केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज गुजरात के वाव-थराद जिले में बनास डेयरी द्वारा नवनिर्मित बायो सीएनजी और फर्टिलाइजर प्लांट का उद्घाटन एवं 150 टन के पावडर प्लांट का शिलान्यास किया। इस अवसर पर गुजरात के विधानसभा अध्यक्ष शंकर चौधरी, केन्द्रीय सहकारिता राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर और मुरलीधर मोहोल, केन्द्रीय सहकारिता सचिव डॉ. आशीष भूटानी सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि बनासकांठा में बनास डेयरी की शुरुआत करने वाले गलबाभाई नानजीभाई पटेल ने जो यात्रा शुरू की थी, वह धीरे-धीरे बढ़ते-बढ़ते इस मुकाम पर पहुँच गई है कि आज यहाँ 24 हजार करोड़ रुपए तक का कारोबार हो रहा है। उन्होंने कहा कि वह देश भर में जहाँ भी जाते हैं, वहाँ गर्व से कहते हैं कि गुजरात के गाँवों को समृद्ध बनाने का काम गुजरात की माताओं-बहनों ने किया है। यहाँ के किसान भाइयों, विशेष रूप से सहकारी आंदोलन के अगुआ लोगों, गाँव की दूध मंडलियों के चेयरमैन और बनास डेयरी के डायरेक्टर्स को शायद पता भी न हो कि उन्होंने कितना बड़ा चमत्कार कर दिखाया है। उन्होंने कहा कि 24 हजार करोड़ रुपए की कंपनी खड़ी करना बड़े-बड़े कॉर्पोरेट्स के लिए भी पसीना छुड़ाने वाला काम होता है, लेकिन बनासकांठा की बहनों और किसानों ने देखते-ही-देखते 24 हजार करोड़ रुपए की कंपनी खड़ी कर दी।
अमित शाह ने कहा कि आज वह अपने साथ देश की संसद के दोनों सदनों—लोकसभा और राज्यसभा—के सांसदों को लेकर आए हैं। उन्होंने कहा कि आगामी जनवरी में पूरे देश की सभी डेयरियों के लगभग 250 चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर बनासकांठा के सहकारी डेयरी क्षेत्र में हुए चमत्कार को अपनी आँखों से देखने आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि 1985-87 के अकाल के बाद जब वह इस इलाके में आते थे और किसानों से पूछते थे तो बताया जाता था कि वह पूरे साल में सिर्फ एक फसल उगा पाते हैं, लेकिन अब बनासकांठा का किसान एक साल में तीन-तीन फसल उगाता है। मूंगफली भी उगाता है, आलू भी उगाता है, गर्मियों में बाजरा भी बोता है और खरीफ की फसल भी लेता है, जबकि पच्चीस साल पहले बनासकांठा में तीन फसल की खेती करना एक स्वप्न मात्र था।
केन्द्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने गुजरात के उन इलाकों से यहाँ पानी की उपलब्धता कराने का काम किया, जहां पानी प्रचुर मात्र में उपलब्ध था। उन्होंने कहा कि सुजलाम-सुफलाम योजना के तहत नर्मदा और माही नदी का अतिरिक्त पानी बनासकांठा पहुँचा। पहले यहाँ का किसान दूसरों के खेतों में मजदूरी करता था। आज उसी किसान ने अपनी जमीन को स्वर्ग बना दिया और पूरे बनासकांठा को समृद्ध बना दिया।
अमित शाह ने कहा कि हमारी यह परंपरा या आदत नहीं रही कि कोई बड़ा काम करने पर उसका पूरा दस्तावेजीकरण किया जाए या उसका इतिहास लिखा जाए। लेकिन उन्होंने दो विश्वविद्यविद्यालयों को जिम्मेदारी सौंपी है कि वे बनासकांठा और मेहसाणा में जल-संचय तथा पानी के माध्यम से आई समृद्धि और लोगों के जीवन में आए परिवर्तन पर विस्तृत रिसर्च करें। उन्होंने कहा कि बनासकांठा का यह परिश्रम स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा और पूरे देश के ग्रामीण विकास के इतिहास में एक प्रेरणास्त्रोत बनकर उभरेगा। उन्होंने कहा कि खुशी की बात यह है कि इस परिश्रम