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India and Russia have strengthened bilateral cooperation in fisheries, animal husbandry, and dairy trade.
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भारत और रूस ने मत्स्य पालन, पशुपालन तथा डेयरी व्यापार में द्विपक्षीय सहयोग मजबूत किया

रूस भारत का एक दीर्घकालिक और समय की कसौटी पर परखा हुआ भागीदार रहा है। अक्टूबर 2000 में “भारत-रूस सामरिक भागीदारी की घोषणा” पर हस्ताक्षर होने के बाद से, भारत-रूस संबंध और मजबूत हुए तथा बाद में इन्हें “विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त सामरिक भागीदारी” के स्तर तक उन्नत किया गया। भारत और रूस गहन एवं बहु-स्तरीय राजनीतिक जुड़ावों के माध्यम से अपनी विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त सामरिक भागीदारी को लगातार पोषित कर रहे हैं। सर्वोच्च संस्थागत तंत्र भारत के प्रधानमंत्री और रूस के राष्ट्रपति के बीच वार्षिक शिखर सम्मेलन बना हुआ है और अब तक 22 शिखर सम्मेलन संपन्न हो चुके हैं। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के नेतृत्व में रूसी प्रतिनिधिमंडल 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए 4 से 5 दिसंबर, 2025 के दौरान भारत दौरे पर है।

23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के मौके पर, भारत सरकार के मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री, राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने आज नई दिल्ली के कृषि भवन में रूस की कृषि मंत्री ओक्साना लुट के साथ द्विपक्षीय बैठक की। बैठक के दौरान, दोनों पक्षों ने मत्स्य पालन, पशु और डेयरी उत्पादों में आपसी व्यापार बढ़ाने, बाजार पहुंच के मुद्दों को हल करने और निर्यात के लिए प्रतिष्ठानों की सूची को शीघ्रता से अंतिम रूप देने पर चर्चा की। चर्चा में अनुसंधान, शिक्षा और उभरती हुई एक्वाकल्चर टेक्नोलॉजी, जिसमें गहरे समुद्र में मछली पकड़ने वाले जहाज और प्रसंस्करण शामिल हैं, में सहयोग पर भी ध्यान केंद्रित किया गया।

भारत सरकार के मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री (एफएएचडी) ने इस बात पर जोर दिया कि भारत ने 2024-25 में 7.45 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के मछली और मत्स्य उत्पादों का निर्यात किया, जिसमें रूस को किया गया 127 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निर्यात शामिल है। उन्होंने झींगा, मैकेरल, सार्डिन, टूना, केकड़ा, स्क्विड और कटलफिश जैसे उत्पादों के साथ रूस को निर्यात में विविधीकरण की अपार संभावनाओं को रेखांकित किया। रूसी पक्ष ने भारत से मछली और मत्स्य उत्पाद, मांस और मांस उत्पाद सहित अन्य उत्पाद लेने की इच्छा व्यक्त की और एक संयुक्त तकनीकी परियोजना के माध्यम से ट्राउट मार्केट को विकसित करने में रुचि दिखाई, जिससे संयुक्त उद्यम स्थापित हो सकते हैं।

उन्होंने हाल ही में एफएसवीपीए प्लेटफॉर्म पर 19 भारतीय मछली पालन की जगहों को लिस्ट करने के लिए रूस को धन्यवाद दिया, जिससे कुल सूचीबद्ध भारतीय प्रतिष्ठानों की संख्या 128 हो गई है। इसके साथ ही, उन्होंने लंबित प्रतिष्ठानों की सूची को शीघ्र पूरा करने, गतिविधि विवरणों के नियमित अपडेट और अस्थायी प्रतिबंधों को रद्द करने का अनुरोध किया। उन्होंने डेयरी, भैंस मांस और पोल्ट्री सेक्टर में भारतीय संस्थाओं के लिए भी जल्द अनुमोदन की अपील की और इस संबंध में भारतीय पक्ष से पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया।

मक्खन और अन्य डेयरी उत्पादों के निर्यात के संबंध में, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री ने विशेष रूप से बताया कि 12 भारतीय डेयरी उत्पाद निर्माण कंपनियां, जिनमें हमारा प्रसिद्ध अमूल/गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (जीसीएमएमएफ) भी शामिल है, एफएसवीपीए के साथ पंजीकरण की प्रतीक्षा कर रही हैं। उन्होंने रूसी पक्ष से इन प्रतिष्ठानों को एफएसवीपीए में सूचीबद्ध करने की मंजूरी देने पर विचार करने का अनुरोध किया।

