भारत और वियतनाम, दो ऐसे देश जिनका समुद्री इतिहास समृद्ध और आपस में जुड़ा हुआ है, गुजरात के लोथल में राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (एनएमएचसी) विकसित करने के लिए एक साथ आये हैं। सदियों पुराने समुद्री संबंधों पर आधारित यह साझेदारी दोनों देशों के बीच स्थायी बंधन और साझा विरासत को संरक्षित करने की उनकी प्रतिबद्धता को उजागर करती है। आज, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और वियतनाम के प्रधानमंत्री फाम मिन्ह चीन्ह की उपस्थिति में नई दिल्ली के हैदराबाद हाउस में भारत और वियतनाम के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। यह समझौता ज्ञापन एनएमएचसी को स्वरुप देने के लिए सहयोगात्मक प्रयासों का एक महत्वपूर्ण कदम है, जो दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करेगा।
एनएमएचसी पर सहयोग के तहत, दोनों देशों की समुद्री विरासत को प्रदर्शित करने के उद्देश्य से विभिन्न पहलू शामिल किये जायेंगे। यह परिसर भारत और वियतनाम के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों पर जोर देगा, जो उनके साझा समुद्री इतिहास की निकटता और लंबे समय से चले आ रहे संबंधों को उजागर करेगा। दोनों देश अपने समुद्री इतिहास से संबंधित कलाकृतियों, प्रतिकृतियों, चित्रों, अभिलेखीय डेटा और अन्य पुरावशेषों के आदान-प्रदान और ऋण देने के आधार पर मिलकर काम करेंगे। कलाकृतियों के आदान-प्रदान के अलावा, यह सहयोग डिजाइन, तकनीकी कार्यान्वयन और रखरखाव में विशेषज्ञता साझा करने तक विस्तारित होगा। इसका उद्देश्य एनएमएचसी को एक शैक्षिक और मनोरंजक स्थान बनाना है, जो नवीनतम तकनीक का उपयोग करता है।
केन्द्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, “लोथल में राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर पर भारत और वियतनाम के बीच सहयोग हमारे समृद्ध समुद्री इतिहास को संरक्षित करने और इसकी खुशी मनाने की हमारी साझा प्रतिबद्धता में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह साझेदारी, न केवल हमारे दोनों देशों के बीच गहरे संबंधों को उजागर करती है, बल्कि भविष्य के सांस्कृतिक आदान-प्रदान और रणनीतिक सहयोग के लिए भी मंच तैयार करती है। साथ मिलकर, हम एक ऐसा सेतु बना रहे हैं, जो हमारे अतीत का सम्मान करते हुए एक समृद्ध भविष्य का मार्ग प्रशस्त करता है।“
वियतनाम और भारत समुद्री विरासत पर केंद्रित अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन को बढ़ावा देने, डिजाइन की जानकारी साझा करने और एक समुद्री विरासत और संरक्षण प्रयोगशाला विकसित करने में भी सहयोग करेंगे। एनएमएचसी सांस्कृतिक आदान-प्रदान, अनुसंधान और सीखने के लिए एक केंद्र-बिंदु के रूप में काम करेगा, जिसमें शैक्षिक कार्यक्रमों और प्रदर्शनियों पर ज़ोर दिया जाएगा। यह पहल, न केवल भारत और वियतनाम के समृद्ध समुद्री इतिहास को संरक्षित करेगी, बल्कि दोनों देशों के बीच बेहतर समझ और सहयोग को बढ़ावा देगी, जिससे दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी और मजबूत होगी।
गुजरात सरकार ने एनएमएचसी के लिए सरगवाला गाँव में 400 एकड़ ज़मीन आवंटित की है और परियोजना के लिए बाहरी अवसंरचना का विकास भी किया है।
चरण 1ए का निर्माण कार्य जोरों पर है और 55% से अधिक भौतिक प्रगति पहले ही हासिल की जा चुकी है। अगले साल परियोजना को जनता के लिए खोल दिया जाएगा। समुद्री परिसर में दुनिया के सबसे ऊंचे लाइटहाउस संग्रहालयों में से एक, दुनिया की सबसे बड़ी खुली जलीय गैलरी और भारत का सबसे भव्य समुद्री संग्रहालय होगा, जो इसे एक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल बनाएगा।
मार्च 2022 में शुरू हुई इस परियोजना को लगभग 4500 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया जा रहा है और इसमें कई नवीन और अनूठी विशेषताएं शामिल होंगी। इनमें हड़प्पा वास्तुकला और जीवन शैली के अनुभव के लिए लोथल मिनी मनोरंजन, चार थीम पार्क (स्मृति थीम पार्क, समुद्री थीम पार्क, जलवायु थीम पार्क तथा साहसिक और मनोरंजन थीम पार्क) एवं हड़प्पा काल से लेकर आज तक की भारत की समुद्री विरासत को उजागर करने वाली चौदह गैलरी शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, भारत के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की विविध समुद्री विरासत को प्रदर्शित करने वाला एक तटीय राज्य मंडप भी होगा।
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