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भारत ने स्वच्छ अर्थव्यवस्था, निष्पक्ष अर्थव्यवस्था और भारत-प्रशांत आर्थिक ढांचे के तहत समृद्धि के लिए आईपीईएफ व्यापक व्यवस्था पर केंद्रित अपनी तरह के पहले समझौतों पर हस्ताक्षर किए

भारत ने 21 सितंबर, 2024 को अमेरिका के डेलावेयर में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में स्वच्छ अर्थव्यवस्था, निष्पक्ष अर्थव्यवस्था और भारत-प्रशांत आर्थिक ढांचे (आईपीईएफ) के तहत आईपीईएफ व्यापक व्यवस्था पर केंद्रित अपनी तरह के पहले समझौतों पर हस्ताक्षर किए और उनका आदान-प्रदान किया। प्रधानमंत्री मोदी क्वाड शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए अमेरिका की 3 दिवसीय यात्रा पर हैं।

आईपीईएफ स्वच्छ अर्थव्यवस्था समझौता (स्तंभ-III)

स्वच्छ अर्थव्यवस्था पर समझौते का उद्देश्य तकनीकी सहयोग, कार्यबल विकास, क्षमता निर्माण और अनुसंधान सहयोग को बढ़ावा देना और स्वच्छ ऊर्जा तथा जलवायु के अनुकूल प्रौद्योगिकियों के विकास, पहुंच और तैनाती को आसान बनाने के लिए सहयोग करना है, जिसका उद्देश्य ऊर्जा सुरक्षा एवं परिवर्तन, जलवायु लचीलापन एवं अनुकूलन और जीएचजी उत्सर्जन शमन की दिशा में आईपीईएफ भागीदारों के प्रयासों को सामूहिक रूप से तेज करना है।

इस समझौते से निवेश, रियायती वित्तपोषण सहित परियोजना वित्तपोषण, संयुक्त सहयोगी परियोजनाएं, कार्यबल विकास और उद्योगों, विशेष रूप से एमएसएमई के लिए तकनीकी सहायता और क्षमता निर्माण की सुविधा आसान हो जाएगी। यह वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में, विशेष रूप से भारत-प्रशांत क्षेत्र में, भारतीय कंपनियों को आगे एकीकरण की सुविधा प्रदान करेगा। ये गतिविधियां सहकारी कार्य कार्यक्रम, आईपीईएफ उत्प्रेरक पूंजी कोष, आईपीईएफ एक्सेलेरेटर आदि जैसे संयुक्त सहयोगात्मक कार्यों के माध्यम से की जाएंगी।

आईपीईएफ निष्पक्ष अर्थव्यवस्था समझौता (स्तंभ-IV)

समझौते का उद्देश्य भारत-प्रशांत क्षेत्र में अधिक पारदर्शी और पूर्वानुमानित व्यापार तथा निवेश वातावरण बनाना है। इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए, आईपीईएफ के भागीदार रिश्वतखोरी सहित भ्रष्टाचार को रोकने और उसका मुकाबला करने में अपने प्रयासों को बढ़ाने के लिए सहयोग करेंगे, और कर पारदर्शिता, सूचना के आदान-प्रदान, घरेलू संसाधन जुटाने और कर प्रशासन में सुधार के लिए पहल का समर्थन करेंगे।

यह समझौता भागीदारों के बीच सूचना साझा करने, संपत्ति की वसूली को सुविधाजनक बनाने और सीमा पार जांच और अभियोजन को मजबूत करने पर केंद्रित है। यह भ्रष्टाचार, मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण से लड़ने में भारत के प्रयासों में भी सहयोग करेगा।

प्रस्तावित समझौते में उल्लिखित प्रतिबद्धताओं को प्राप्त करने और भ्रष्टाचार विरोधी उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन और प्रवर्तन को सुनिश्चित करने में तकनीकी सहायता और क्षमता निर्माण (टीएसीबी) की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानते हुए, समझौते में भागीदार टीएसीबी पहलों की पहचान करने और उन्हें लागू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। ये पहल भ्रष्टाचार विरोधी प्रयासों को मजबूत करेंगी और कर प्रशासन की दक्षता में सुधार करेंगी।

व्यापक आईपीईएफ समझौता

यह व्यापक समझौता एक प्रशासनिक समझौता है जिससे जिम्मेदार मंत्रिस्तरीय तंत्र स्थापित होगा। इस समझौते से विभिन्न व्यक्तिगत आईपीईएफ समझौतों पर मंत्रिस्तरीय स्तर पर एक उच्च-स्तरीय राजनीतिक निगरानी ढांचा स्थापित होगा। साथ ही, सामान्य मार्गदर्शन और लक्ष्य निर्धारित किया जाएगा, और आईपीईएफ के लिए नेताओं की सोच और जनादेश का भी मार्गदर्शन होगा। इस समझौते में मुख्य रूप से प्रशासनिक और संस्थागत प्रावधान शामिल हैं।