में महिलाओं का बड़ा योगदान है। अमित शाह ने कहा कि 24 हजार करोड़ रुपए के इस विशाल कारोबार में दूध इकट्ठा करने की सारी मेहनत बनासकांठा की बहनों, बेटियों और माताओं के हाथों से हुई है। उन्होंने कहा कि इन महिलाओं ने महिला सशक्तिकरण की बातें करने वाली विश्व की तमाम एनजीओ के सामने सबसे जीवंत और सबसे बड़ा उदाहरण प्रस्तुत कर दिया है। ऐसी पारदर्शी व्यवस्था खड़ी हो चुकी है कि बिना किसी आंदोलन या बिना किसी नारे के, सीधे माताओं-बहनों के बैंक खाते में हर हफ्ते उनके दूध का पूरा पैसा पहुँच रहा है।
केन्द्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि बनास डेयरी आज एशिया की सबसे बड़ी दुग्ध उत्पादक डेयरी बन चुकी है। इसमें गलवा काका का बड़ा योगदान है। गलबा काका ऐसे व्यक्तित्व थे जिनके हृदय में केवल किसान हित की भावना बसती थी। वर्ष 1960 में वडगाम और पालनपुर – सिर्फ दो तहसीलों के मात्र आठ गाँवों की दूध मंडलियों से शुरू हुई यह यात्रा आज 24 हजार करोड़ रुपए के टर्नओवर तक पहुँच गई है। उन्होंने कहा कि गलबाभाई द्वारा शुरू की गई परंपरा का मूल मंत्र बहुत सरल था कि “हमारे पास रुपये तो कम हैं, लेकिन हम खूब सारे लोग हैं।” अमित शाह ने कहा कि बहुत सारे लोगों द्वारा थोड़े-थोड़े रुपए इकट्ठा करके बड़ा काम करने का उनका विचार एक विशाल वटवृक्ष बन गया है, जो देश ही नहीं, विश्व के सभी सहकारी आंदोलनों को प्रेरणा दे रहा है।
अमित शाह ने कहा कि आज बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर की पुण्यतिथि है। उन्होंने कहा कि बाबा साहब ने जो संविधान इस देश को दिया, उसके बल पर दलित, गरीब, आदिवासी और पिछड़े वर्ग के लोग भी सम्मानपूर्ण जीवन जी सकें, ऐसी मजबूत व्यवस्था खड़ी हुई है। उन्होंने कहा कि वह बाबा साहब को हृदयपूर्वक श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। अमित शाह ने कहा कि लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित किए जा रहे कार्यक्रमों के तहत गुजरात में चल रही एक विशाल पदयात्रा का समापन समारोह भी आज ही है। उन्होंने कहा कि किसान और सहकारिता का मूल विचार सरदार साहब का ही था। गुजरात ने उसे अपनाया और आज वह विचार एक विशाल वटवृक्ष बन गया है।
केन्द्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि आज यहाँ कई नई शुरुआतें हुई हैं, जिसके तहत बायो सीएनजी प्लांट और मिल्क पाउडर प्लांट का उद्घाटन और अत्याधुनिक प्रोटीन प्लांट एवं हाई-टेक ऑटोमैटिक पनीर प्लांट का लोकार्पण हुआ। उन्होंने कहा कि बनास डेयरी ने सर्कुलर इकोनॉमी के जो अभिनव प्रयोग किए हैं, परामर्शदात्री समिति के सदस्य सांसदों को उससे अवगत कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि अभी तक अमूल के नेतृत्व में गुजरात की डेयरियाँ दूध इकट्ठा करती थीं, प्रोडक्ट बनाती थीं, बेचती थीं और जो लाभ होता था, उसे सीधे बहनों और किसानों के बैंक खाते में डाल देती थीं। इस मामले में हम दुनिया में सबसे आगे रहे हैं। लेकिन अब समय आ गया है कि हम डेयरी को पूरी तरह सर्कुलर इकोनॉमी बनाएँ। उन्होंने कहा कि गाय-भैंस का एक ग्राम गोबर भी बर्बाद न हो – उससे जैविक खाद बने, बायो-गैस बने, बिजली बने और उससे जो कमाई हो, वह भी वापस किसान के पास आए। उन्होंने कहा कि बनास डेयरी ने जो बायो CNG प्लांट की परंपरा खड़ी की, वह देश भर की सहकारी समितियों के लिए आदर्श बनेगी। अमित शाह