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Important projects on biodiversity conservation were approved in the 58th Executive Committee meeting of the National Clean Ganga Mission
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राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की 58वीं कार्यकारी समिति की बैठक में जैव विविधता संरक्षण पर महत्वपूर्ण परियोजनाओं को मंजूरी दी गई

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के महानिदेशक राजीव कुमार मित्तल की अध्यक्षता में इसकी 58वीं कार्यकारी समिति की बैठक में विभिन्न महत्वपूर्ण परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। इन परियोजनाओं का उद्देश्य गंगा नदी और उसके जलीय जीवों तथा वनस्पति के संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाना है।

कार्यकारी समिति की बैठक में चंबल, सोन, दामोदर और टोंस नदियों के पर्यावरणीय प्रवाह का आकलन करने के लिए एक महत्वपूर्ण परियोजना को मंजूरी दी गई। इस परियोजना की अनुमानित लागत 11 करोड़ रुपये है, जिसका उद्देश्य न केवल इन नदियों के पर्यावरणीय प्रवाह का मूल्यांकन करना है, बल्कि हाइड्रोलॉजिकल और हाइड्रोडायनामिक मॉडल तैयार करना भी है, जिससे प्रवाह प्रणालियों का वैज्ञानिक मूल्यांकन करने में मदद मिलती है। यह मॉडल मौजूदा जलधारा और प्राकृतिक प्रवाह अनुक्रम का अध्ययन करेगा, जिससे न केवल पानी की मात्रा और गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि इन नदी प्रणालियों के भीतर जैव विविधता के बारे में जानकारी हासिल कर उनका रिकॉर्ड बनाया जा सकेगा। इससे उनके पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित और समृद्ध बनाने में मदद मिलेगी।

बैठक में गंगा नदी डॉल्फिन के संरक्षण के लिए एक महत्वाकांक्षी परियोजना को मंजूरी दी गई है। ‘गंगा नदी में फंसी’ डॉल्फिनों के संरक्षण के लिए बचाव प्रणाली को आगे बढ़ाना’ नामक इस परियोजना का अनुमानित बजट एक करोड़ रुपये है। इसका उद्देश्य संकट में फंसी डॉल्फिन की सहायता के लिए एक विशेष बचाव वाहन, ‘डॉल्फिन एम्बुलेंस’ विकसित करना है। इसके अतिरिक्त, यह परियोजना प्रशिक्षण के माध्यम से डॉल्फिन संरक्षण और सामुदायिक क्षमता निर्माण के लिए जागरूकता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करेगी।

उत्तर प्रदेश में गंगा बेसिन में लुप्तप्राय कछुओं के संरक्षण के लिए एक अभिनव और अधिक महत्वपूर्ण परियोजना को भी मंजूरी दी गई है। इस पहल का उद्देश्य न केवल लुप्तप्राय कछुओं की प्रजातियों का पुनर्वास करना है, बल्कि राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य में स्थानिक निगरानी और समय-समय पर इससे संबंधित रिपोर्ट तैयार करने के साथ-साथ तीन अत्यधिक संकटग्रस्त प्रजातियों को फिर से यहां प्राकृतिक वातावरण में छोड़ना भी है। इस परियोजना की अनुमानित लागत 78.09 लाख रुपये है।

कोलकाता के कि‍ओरापुकुर में 50 एमएलडी एसटीपी (मिलियन लीटर प्रतिदिन सेप्टेज ट्रीटमेंट प्लांट) के पुनरुद्धार को 114.27 करोड़ रुपये के संशोधित बजट के साथ मंजूरी दे दी गई है, जो शुरुआती बजट राशि 67.06 करोड़ रुपये से अधिक है। यह महत्वपूर्ण परियोजना कोलकाता में जल शोधन प्रक्रियाओं में सुधार और पर्यावरण मानकों का सख्ती से पालन सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इस परियोजना में 15 वर्ष की अवधि के लिए संचालन और रखरखाव का प्रावधान है, जो लंबी अवधि तक इसकी दीर्घकालिक सफलता सुनिश्चित करता है।

पश्चिम बंगाल के बर्धमान में एकीकृत सेप्टेज ट्रीटमेंट प्लांट परियोजना को संशोधित मंजूरी मिलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। इस परियोजना को पहले के 6.46 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 10.35 करोड़ रुपये के संशोधित बजट के साथ मंजूरी दी गई है। इस परियोजना के तहत 50 केएलडी (किलो लीटर प्रतिदिन) क्षमता वाला एफएसटीपी (फीकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट) बनाया जाएगा, जिसमें न केवल संयंत्र की स्थापना बल्कि पांच साल तक इसके संचालन और रखरखाव का प्रावधान भी शामिल है।

बैठक के दौरान यात्रा वृत्तांत श्रृंखला “रग-रग में गंगा – एक जीवन धारा” के तीसरे सीजन के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इस नए सीजन में गंगा के महत्व और संरक्षण प्रयासों को नए नजरिए से पेश किया जाएगा। इस सीजन में पारिस्थितिकी संतुलन, जलीय जीवन की सुरक्षा, इको-टूरिज्म, सांस्कृतिक विरासत और सक्रिय सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। हिंदी में 16 एपिसोड वाली इस सीरीज में गंगा के पुनरुद्धार की अविश्वसनीय यात्रा को दिखाया जाएगा, जिसमें गंगा डॉल्फिन और घड़ियाल जैसे दुर्लभ जलीय जीवों के संरक्षण और प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा शामिल है। लगभग 6.25 करोड़ रुपये लागत से निर्मित यह सीरीज गंगा नदी से जुड़ी भारत की अमूल्य विरासत को वैश्विक मंच पर दिखाने का एक प्रयास होगा। इस सीरीज का दूरदर्शन पर प्रसारण होगा।

बैठक में जल शक्ति मंत्रालय के जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग की संयुक्त सचिव एवं वित्तीय सलाहकार ऋचा मिश्रा, एनएमसीजी के उप महानिदेशक नलिन श्रीवास्तव, अनूप कुमार श्रीवास्तव, कार्यकारी निदेशक (तकनीकी), एसपी वशिष्ठ, कार्यकारी निदेशक (प्रशासन), भास्कर दासगुप्ता, कार्यकारी निदेशक (वित्त) और एसपीएमजी पश्चिम बंगाल की परियोजना निदेशक नंदिनी घोष उपस्थित थीं।

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