भारत सरकार के माननीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री ने आगे मत्स्य उत्पादों के लिए आपसी व्यापार में सहयोग, गहरे समुद्र में मछली पकड़ने वाले जहाजों के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और रीसर्कुलेटिंग एक्वाकल्चर सिस्टम तथा बायोफ्लॉक जैसी उन्नत जलीय कृषि प्रौद्योगिकियों को अपनाने पर ज़ोर दिया, जैसा कि भारत के केंद्रीय सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने रेखांकित किया। उन्होंने गहरे समुद्र में मछली पकड़ने, जहाज पर प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन के साथ-साथ जलीय कृषि एवं उभरती प्रौद्योगिकियों में सहयोग के लिए क्षमता निर्माण की आवश्यकता पर बल दिया। दोनों पक्ष ट्राउट सहित कोल्डवॉटर फिशरीज़ और मत्स्य पालन व जलीय कृषि में आनुवंशिक सुधार पर काम करने के लिए सहमत हुए।

यह रेखांकित किया गया कि मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी अनुसंधान एवं विकास में सहयोग दोनों पक्षों के लिए आपसी रूप से फायदेमंद होगा, क्योंकि इससे दोनों को इन क्षेत्रों में उन्नत अनुसंधान करने, नवाचार को बढ़ावा देने और खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने के अवसर मिल सकते हैं। इसे प्राप्त करने के लिए, दोनों पक्षों द्वारा अधिकारियों, शोधकर्ताओं और छात्रों सहित विशेषज्ञता का आदान-प्रदान किया जाएगा।

भारत ने इन क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करने हेतु आगे बढ़ने के लिए एक संरचनात्मक तंत्र बनाने का प्रस्ताव रखा। इसके लिए एक समझौता ज्ञापन का उपयोग किया जाएगा। भारत ने रूसी पक्ष से पहले ही साझा किए जा चुके मसौदा समझौता ज्ञापन को अंतिम रूप देने और उस पर हस्ताक्षर की सुविधा प्रदान करने का अनुरोध किया।

ओक्साना लुट ने कृषि सहयोग के सफल इतिहास के आधार पर मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी क्षेत्रों में सहयोग करने के लिए रूस की तत्परता की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि कुछ वस्तुएं रूस में निर्मित होती हैं और कुछ भारत में तथा जिन उत्पादों की रूस को आवश्यकता है, उनकी आपूर्ति भारत द्वारा की जा सकती है और जिन उत्पादों की भारत को आवश्यकता है, उनकी आपूर्ति रूस द्वारा भारत को की जा सकती है, जिससे आपसी व्यापार मजबूत होगा। उन्होंने इस तथ्य पर ज़ोर दिया कि झींगा के निर्यात में भारत रूस के लिए दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है। उन्होंने घनिष्ठ संबंधों के लिए एक व्यापक रूपरेखा पर भी बल दिया।

उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि रूस पशु चिकित्सा वैक्सीन विकास, उपकरण निर्माण और पशु रोग प्रबंधन के क्षेत्र में भारत के साथ सहयोग करना चाहेगा। उन्होंने दोनों पक्षों के विश्वविद्यालयों, अनुसंधान एवं विकास संस्थानों के स्तर पर आगे सहयोग पर बल दिया और कहा कि ऐसा सहयोग सहयोगात्मक पाठ्यक्रमों, छात्रों के आदान-प्रदान, शिक्षाविदों तथा वैज्ञानिकों के माध्यम से नवाचार और उन्नत प्रौद्योगिकियों के लिए और मजबूत होगा।

भारत सरकार के माननीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री ने रूसी प्रतिनिधिमंडल को धन्यवाद देते हुए इस उम्मीद के साथ बैठक का समापन किया कि हमारी यह ऐतिहासिक मित्रता और गहरी होगी, जिससे दोनों देश भारत के माननीय प्रधानमंत्री और रूस के महामहिम राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए और करीब आएंगे।

इस उच्च-स्तरीय बैठक में भारत सरकार के मत्स्य पालन विभाग के केंद्रीय सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी; भारत सरकार के पशुपालन एवं डेयरी विभाग (डीएएचडी) के केंद्रीय सचिव नरेश पाल गंगवार; डीएएचडी की अपर सचिव वर्षा जोशी; डीएएचडी के अपर सचिव रमा शंकर सिन्हा; डीओएफ के संयुक्त सचिव सागर मेहरा; डीओएफ की संयुक्त सचिव नीतू कुमारी प्रसाद; डीएएचडी के संयुक्त सचिव डॉ. मुथुकुमारस्वामी बी; डीएएचडी के पशुपालन आयुक्त डॉ. प्रवीण मलिक; आईसीएआर के उप महानिदेशक (मत्स्य विज्ञान) डॉ. जे.के. जेना; समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष डी.वी. स्वामी; डीओएफ के मत्स्य विकास आयुक्त डॉ. के. मोहम्मद कोया के साथ-साथ मत्स्य पालन विभाग और पशुपालन एवं डेयरी विभाग, भारत सरकार तथा निर्यात निरीक्षण परिषद के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।

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