ने कहा कि दुनिया में ऐसे बहुत-से हाई-वैल्यू डेयरी प्रोडक्ट हैं जो अभी भारत में नहीं बन रहे। उन्होंने कहा कि वह आज ही अमूल के चेयरमैन को एक पूरी लिस्ट दे रहे ताकि उन प्रोडक्ट्स के उत्पादन का काम तुरंत शुरू हो। उन्होंने कहा कि इन प्रोडक्ट्स की कीमत बहुत अधिक मिलती है और विश्व बाजार में इनकी भारी माँग है। अगर हम सिर्फ दही, घी, पनीर बनाने की बजाय इन हाई-वैल्यू प्रोडक्ट्स पर ध्यान देंगे, तो हमारे किसान भाइयों-बहनों को कई गुना अधिक लाभ होगा।
अमित शाह ने कहा कि हमें अब डेयरी के साथ-साथ बायोगैस बनाने की शुरुआत करनी है, बायो-सीएनजी बनाने की शुरुआत करनी है। उन्होंने कहा कि अब समग्र भारत की को-ऑपरेटिव डेयरियाँ पशु आहार भी बाजार से नहीं खरीदेंगी। उसे भी को-ऑपरेटिव स्तर पर ही बनाया जाएगा और पशु आहार बनाने से जो लाभ होगा, वह भी सीधे हमारी बहनों के बैंक खाते में पहुँचेगा। उन्होंने कहा कि इस पूरी व्यवस्था के लिए टेक्नोलॉजी भी चाहिए, फाइनेंस भी चाहिए – यह सब भारत सरकार ने मोदी जी के नेतृत्व में तैयार कर दिया है।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि किसानों के लिए तीन नई राष्ट्रीय को-ऑपरेटिव सोसाइटी बनाई गई हैं – बीज उत्पादन एवं वितरण के लिए, जैविक उत्पादों की मार्केटिंग के लिए और कृषि निर्यात के लिए। वहीं, डेयरी क्षेत्र के लिए तीन राष्ट्रीय स्तर की को-ऑपरेटिव बनाई गई हैं। उन्होंने कहा कि ये कुल छह को-ऑपरेटिव संस्थाएं मिलकर अब खेती से जुड़ा हर काम करेंगी – चाहे Cheese बनाना हो, प्रोटीन बनाना हो, डेयरी व्हाइटनर, मावा, आइसक्रीम, बेबी फूड बनाना हो; तेल की पैकेजिंग, आटा, शहद, कोल्ड स्टोरेज, आलू चिप्स, बीज उत्पादन या पशु आहार बनाना हो – सारी चीजें डेयरी की इकोनॉमी के अंतर्गत आएंगी और उसका पूरा लाभ पशुपालक के खाते में पहुँचे, यह भारत सरकार का स्पष्ट और मजबूत प्लान है। अमित शाह ने कहा कि वे बनासकांठा के भाइयों-बहनों को भरोसा दिलाते हैं कि पाँच साल के अंदर, सिर्फ दूध के बढ़ते उत्पादन से जो लाभ होगा वह अलग रहेगा, लेकिन आज जितना दूध आता है उसी मात्रा में भी सर्कुलर इकोनॉमी से आपकी आमदनी कम से कम 20 प्रतिशत से अधिक बढ़ जाएगी। इसका पूरा डिटेल्ड प्लान तैयार कर लिया गया है और बहुत सौभाग्य की बात है कि इस पूरी डिटेल्ड प्लानिंग का केंद्र बनास डेयरी का हेडक्वार्टर ही बनेगा। उन्होंने विश्वास जताया कि बनासकांठा की तरह पूरे देश के पशुपालकों और किसानों की आमदनी बढ़ाने का यह मॉडल सफल होगा।
अमित शाह ने कहा कि हर गाँव की दूध मंडली को माइक्रो-एटीएम भी दे दिया गया है, जिससे फाइनेंस का काम बहुत आसान हो गया है। आने वाले दिनों में इसी माइक्रो-एटीएम से फाइनेंस की सुविधा भी शुरू होने वाली है। उन्होंने कहा कि मोदी जी ने श्वेत क्रांति 2.0 के लिए कई बड़े लक्ष्य रखे हैं और पूरा विश्वास है कि राष्ट्रीय गोकुल मिशन, एनिमल हसबैंड्री इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड, पुनर्गठित राष्ट्रीय डेयरी योजना तथा राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम, इन चारों स्तंभों के साथ श्वेत क्रांति 2.0 जरूर सफल होगी। उन्होंने कहा कि बनास डेयरी ने जो परंपरा खड़ी की है, वह केवल बनासकांठा तक सीमित नहीं रहेगी। यह पूरे देश के करोड़ों पशुपालकों के लिए समृद्धि का माध्यम बनेगी।
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