गृह मंत्री अमित शाह ने इस आरोपों को खारिज कर दिया है कि एक राष्ट्र, एक चुनाव विधेयक संघवाद के सिद्धांतों को कमजोर करता है। नई दिल्ली में निजी टीवी चैनल द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होना कोई नई बात नहीं है।
इस देश में तीन चुनाव वन नेशन वन इलेक्शन के तहत। बावन में सभी चुनाव एक साथ हुए, 57 में कई चुनाव अलग हो रहे थे, तो आठ राज्यों की एसेंबली भंग कर दी गई और चुनाव एक साथ कराए। इसका तीसरा चुनाव भी कमोवेश वन नेशन वन इलेक्शन हुआ। ये टूटा कहां, टूट वहां कि जब जवाहरलाल नेहरू ने केरल में एक सरकार तोड दी, कम्यूनिस्ट पार्टी नंबूदरीपाद की सरकार थी उसको तोड़ दिया और जो इंदिरा गांधी ने तो सरकार तोडने के सारे रिकार्ड तोड दिए। तो मिडटर्म इलेक्शन शुरू हुए और 71 में चुनाव जीतने के लिए लोकसभा का भी विसर्जन समय से पहले हो गया, वहां से मिसमैच हुआ है।
अमित शाह ने 2014 और 2019 में ओडिशा में एक साथ हुए विधानसभा और लोकसभा चुनाव का उदारहण देते हुए कहा- 14 में भी मोदीजी थे, ओडिसा में चुनाव एक साथ हुआ, एसेंबली में हम हार गये थे। 19 में भी मोदीजी थे, वहां एक साथ चुनाव हुआ, हम हार गये थे। 19 में पूरे देश में प्रचंड बहुमत मिला था, आंध्रप्रदेश में हम हार गये थे। ऐसा नहीं होता है आप जनता को क्या समझते हैं। जनता क्षीर-नीर करने की क्षमता सबसे ज्यादा अगर किसी में दुनिया भर की जनता में है, तो भारत की जनता में है। वह अच्छे से एक्सचेंज नही करती, इसपर भरोसा करना चाहिए।
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