मेक इन इंडिया ने 10 वर्ष पूरे किए; भारत की विनिर्माण क्रांति ने नवाचार, निवेश और आत्मनिर्भरता पर ध्यान केंद्रित करते हुए रफ्तार हासिल
भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में सशक्त बनाने के लिए 25 सितंबर, 2014 को शुरू की गई ‘मेक इन इंडिया’ पहल एक ऐतिहासिक दशक पूरा कर रही है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में इस कार्यक्रम ने घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने, नवाचार में वृद्धि करने, कौशल विकास में बढ़ोत्तरी और विदेशी निवेश को सुविधाजनक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
प्रभाव के 10 वर्ष: एक झलक
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) : भारत ने 2014 से 667.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर (2014-24) का संचयी एफडीआई प्रवाह आकर्षित किया है, जो पिछले दशक (2004-14) की तुलना में 119 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। यह निवेश 31 राज्यों और 57 क्षेत्रों में हुआ है, जो विविध उद्योगों में विकास को बढ़ावा देता है। कुछ रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों को छोड़कर अधिकांश क्षेत्र स्वतः 100 प्रतिशत एफडीआई के लिए खुले हैं। पिछले दशक (2014-24) के दौरान विनिर्माण क्षेत्र में एफडीआई इक्विटी प्रवाह 165.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया, जो इससे पिछले दशक (2004-14) की तुलना में 69 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है, जिसमें 97.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर का प्रवाह शामिल है।
उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना : 2020 में शुरू की गई पीएलआई योजनाओं के
परिणामस्वरूप जून 2024 तक 1.32 लाख करोड़ रुपए (यूएसडी 16 बिलियन) का निवेश और विनिर्माण उत्पादन में 10.90 लाख करोड़ रुपए (यूएसडी 130 बिलियन) की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इस पहल के कारण प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 8.5 लाख से अधिक रोजगार के अवसर सृजित हुए हैं।
निर्यात और रोजगार : वित्त वर्ष 2023-24 में भारत का व्यापारिक निर्यात 437 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गया। निर्यात में उछाल आया है और पीएलआई योजनाओं के कारण अतिरिक्त 4 लाख करोड़ रुपए प्राप्त हुए हैं, जबकि विनिर्माण क्षेत्र में कुल रोजगार 2017-18 के मुकाबले 57 मिलियन से बढ़कर 2022-23 में 64.4 मिलियन हो गया है।
व्यापार करने में आसानी : विश्व बैंक की डूइंग बिजनेस रिपोर्ट में 2014 में 142वें स्थान से 2019 में 63वें स्थान पर पहुंचने से व्यापार की स्थिति में सुधार के लिए भारत की प्रतिबद्धता स्पष्ट है। इस दौरान 42,000 से अधिक अनुपालन कम किए गए हैं और 3,700 प्रावधानों को अपराधमुक्त किया गया है। जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) अधिनियम, 2023, 27 जुलाई 2023 को लोकसभा और 2 अगस्त 2023 को राज्यसभा द्वारा पारित किया गया , जिसने 42 केंद्रीय अधिनियमों में 183 प्रावधानों को अपराधमुक्त कर दिया है।
प्रमुख सुधार
सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम विकास : 76,000 करोड़ की लागत वाले सेमीकॉन इंडिया कार्यक्रम का उद्देश्य पूंजी समर्थन और तकनीकी सहयोग की सुविधा देकर सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले विनिर्माण को बढ़ावा देना है। भारत ने सेमीकंडक्टर तंत्र के हर क्षेत्र को सहारा देने के लिए नीतियां विकसित की हैं, जिसमें न केवल फ़ैब्स पर ध्यान केंद्रित किया गया है, बल्कि पैकेजिंग, डिस्प्ले वायर, ओएसएटी, सेंसर और अन्य क्षेत्र शामिल हैं।
राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली (एनएसडब्ल्यूएस) : सितंबर 2021 में शुरू किया गया यह प्लेटफॉर्म निवेशक अनुभव को सरल बनाता है। यह मंच 32 मंत्रालयों/विभागों और 29 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से मंजूरी को एकीकृत करता है, जिससे त्वरित अनुमोदन की सुविधा मिलती है।
