी होगी जो राज्य में अपराध करके भागे हुए भगोड़ों को वापिस लाने के तंत्र की रचना करे और Whole of Government Approach से हमें इसे गति भी देनी होगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी आने के बाद कई प्रकार के बदलाव हमने किए हैं। उन्होंने कहा कि 2018 में हम भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम लाए, जिसके तहत सरकार को आर्थिक भगोड़ों की भारत में मौजूद संपत्तियों को ज़ब्त करने का अधिकार दिया गया और 4 साल में सरकार ने लगभग 2 बिलियन डॉलर की रिकवरी की है। उन्होंने कहा कि मनी लॉंडरिंग कानून को और अधिक सख्त औऱ पुख्ता किया गया है और 2014 से 2023 के बीच लगभग 12 बिलियन डॉलर की संपत्ति अटैच की गई है। उन्होंने कहा कि CBI ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भगोड़ों को पकड़ने के लिए एक विशेष Global Operation Centre स्थापित किया है जो दुनियाभर की पुलिस से real-time समन्वय स्थापित कर रहा है। जनवरी, 2025 से सितंबर तक 189 से अधिक Red Corner Notice जारी किए गए हैं, जो सीबीआई के इतिहास में सबसे ज्यादा है। उन्होंने कहा कि Operation Trishul के तहत बहुत अच्छी कार्रवाई हुई और उसके नतीजे भी मिले हैं। इसी प्रकार, जनवरी, 2025 में भारतपोल की स्थापना से अब तक बहुत अच्छे नतीजे प्राप्त हुए हैं।

अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार 160 साल पुराने औपनिवेशिक कानूनों को बदलकर नए आपराधिक कानून लेकर आई है जो 21वीं सदी का सबसे बड़ा रिफॉर्म हैं। उन्होंने कहा कि 2027 के बाद किसी भी FIR में सप्रीम कोर्ट तक तीन साल में न्याय मिल सकेगा। उन्होंने कहा कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) में 355 और 356वें खंड में Trial In Absentia का प्रावधान रखा है। उन्होंने कहा कि भारत की आज़ादी के बाद पहली बार इसे कानून में जगह मिली है। अमित शाह कहा कि अगर कोई व्यक्ति भगोड़ा घोषित होता है तो उसकी अनुपस्थिति में भी अदालत उसके बचाव में एक वकील रखकर ट्रायल चला सकता है। उन्होंने कहा कि एक बार भगोड़े से सज़ायाफ्ता घोषित बनने के बाद अंतरराष्ट्रीय कानूनों में उस व्यक्ति के status में बहुत बड़ा बदलाव आ जाता है। उन्होंने कहा कि हम BNSS में उपलब्ध Trial In Absentia के प्रावधान का अधिकतम उपयोग करें और भगोड़ों की अनुपस्थिति में ही ट्रायल चलाएं।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आज के सम्मेलन में से निकले actionable points, भारतपोल और Trial In Absentia को समाहित कर एक ऐसा तंत्र बनाने की ज़रूरत है जो राज्य की पुलिस और सभी केन्द्रीय एजेंसियों में भी हो और CBI इसकी अधिकृत रूप से देखभाल करे। उन्होंने कहा कि भगोड़ों के डेटाबेस को हमें बहुत अच्छे तरीके से पूरे देश की पुलिस के साथ साझा करने की व्यवस्था करनी चाहिए। अमित शाह ने कहा कि नार्को, आतंकवाद, गैंग्स्टर और वित्तीय एवं साइबर अपराध के लिए समन्वय करने वाला एक focus group सभी राज्यों की पुलिस के अंदर स्थापित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि IB और CBI को Multi Agency Center (MAC) के माध्यम से इस focus group को गति देने का काम करना चाहिए। अमित शाह ने कहा कि हर राज्य की पुलिस को प्रत्यर्पण के मामलों की प्रभावी तैयारी के लिए एक Expert Special Cell की रचना जल्द से जल्द करनी चाहिए और इन Special Cell को मार्गदर्शन देने के लिए CBI में भी प्रत्यर्पण अनुरोधों की समीक्षा के लिए एक समर्पित प्रकोष्ठ बनाने की जरूरत है।

अमित शाह ने कहा कि हमें Trial In Absentia की धारा का उपयोग अधिक से अधिक करना चाहिए और हर राज्य में अंतरराष्ट्रीय मानांको के अनुरूप भगोड़ों के लिए विशेष कारागृह बनाने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि हमें पासपोर्ट जारी करने की प्रक्रिया और कानून प्रवर्तन एजेसियों के बीच समन्वय और प्रोटकॉल विकसित करने होंगे, जिससे किसी भी पासपोर्ट धारक के विरूद्ध Red Corner Notice जारी होने की प्रक्रिया शुरू होने पर उसके पासपोर्ट को Red Flag किया जा सके। अमित शाह ने कहा कि मौजूदा Blue Corner Notice को Red Corner Notice में बदलने के लिए भी एक विशेष अभियान और इसके लिए हर राज्य में एक विशेष प्रकोष्ठ बनाने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि MAC के तहत इस पूरी प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाने के लिए CBI और IB को एक विशेष कार्यबल की रचना करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जब तक हमारे देश के अर्थतंत्र, संप्रभुता और सुरक्षा को नुकसान कर विदेशों में बैठे हुए लोगों के मन में हम भारतीय न्याय प्रणाली का भय खड़ा नहीं करते तब तक हम देश को सुरक्षित नही कर सकते।

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