अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के कथन के प्रति भारत के कई धार्मिक गुरुओं ने जताई कड़ी आपत्ति
भारत में कई धार्मिक गुरुओं ने अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के कथन के प्रति कड़ी आपत्ति जताई है। एंटनी ब्लिंकन का कहना है कि भारत में घृणा भाषण और धर्मांतरण रोधी कानून में वृद्धि चिंताजनक है। अखिल भारतीय सूफी सज्जादानशीन परिषद के अध्यक्ष सैय्यद नसीरुद्दीन चिश्ती और अजमेर दरगाह के आध्यात्मिक गुरु के उत्तराधिकारी ने इस रिपोर्ट को झूठा, फर्जी और मनगढ़ंत कहा है।
सरकार सभी प्रकार के धर्म में आस्था रखने वाले लोगों और उनके अनुयायियों को बिना किसी बंधन के सह-अस्तित्व सुनिश्चित करती है। अजमेर चिश्ती फाउंडेशन के अध्यक्ष हाजी सैयद सलमान चिश्ती ने यह कहते हुए इस रिपोर्ट को खारिज किया है कि अन्य देशों की राय का इस मामले से कोई सरोकार नहीं है। आंतरिक मामलों के निपटारे में हमारा संविधान, कानून और व्यवस्था तथा बुनियादी ढांचा सक्षम है।
केन्द्रीय गुरुद्वारा सिंह सभा के अध्यक्ष निर्मल सिंह ने भी इस रिपोर्ट की आलोचना यह कहते हुए की है कि अमरीकी रिपोर्ट गलत है। भारत स्वर्ण युग से गुजर रहा है। आज संसद में हर धर्म के लोगों का प्रतिनिधित्व है। भारतीय सर्वधर्म संसद के राष्ट्रीय समन्वयक महर्षि भृगु पीठाधीश्वर गोस्वामी सुशील महाराज ने रिपोर्ट की निन्दा करते हुए कहा कि धर्म या समुदाय के बावजूद भारत एकमात्र ऐसा देश है, जहां सभी लोग सुरक्षित हैं। अल्पसंख्यक समुदाय के लोग भारत में सबसे अधिक सुरक्षित हैं। यह रिपोर्ट देश को कमजोर बनाने का सिर्फ एक प्रयास भर है।
बुधवार को अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिका ने 2023 की अपनी रिपोर्ट में धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर भारत की आलोचना की है। इस रिपोर्ट में विश्वभर में विशेष धार्मिक समूहों के विरुद्ध बढती कट्टरता को लेकर भी जिक्र किया गया है। भारत ने अमरीकी विदेश विभाग की इस रिपोर्ट को खारिज कर दिया है।
कल नई दिल्ली में मीडिया से बातचीत में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि इस रिपोर्ट में भारत के सामाजिक ताने-बाने की समझ की कमी है। यह रिपोर्ट वोट बैंक की मनोदशा से प्रेरित है। उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट में कुछ खास घटनाओं को पूर्व कल्पित मनोभावों के साथ प्रस्तुत किया गया है।