पीएम गतिशक्ति: पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान (एनएमपी), सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों के पोर्टलों के साथ एक जीआईएस आधारित मंच है, जो अक्टूबर, 2021 में लॉन्च किया गया था। यह मल्टीमॉडल बुनियादी ढांचे की एकीकृत योजना से संबंधित डेटा-आधारित निर्णयों को सुविधाजनक बनाने के लिए एक परिवर्तनकारी दृष्टिकोण है, जिससे सामग्री लागत कम हो जाती है।
राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (एनएलपी) : लॉजिस्टिक्स लागत को कम करने और दक्षता बढ़ाने के उद्देश्य से 2022 में शुरू की गई एनएलपी, भारतीय उत्पादों को वैश्विक स्तर पर अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए महत्वपूर्ण है।
औद्योगिक गलियारे और बुनियादी ढांचा : राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम के तहत 11 औद्योगिक गलियारों के विकास में 28,602 करोड़ रुपये के अनुमानित निवेश के साथ 12 नई परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। ये गलियारे विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचा प्रदान करके भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाते हैं।
एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) : पूरे भारत में स्वदेशी उत्पादों और शिल्प कौशल को बढ़ावा देते हुए, ओडीओपी पहल ने स्थानीय आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया है। इन अद्वितीय उत्पादों के लिए मंच प्रदान करने के लिए 27 राज्यों में यूनिटी मॉल स्थापित किए जा रहे हैं।
स्टार्टअप इंडिया : नवाचार को बढ़ावा देने और निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के उद्देश्य से सरकार ने 16 जनवरी 2016 को स्टार्टअप इंडिया पहल शुरू की। स्टार्टअप इंडिया पहल के तहत सरकार के निरंतर प्रयासों से 30 जून 2024 तक मान्यता प्राप्त स्टार्टअप की संख्या बढ़कर 1,40,803 हो गई है , जिससे 15.5 लाख से अधिक रोजगार के अवसर सृजित हुए हैं।
भारत सरकार ने घरेलू और विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक और बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाया है, जिससे एक मजबूत और गतिशील आर्थिक माहौल को बढ़ावा मिला है। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और कॉर्पोरेट कर में कटौती जैसे ऐतिहासिक सुधारों से लेकर व्यापार करने में आसानी और एफडीआई नीतियों को सुव्यवस्थित करने के उद्देश्य से दूरगामी उपायों तक, हर कदम एक अधिक निवेश-अनुकूल तंत्र बनाने की दिशा में प्रयास जारी है। चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम (पीएमपी), सार्वजनिक खरीद आदेश और गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (क्यूसीओ) जैसी पहल घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और उत्पाद की गुणवत्ता बढ़ाने पर केंद्रित हैं।
कोविड-19 से उत्पन्न चुनौतियों के प्रति सरकार की सक्रिय प्रतिक्रिया, आत्मनिर्भर भारत पैकेजों और राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (एनआईपी) तथा राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) के अंतर्गत लक्षित निवेशों के माध्यम से, प्रतिकूल परिस्थितियों को विकास के अवसर में बदल दिया गया है। इंडिया इंडस्ट्रियल लैंड बैंक (आईआईएलबी), इंडस्ट्रियल पार्क रेटिंग सिस्टम (आईपीआरएस) और नेशनल सिंगल विंडो सिस्टम (एनएसडब्लूएस) जैसी पहल निवेशकों के लिए प्रक्रियाओं को और अधिक सुव्यवस्थित करती है। इसके अतिरिक्त, विभिन्न मंत्रालयों में परियोजना विकास प्रकोष्ठ (पीडीसी) यह सुनिश्चित करते हैं कि निवेश प्रस्तावों पर तेजी से काम हो, जिससे भारत वैश्विक और घरेलू निवेशकों के लिए अधिक पसंदीदा स्थान बन सके। ये प्रयास सामूहिक रूप से विनिर्माण और नवाचार के लिए एक उभरते हुए केंद्र के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत करते हैं।
जिस प्रकार भारत विकास के अगले दशक में प्रवेश कर रहा है, मेक इन इंडिया 2.0 का लक्ष्य स्थिरता, नवाचार और आत्मनिर्भरता को आगे बढ़ाने पर है। नवीकरणीय ऊर्जा, हरित प्रौद्योगिकियों और उन्नत विनिर्माण में महत्वपूर्ण कार्यक्रमों के साथ यह पहल सुनिश्चित कर रही है कि भारतीय उत्पाद उच्चतम वैश्विक मानकों को पूरा कर सकें।