सरकार ने निवेशकों के अनुकूल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की नीति लागू की है, जिसके अंतर्गत अधिकांश सेक्टर स्वचालित तरीके से 100% एफडीआई के लिए खुले हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि भारत एक आकर्षक और प्रतिस्पर्धी निवेश गंतव्य बना रहे, इस नीति की निरंतर समीक्षा की जाती है। इसके चलते, एफडीआई इनफ्लो में लगातार बढ़ोतरी देखी गई- वित्त वर्ष 2013-14 में 36.05 बिलियन अमेरिकी डॉलर से वित्त वर्ष 2024-25 में 81.04 बिलियन अमेरिकी डॉलर (प्रोविजनल) तक, जो वित्त वर्ष 2023-24 में 71.28 बिलियन अमेरिकी डॉलर से 14% की बढ़ोतरी को दर्शाता है।
वित्त वर्ष 2024-25 में सर्विसेज सेक्टर एफडीआई इक्विटी का सबसे बड़ा हिस्सेदार बनकर उभरा, जिसने कुल इनफ्लो का 19% आकर्षित किया, इसके बाद कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर (16%) और ट्रेडिंग (8%) का स्थान रहा। सर्विसेज सेक्टर में एफडीआई बीते वर्ष के 6.64 बिलियन अमेरिकी डॉलर से 40.77% बढ़कर 9.35 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
भारत विनिर्माण क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का केंद्र भी बन रहा है, जो वित्त वर्ष 2024-25 में 18% बढ़कर 19.04 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया, जबकि वित्त वर्ष 2023-24 में यह 16.12 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
वित्त वर्ष 2024-25 में कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश इक्विटी इनफ्लो में महाराष्ट्र का हिस्सा सबसे अधिक (39%) रहा, उसके बाद कर्नाटक (13%) और दिल्ली (12%) का स्थान रहा। स्रोत देशों में सिंगापुर 30% हिस्सेदारी के साथ सबसे आगे रहा, उसके बाद मॉरीशस (17%) और संयुक्त राज्य अमेरिका (11%) का स्थान रहा।
बीते 11 वित्त वर्षों (2014-25) में, भारत ने 748.78 बिलियन अमेरिकी डॉलर का एफडीआई आकर्षित किया, जो बीते 11 वर्षों (2003-14) की तुलना में 143% बढ़ोतरी को दर्शाता है, जिसमें 308.38 बिलियन अमेरिकी डॉलर का इनफ्लो हुआ था। यह बीते 25 वर्षों में प्राप्त कुल 1,072.36 बिलियन अमेरिकी डॉलर के एफडीआई का लगभग 70% है।
इसके अतिरिक्त, एफडीआई के लिए स्रोत देशों की संख्या वित्त वर्ष 2013-14 में 89 से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में 112 हो गई, जो एक निवेश गंतव्य के तौर पर भारत की बढ़ती वैश्विक अपील को रेखांकित करती है।
विनयमन क्षेत्र में, सरकार ने एफडीआई मानदंडों को उदार बनाने के लिए कई क्षेत्रों में परिवर्तनकारी सुधार किए हैं। 2014 और 2019 के बीच, महत्वपूर्ण सुधारों में रक्षा, बीमा और पेंशन क्षेत्रों में एफडीआई सीमा में बढ़ोतरी और निर्माण, नागरिक उड्डयन और एकल ब्रांड खुदरा व्यापार के लिए उदार नीतियां शामिल हैं।
2019 से 2024 तक, उल्लेखनीय उपायों में कोयला खनन, अनुबंध निर्माण और बीमा मध्यस्थों में स्वचालित मार्ग के तहत 100% एफडीआई की अनुमति देना शामिल है। 2025 में, केंद्रीय बजट ने भारत के भीतर अपना पूरा प्रीमियम निवेश करने वाली कंपनियों के लिए एफडीआई सीमा को 74% से बढ़ाकर 100% करने का प्रस्ताव रखा।
ये रुझान एक पसंदीदा वैश्विक निवेश केंद्र के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत करते हैं, जो एक सक्रिय नीति ढांचे, एक विकसित व्यापार इकोसिस्टम और भारत के आर्थिक लचीलेपन में बढ़ते अंतर्राष्ट्रीय विश्वास के चलते सक्षम है।