यह समझौता एक औपचारिक तंत्र बनाकर और उभरते मुद्दों आदि पर मंत्रिस्तरीय चर्चाओं के लिए एक मंच स्थापित करके इस समूह को पहचान और आईपीईएफ साझेदारी को दीर्घायु प्रदान करेगा।

इस समझौते से विषय समझौतों (स्तंभ II-IV) के प्रभावी कार्यान्वयन की सुविधा मिलने की उम्मीद है, जिसमें भारत की उत्पादक क्षमता को बढ़ाने, आपूर्ति श्रृंखलाओं को जोड़ने और आत्मनिर्भर भारत की अवधारणा के अनुरूप नवाचार को बढ़ावा देने की क्षमता है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस महीने की शुरुआत में स्वच्छ अर्थव्यवस्था, निष्पक्ष अर्थव्यवस्था और व्यापक आईपीईएफ समझौते पर केंद्रित इन तीन समझौतों पर हस्ताक्षर और अनुसमर्थन के लिए मंजूरी दी थी, जिन पर 6 जून, 2024 को सिंगापुर में आईपीईएफ मंत्रिस्तरीय बैठक में अन्य आईपीईएफ सदस्यों ने हस्ताक्षर किए थे, हालांकि भारत ने तब औपचारिक रूप से हस्ताक्षर नहीं किए थे क्योंकि घरेलू अनुमोदन प्रक्रिया उस वक्त चल ही रही थी।

आईपीईएफ निवेश को बढ़ावा देगा

निवेशक फोरम: निष्पक्ष अर्थव्यवस्था (स्तंभ-III) समझौते के तहत, आईपीईएफ के भागीदारों का लक्ष्य निवेशक फोरम के तहत वार्षिक व्यापार मिलान कार्यक्रमों सहित विभिन्न तरीकों से हरित प्रौद्योगिकी में निवेश को बढ़ावा देना और ग्रीन हाउस गैसों (जीएचजी) के उत्सर्जन को कम करना है। पहला निवेशक फोरम 5-6 जून, 2024 को सिंगापुर में आयोजित किया गया था। ऐसे ही प्रयासों में से एक को भारत, सिंगापुर और जापान की कंपनियों के बीच एक समझौता ज्ञापन के रूप में आगे बढ़ाया गया, जिसके बाद सिंगापुर की सेम्बकॉर्प कंपनी थूथुकुडी में अत्याधुनिक हरित अमोनिया संयंत्र के लिए 36,238 करोड़ रूपये का निवेश करेगी।

उद्घाटन फोरम में, आईपीईएफ के भागीदारों ने 23 अरब अमेरिकी डॉलर (1.91 लाख करोड़ रुपये) की प्राथमिकता वाली बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की पहचान की। इनमें भारत से लगभग 4 अरब अमेरिकी डॉलर (33,200 करोड़ रुपये) हैं, और इन्हें कुछ भारतीय अक्षय ऊर्जा कंपनियों में निवेश किया जाएगा। यूनाइटेड स्टेट्स इंटरनेशनल डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन (डीएफसी) ने ऊर्जा परिवर्तन, जलवायु निवेश और डिजिटल समावेशन का समर्थन करने के लिए कुल 1.5 अरब अमरीकी डॉलर (12,450 करोड़ रुपये) देने की प्रतिबद्धता जताई है।

आईपीईएफ के तहत फंड: आईपीईएफ तकनीकी सहायता, रियायती फंडिंग और व्यवहार्यता अंतर फंडिंग के लिए प्लेटफॉर्म भी प्रदान करता है। ऑस्ट्रेलिया, जापान, कोरिया और अमेरिका से 33 मिलियन अमेरिकी डॉलर (273.9 करोड़ रुपये) के शुरुआती अनुदान के साथ आईपीईएफ उत्प्रेरक पूंजी कोष का लक्ष्य कुल 3.3 अरब अमेरिकी डॉलर (27,390 करोड़ रुपये) के निजी निवेश को उत्प्रेरित करना है। इसके अलावा, आईपीईएफ के तहत पीजीआई निवेश त्वरक को यूनाइटेड स्टेट्स इंटरनेशनल डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन (डीएफसी) से 300 मिलियन अमेरिकी डॉलर (2,490 करोड़ रुपये) का शुरुआती वित्तपोषण प्राप्त हुआ है।

