केंद्रीय ग्रामीण विकास और संचार राज्य मंत्री डॉ. चंद्र शेखर पेम्मासानी ने आज नई दिल्ली के भारत मंडपम में 43वें भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले (आईआईटीएफ) के हॉल नंबर 9 और 10 में सरस आजीविका मेला 2024 का उद्घाटन किया। उद्घाटन के बाद राज्य मंत्री ने सरस आजीविका मेले में सभी स्टालों का दौरा किया और सभी स्वयं सहायता समूह – एसएचजी की दीदियों से बातचीत की। इस दौरान मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी मंत्री के साथ मौजूद थे। सरस आजीविका मेला 2024 में प्रदर्शित विभिन्न प्रकार के उत्पादों से मंत्री अत्यधिक प्रभावित हुए। उन्होंने जलकुंभी जैसे पौधों से बने नवोन्मेषी उत्पादों की रचनात्मकता की सराहना की, जिसे आमतौर पर जल निकायों के लिए खतरा माना जाता है। राज्य मंत्री ने सरस आजीविका मेले को अंतरराष्ट्रीय मानक पर निष्पादित करने के लिए आयोजकों की सराहना की। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि कैसे मेले ने स्वयं सहायता समूह दीदियों के आत्मविश्वास को बढ़ाया है, जिससे ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण का मार्ग प्रशस्त हुआ है। उन्होंने कहा कि अब तक हमारे पास एक करोड़ लखपति दीदियां हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कम से कम तीन करोड़ लखपति दीदियां बनाने की कल्पना की है। राज्य मंत्री ने कहा, ”मुझे विश्वास है कि हम इस लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं और उससे आगे भी बढ़ सकते हैं।”
सरस आजीविका मेला 2024, ‘परंपरा, कला, शिल्प और संस्कृति’ की थीम पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक जिला एक उत्पाद मंडप को उजागर करना सबसे प्रतिष्ठित सरकारी पहलों में से एक है, जो न केवल सर्वश्रेष्ठ सांस्कृतिक विरासत प्रदान करता है, बल्कि एक कहानी भी बताता है। ग्रामीण महिलाएं राष्ट्रीय स्तर के मंच पर उद्यमी की भूमिका निभा रही हैं। ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित और राष्ट्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज संस्थान (एनआईआरडीपीआर) द्वारा समर्थित सरस आजीविका मेला 2024 में ग्रामीण भारत के दूरदराज के इलाकों के बेहतरीन हस्तशिल्प और हथकरघा उत्पाद प्रदर्शित किए जा रहे हैं। प्रदर्शनी के 5 ज़ोन में लगभग 150 स्टालों के माध्यम से 300 से अधिक शिल्पकार और एसएचजी की दीदियाँ भाग ले रही हैं और अपने उत्पादों का प्रदर्शन कर रही हैं।
इस वर्ष, आईआईटीएफ में सरस आजीविका मेले में ग्रामीण भारत के अद्वितीय पारंपरिक शिल्प और विविध आजीविका उत्पादों जैसे रेशम साड़ी, आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश के उत्पादों को दर्शाया जा रहा है; झारखंड से तसर साड़ी; मध्य प्रदेश से चंदेरी साड़ी; आंध्र प्रदेश व असम से लकड़ी के हस्तशिल्प; जम्मू और कश्मीर से पश्मीना शॉल; आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, केरल, सिक्किम, यूपी से अचार; पश्चिम बंगाल से कांथा स्टिच, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के ऊनी उत्पाद और प्राकृतिक खाद्य उत्पाद और बिहार, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख के विभिन्न सूखे फल और हथकरघा उत्पाद और असम, झारखंड और नागालैंड के बांस उत्पाद दर्शाया जा रहे हैं। दीनदयाल अंत्योदय योजना राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन [डीएवाई-एनआरएलएम], ग्रामीण विकास मंत्रालय की यह पहल डीएवाई – एनआरएलएम के तहत गठित ग्रामीण महिला एसएचजी सदस्यों को अपने कौशल दिखाने, बेचने और उचित मूल्य पर संभावित बाज़ार में संबंध बनाने के लिए एक मंच पर लाना है।
ग्रामीण विकास मंत्रालय दीन दयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) के तहत सरस आजीविका मेलों के माध्यम से ग्रामीण महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को अपने उत्पाद बेचने के लिए एक विपणन मंच प्रदान कर रहा है। सरस आजीविका मेलों के माध्यम से ग्रामीण महिला स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों को शहरी ग्राहकों से सीधे संवाद करने और बाजार की रुचि जानने और उसके अनुसार अपने उत्पादों की पैकेजिंग में सुधार करके अपने उत्पादों की कीमत तय करने का अवसर मिलता है। सरस आजीविका मेला ग्रामीण स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को न केवल आजीविका के अवसर प्रदान करता है बल्कि देश में महिला सशक्तिकरण का एक बड़ा उदाहरण भी प्रस्तुत करता है।
ग्रामीण विकास मंत्रालय 1999 से सरस आजीविका मेला का आयोजन कर रहा है। मंत्रालय अधिक से अधिक उत्पादकों को बिक्री और उनके विपणन के लिए एक अच्छा मंच प्रदान करने का प्रयास करता है। दीन दयाल योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन का उद्देश्य ग्रामीण उत्पादकों, विशेषकर महिलाओं का समर्थन करके कौशल और बाजार पहुंच के बीच अंतर को पाटना है। उत्पाद पैकेजिंग डिज़ाइन, संचार और व्यवसाय से व्यवसाय विपणन पर कार्यशालाएँ उन्हें मुख्यधारा के बाज़ारों में प्रवेश करने के लिए तैयार करती हैं। यह एकीकृत दृष्टिकोण न केवल महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देता है बल्कि सरकार के आत्मनिर्भर भारत और वोकल फॉर लोकल के दृष्टिकोण के अनुरूप भी है।