“भारत ने 2 वर्षों में 40 से अधिक क्वांटम टेक्नोलॉजी स्टार्ट-अप तैयार किए हैं और जिनमें से कुछ वैश्विक क्षमता वाले हैं”: डॉ. जितेंद्र सिंह
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा “भारत ने 2 वर्षों में 40 से अधिक क्वांटम प्रौद्योगिकी स्टार्ट-अप्स विकसित किए है और उनमें से कुछ वैश्विक क्षमता वाले हैं।
आज नई दिल्ली में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने अधिकारियों को प्रमुख राष्ट्रीय क्वांटम मिशन पर अपना ध्यान केंद्रित करने और क्वांटम प्रौद्योगिकियों एवं क्वांटम संचार के विकास पर काम करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि क्वांटम प्रौद्योगिकियों के मामले में भारत वर्तमान में अन्य देशों के साथ बराबरी पर है। उनके अनुसार हमारा मिशन और दृष्टिकोण क्वांटम प्रौद्योगिकियों के मामले में भारत को एक वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करने का होना चाहिए।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के विकास में स्टार्टअप्स और निजी क्षेत्र की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए ‘भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास’ द्वारा स्थापित बेंगलुरु स्थित स्टार्टअप ‘क्यूयूएनयू लैब्स’ की सफलता की कहानी साझा की, जिसने ‘क्वांटम टेक्नोलॉजीज पर आधारित सुरक्षा उत्पादों के विकास के लिए प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
पिछले दशक में सरकार के विशेष प्रयासों के बाद महिलाओं की बढ़ती भागीदारी और अध्येता विज्ञान प्रौद्योगिकी इंजीनियरिंग गणित (फेलोशिप एसटीईएम) कार्यक्रम के माध्यम से महिला वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को बढ़ावा देने पर डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “पिछले 10 वर्षों में बाह्य (एक्स्ट्राम्यूरल) अनुसंधान और विकास में महिलाओं की भागीदारी दोगुनी हो गई है।” उन्होंने हाल ही में उनके द्वारा उद्घाटन किए गए ‘कॉमन फेलोशिप पोर्टल’ का उल्लेख करते हुए ‘आवेदन करने में सुगमता’ को भी याद किया। उन्होंने यह भी साझा किया कि लगभग 300 महिला वैज्ञानिक एस्पायर योजना के अंतर्गत सरकार से 3 वर्षों के लिए अनुसंधान अनुदान प्राप्त करने जा रही है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि भारत ‘विश्व की स्टार्टअप राजधानी’ बन रहा है, जो 2014 से पहले कुछ सैकड़ों से बढ़कर 2024 में 1.25 लाख से अधिक हो गए हैं और इस समय 110 से अधिक यूनिकॉर्न स्टार्टअप्स अंतरिक्ष क्षेत्र जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भी उत्कृष्ट काम कर रहे हैं। डॉ. सिंह ने वैश्विक नवाचार सूचकांक में भारत की स्थिति (रैंकिंग) में वर्ष 2015 में 81वें से 2023 में 40वें स्थान पर आए भारी उछाल पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने इस तथ्य पर जोर दिया कि प्रकाशनों की संख्या और विज्ञान व इंजीनियरिंग में प्रदान की गई पीएचडी की संख्या के मामले में भारत तीसरे स्थान पर है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने टीम डीएसटी को भविष्य की कार्रवाई के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि “हमारे नवाचार का उद्देश्य प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति को सशक्त बनाने और जीवनयापन में आसानी प्रदान करने का संकल्प होना चाहिए।” उन्होंने स्पष्ट रूप से उल्लेख किया कि प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में अनुकूल वातावरण के कारण भारत में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के विकास के लिए यह सबसे अच्छा समय है। उन्होंने साझा किया कि भारत सरकार ने 2016-2023 तक नेशनल इनिशिएटिव फॉर डेवलपिंग एंड हार्नेसिंग इनोवेशन – निधि (एनआईडीएचआई) में लगभग 900 करोड़ का निवेश किया है, जो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (एस एंड टी) के क्षेत्र में उभरते उद्यमियों का समर्थन कर रहा है।
केंद्रीय मंत्री ने वर्तमान राष्ट्रीय भू-स्थानिक मिशन, अंतःविषय साइबर भौतिक मिशन (इन्टर-डिसिप्लिनरी साइबर फिजिकल मिशन) की प्रगति के बारे में भी जानकारी प्राप्त की। उन्होंने अनुसंधान एनआरएफ पर कानून लाने के सरकार के प्रयासों पर भी प्रकाश डाला।
इस बैठक में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रोफेसर अभय करंदीकर; अपर सचिव सुनील कुमार, सर्वेयर जनरल ऑफ़ इंडिया के हितेश कुमार एस. मकवाना तथा डीएसटी के अंतर्गत विभिन्न संस्थानों के निदेशक, वरिष्ठ वैज्ञानिकों और अधिकारियों के साथ विभिन्न विभागों के प्रमुख उपस्थित रहे।