आईपीईएफ के तहत पहल

आईपीईएफ कौशल उन्नयन पहल: आईपीईएफ कौशल उन्नयन पहल सितंबर 2022 में शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य आईपीईएफ के उभरते और मध्यम आय वाले भागीदार देशों में महिलाओं और लड़कियों को डिजिटल कौशल प्रशिक्षण तक पहुंच प्रदान करके सतत तथा समावेशी आर्थिक विकास और प्रगति में सहयोग करना था। इस पहल के तहत, जैसा कि अमेरिका ने बताया है, अमेरिका की 14 कंपनियों और एशिया फाउंडेशन ने पिछले 2 वर्षों में आईपीईएफ भागीदारों में 10.9 मिलियन अपस्किलिंग अवसर प्रदान किए, मुख्य रूप से महिलाओं और लड़कियों के लिए, जिनमें से भारत ने 4 मिलियन अवसरों का लाभ उठाया।

महत्वपूर्ण खनिज संवाद: यह संवाद कई प्रमुख क्षेत्रों पर केंद्रित है, जिसमें व्यापक डेटाबेस विकसित करने के लिए आईपीईएफ के भागीदार देशों में खनिज संसाधनों का व्यापक मानचित्रण, आईपीईएफ क्षेत्र के भीतर व्यापार प्रवाह का मानचित्रण करके व्यापार को बढ़ावा देना और व्यावसायिक जुड़ाव बढ़ाना तथा क्षेत्र में खनिज पुनर्प्राप्ति और पुनर्चक्रण के लिए तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देना शामिल है। इन पहलों का उद्देश्य महत्वपूर्ण खनिज आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करना और क्षेत्र में स्थायी खनन प्रथाओं को सुनिश्चित करना है।

टेक काउंसिल: इस पहल का मुख्य उद्देश्य आईपीईएफ के भागीदारों को एक साथ लाकर प्रमुख प्रौद्योगिकियों पर समन्वय और सहयोग करना है, ताकि सर्वोत्तम प्रथाओं और मानकों को साझा किया जा सके, डिजिटल बुनियादी ढांचे की लचीलापन को बढ़ाया जा सके, निवेश को बढ़ावा दिया जा सके और कार्यबल विकास के माध्यम से नवाचार को बढ़ाया जा सके। आईपीईएफ भागीदार वर्तमान में जिन प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग कर रहे हैं, उनमें साइबर सुरक्षा, समुद्र के अंदर केबल और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस शामिल हैं।

सहकारी कार्य कार्यक्रम (सीडब्ल्यूपी): सीडब्ल्यूपी का उद्देश्य स्वच्छ अर्थव्यवस्था समझौते के उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के लिए इच्छुक आईपीईएफ देशों के बीच सहयोगात्मक और सहकारी प्रयासों को सुविधाजनक बनाना है। आज तक, आईपीईएफ मंत्रिस्तरीय बैठकों में कई आईपीईएफ देशों द्वारा प्रसारित 8 सीडब्ल्यूपी प्रस्तावों की घोषणा की गई है। ये हाइड्रोजन आपूर्ति श्रृंखला, कार्बन बाजार, स्वच्छ बिजली, टिकाऊ विमानन ईंधन, न्यायसंगत संक्रमण, उत्सर्जन तीव्रता लेखांकन, छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर और ई-कचरा शहरी खनन पर भारत के प्रस्ताव से संबंधित हैं।

आईपीईएफ के बारे में

आईपीईएफ की शुरुआत 23 मई 2022 को जापान के टोक्यो में की गई थी, जिसमें 14 देश शामिल हैं – ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, फिजी, भारत, इंडोनेशिया, जापान, कोरिया गणराज्य, मलेशिया, न्यूजीलैंड, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, वियतनाम और अमेरिका। आईपीईएफ का उद्देश्य क्षेत्र में विकास, आर्थिक स्थिरता और समृद्धि को आगे बढ़ाने के लक्ष्य के साथ भागीदार देशों के बीच आर्थिक जुड़ाव और सहयोग को मजबूत करना है।

यह ढांचा व्यापार (स्तंभ I); आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन (स्तंभ II); स्वच्छ अर्थव्यवस्था (स्तंभ III); और निष्पक्ष अर्थव्यवस्था (स्तंभ IV) से संबंधित चार स्तंभों से बना है। भारत ने फरवरी 2024 में आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन (स्तंभ II) पर समझौते की पुष्टि की है और स्तंभ-I में पर्यवेक्षक का दर्जा बनाए रखा है।

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