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Lok Sabha Speaker Om Birla inaugurated the 85th All India Presiding Officers Conference (AIPOC) in Patna
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लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने पटना में 85वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन (AIPOC) का उद्घाटन किया

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने सदन की कार्यवाही में सुनियोजित व्यवधान, बैठकों की संख्या में कमी की प्रवृत्ति और विधायिका की गरिमा तथा शिष्टाचार में गिरावट पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि विधायिका बहस और चर्चा के लिए मंच हैं और सदस्यों से लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने की उम्मीद की जाती है। लोकसभा अध्यक्ष ने आगाह किया कि बैठकों की संख्या में कमी के कारण विधानमंडल अपने संवैधानिक दायित्व को पूरा करने में विफल हो रहे हैं। उन्होंने सांसदों से आग्रह किया कि वे राष्ट्रीय मुद्दों पर विचार करने और लोगों की आवाज़ का पर्याप्त रूप से प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए कुशल समय-निर्धारण और संसदीय समय के प्रभावी उपयोग को प्राथमिकता दें। उन्होंने यह भी कहा कि हमारे सदनों की गरिमा और प्रतिष्ठा को बनाए रखने और उसे बढ़ाने का मुद्दा अत्यंत महत्वपूर्ण है।

ओम बिड़ला ने सुझाव दिया कि सभी राजनीतिक दलों को सदन में अपने सदस्यों के आचरण के लिए आंतरिक आचार संहिता बनानी चाहिए ताकि लोकतांत्रिक मूल्यों का सम्मान हो। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों को राजनीतिक विचारधारा और संबद्धता से ऊपर उठकर संवैधानिक मर्यादा का पालन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों को अपनी विचारधारा और दृष्टिकोण व्यक्त करते समय स्वस्थ संसदीय परंपराओं का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने ये टिप्पणियां आज पटना के बिहार विधानमंडल परिसर में 85वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन (एआईपीओसी) के उद्घाटन भाषण के दौरान कीं।

ओम बिड़ला ने इस बात पर जोर दिया कि पीठासीन अधिकारियों को संविधान की भावना और उसके मूल्यों के अनुरूप सदन चलाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पीठासीन अधिकारियों को सदन में अच्छी परंपराएं और अच्छी बेहतर विधियां स्थापित करनी चाहिए तथा लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत बनाना चाहिए। लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत करते हुए पीठासीन अधिकारियों को विधानमंडलों को जनता के प्रति अधिक जवाबदेह बनाना चाहिए तथा लोगों की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को पूरा करना चाहिए।

उन्होंने आग्रह किया कि एआईपीओसी की तर्ज पर राज्य विधानसभाओं को भी अपने स्थानीय निकायों के प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के लिए इसी तरह के मंच तैयार करने चाहिए।

ओम बिड़ला ने बिहार की राजधानी पटना में आयोजित 85वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन (एआईपीओसी) का शुभारंभ करते हुए देश के विभिन्न प्रदेशों की विधायिकाओं के पीठासीन अधिकारियों को संबोधित किया।

ओम बिड़ला ने विधानमंडलों को अधिक प्रभावी और कुशल बनाने पर जोर देते हुए पीठासीन अधिकारियों से विधानमंडलों के कामकाज में प्रौद्योगिकी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और सोशल मीडिया के उपयोग को बढ़ावा देने का आह्वान किया। उन्होंने इस बात उल्लेख किया कि संसद और राज्य विधानमंडलों को जनता के लिए अधिक सुलभ बनाना समय की मांग है, उन्होंने सुझाव दिया कि तकनीकी नवाचारों के माध्यम से विधायी कार्यों के बारे में जानकारी आम जनता तक पहुंचाई जा सकती है।

ओम बिड़ला ने कहा कि एआई आधारित कार्यक्रम एवं संसदीय और विधायी कार्यवाही में पारदर्शिता और प्रभावशीलता बढ़ा सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय संसद ने पहले ही इस प्रक्रिया की शुरुआत कर दी है जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। उन्होंने इस बात पर भी प्रसन्नता व्यक्त की कि देश की कई विधानसभाएं कागज रहित हो गई हैं।

ओम बिड़ला ने इस संदर्भ में कहा कि ‘एक राष्ट्र, एक विधायी मंच’ 2025 के अंत तक एक वास्तविकता बन जाएगा।

ओम बिड़ला ने इस बात पर जोर दिया कि सदनों को सहमति और असहमति के बीच एक अनुकूल वातावरण में काम करना चाहिए ताकि सदनों में अधिक कामकाज हो सके। उन्होंने बेहतर जवाबदेही और पारदर्शिता के लिए सदनों और समितियों की दक्षता में सुधार करने पर भी जोर दिया। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि हमारी संसदीय समितियों की दक्षता बढ़ाने के लिए सभी विधानमंडलों की समितियों के बीच संवाद होना चाहिए और समितियों का काम जमीनी हकीकत पर आधारित होना चाहिए ताकि जनता की धनराशि का बेहतर तरीके से इस्तेमाल हो सके और जनता का अधिकतम कल्याण हो सके।

ओम बिड़ला ने कहा कि राज्य विधानसभाओं की स्वायत्तता संघीय ढांचे का आधार है। उन्होंने कहा कि संविधान की सातवीं अनुसूची में निहित यह शक्ति तभी सार्थक है जब राज्य विधानसभाएं निष्पक्षता और ईमानदारी के साथ अपना काम करें। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि राज्य विधानमंडलों को अपनी शक्तियों का उपयोग इस तरह से नीतियां बनाने में करना चाहिए कि वे स्थानीय जरूरतों और लोगों की अपेक्षाओं के अनुरूप हों और देश की समग्र प्रगति में सहायक हों।

ओम बिड़ला ने भारत को और अधिक मजबूत बनाने के लिए सामूहिक प्रयासों का आह्वान करते हुए कहा कि राष्ट्रीय हित के मुद्दों पर, केंद्र और राज्यों दोनों को ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना के साथ मिलकर काम करना चाहिए। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि राज्य को ‘सहकारी संघवाद’ की भावना पर काम करना चाहिए। इस संबंध में विधायिकाओं की भूमिका का उल्लेख करते हुए, ओम बिड़ला ने कहा कि देश को विकसित और आत्मनिर्भर बनाने में विधायिकाओं को सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।

इस अवसर पर ओम बिड़ला ने संसद की कार्यप्रणाली और प्रक्रिया (8वां अंग्रेजी संस्करण और 5वां हिंदी संस्करण) का अद्यतन संस्करण भी जारी किया। उत्पल कुमार सिंह, महासचिव, लोक सभा द्वारा संपादित यह अद्यतन संस्करण भारतीय संसद के कामकाज और संचालन प्रक्रिया को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन के रूप में कार्य करता है। इसमें संसदीय विधियों, नियमों और परंपराओं की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है, जो विधायी प्रक्रिया और निर्वाचित प्रतिनिधियों की भूमिकाओं के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्रदान करती है। इस नए संस्करण का विमोचन पारदर्शिता, प्रभावी शासन और सांसदों और आम जनता दोनों के बीच संसदीय प्रक्रियाओं की गहरी समझ को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

85वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन के उद्घाटन से पहले एआईपीओसी स्थायी समिति की बैठक हुई, जिसकी अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने की।

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