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India participates in BRICS Justice Ministers meeting, presents legal reforms and initiatives
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भारत ने ब्रिक्स न्याय मंत्रियों की बैठक में भाग लिया, कानूनी सुधारों और पहलों को प्रस्तुत किया

विधि एवं न्याय मंत्रालय के विधि कार्य विभाग ने 18 सितंबर, 2024 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ब्रिक्स न्याय मंत्रियों की बैठक में भाग लिया। भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विधि कार्य विभाग की अतिरिक्‍त सचिव डॉ. अंजू राठी राणा ने किया। इस बैठक में न्याय विभाग, विधायी विभाग और विदेश मंत्रालय के प्रतिनिधि भी मौजूद थे।

अपने संबोधन में डॉ. राणा ने प्रतिभागियों का ध्यान भारत के कानूनी परिदृश्य के विकास और कानूनी क्षेत्र में देश की महत्वपूर्ण उपलब्धियों की ओर आकर्षित किया। उन्होंने भारत की कानूनी प्रणाली की देखरेख करने वाली केंद्रीय एजेंसी के रूप में विधि एवं न्याय मंत्रालय की भूमिका की पुष्टि की, जिसने कानूनी व्यवस्था को नया रूप देने और ब्रिक्स समुदाय के भीतर सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से परिवर्तनकारी सुधार और पहल की शुरुआत की है।

कानूनी अवसंरचना में सुधार और विशेष रूप से वैकल्पिक विवाद समाधान (एडीआर) व्यवस्था के माध्यम से मुकदमा दाखिल करने वालों और नागरिकों को न्याय मिलने में सुधार पर मंत्रालय के विशेष ध्यान पर जोर दिया गया। मध्यस्थता अधिनियम को एक ऐतिहासिक सुधार के रूप में लागू किया गया है, जो रिश्तों को बनाए रखते हुए विवादों को हल करने के लिए एक संरचना-युक्त, लागत प्रभावी तरीका पेश करता है। ब्रिक्स देशों के लिए मध्यस्थता अधिनियम की क्षमता को रेखांकित किया गया, जहां एडीआर की पहचान न्यायिक बोझ को कम करने और समय पर न्यायसंगत विवाद समाधान प्रदान करने के एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में होती है।

संबोधन में लंबित मुकदमों की समस्या का समाधान करके और एक जिम्मेदार पक्ष के रूप में राज्य की भूमिका में सुधार करके मुकदमे से जुड़ी प्रक्रियाओं में सुधार से संबंधित सरकार के प्रयासों को भी सामने रखा गया। सरकारी मुकदमे की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के उद्देश्य से किये गए ये सुधार, ब्रिक्स समुदाय के लिए अत्यधिक प्रासंगिक हैं, जहां साझा अनुभव, देरी को कम करने और कुशल कानूनी प्रणालियों के निर्माण के लिए अभिनव समाधानों की ओर ले जा सकते हैं।

इसके अलावा, डॉ. राणा ने घरेलू व्यवस्था में सीपीएसई विवादों के समाधान के लिए प्रशासनिक व्यवस्था (एएमआरसीडी) पर विशेष जोर दिया और इसे मुकदमे का सहारा लिए बिना, वाणिज्यिक विवादों को हल करने के लिए एक प्रभावी उपकरण के रूप में रेखांकित किया।

ब्राजील, मिस्र, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात जैसे भाग लेने वाले अन्य देशों ने न केवल ब्रिक्स सदस्य देशों की सरकारों के बीच, बल्कि इन देशों के भीतर बड़ी आबादी को प्रभावित करने वाले व्यापक मानवाधिकार चिंताओं का समाधान करने के लिए कानूनी सहयोग बढ़ाने के क्रम में इस तरह के मंचों के महत्व पर प्रकाश डाला। चीन, रूस और दक्षिण अफ्रीका के न्याय मंत्रियों ने अधिक न्यायसंगत वैश्विक व्यवस्था को बढ़ावा देने, लोगों के आपसी संबंधों को मजबूत करने, सतत विकास कार्य-योजना को आगे बढ़ाने और कानून के शासन को बनाए रखने में इस तरह के सहयोग की क्षमता को रेखांकित किया। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि साइबर सुरक्षा, एआई के दुरुपयोग और प्रत्यर्पण जैसे क्षेत्रों में उभरती चुनौतियों का न्याय और कानून के सिद्धांतों में निहित सहयोग के माध्यम से प्रभावी ढंग से मुकाबला किया जा सकता है।

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