आयुष मंत्रालय ने कैंसर देखभाल में एकीकृत चिकित्सा के माध्यम से बदलाव की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल करते हुए 10वें राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस पर गोवा के धारगल स्थित अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) में एकीकृत ऑन्कोलॉजी अनुसंधान एवं देखभाल केंद्र (आईओआरसीसी) का शुभारंभ किया। यह अत्याधुनिक केंद्र भारत में अपनी तरह का पहला संस्थान है, जिसे पारंपरिक ज्ञान एवं आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के समन्वय के माध्यम से रोगी-केंद्रित और साक्ष्य-आधारित कर्करोग उपचार विज्ञान पुनर्वास उपलब्ध कराने के उद्देश्य से स्थापित किया गया है।
इस केंद्र का वर्चुअल शुभारंभ गोवा के राज्यपाल पुसापति अशोक गजपति राजू ने किया। इस अवसर पर गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत; केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रतापराव जाधव, जो कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में भी राज्य मंत्री हैं; केंद्रीय विद्युत तथा नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय में राज्य मंत्री श्रीपद येसो नाइक; पेरनेम के विधायक प्रवीण आर्लेकर व आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा की गरिमामयी उपस्थिति रही।
भारत में अपनी तरह का पहला केंद्र
आईओआरसीसी देश के उन अग्रणी बहु-विषयक केंद्रों में से है, जो आयुर्वेद, योग, फिजियोथेरेपी, आहार चिकित्सा, पंचकर्म और आधुनिक कर्करोग उपचार विज्ञान को एक ही छत के नीचे समन्वित करता है। इसे विशेष रूप से समग्र व रोगी को विशेष रूप से ध्यान में रखते हुए देखभाल उपलब्ध कराने के लिए विकसित किया गया है, जहां पर व्यापक पुनर्वास सेवाओं के माध्यम से कैंसर रोगियों को संपूर्ण सहयोग तथा बेहतर जीवन गुणवत्ता प्रदान करने पर विशेष बल दिया जाता है।
इस कार्यक्रम में गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत ने अपने संबोधन में कहा:
एआईआईए गोवा में एकीकृत ऑन्कोलॉजी अनुसंधान एवं देखभाल केंद्र कैंसर के खिलाफ हमारी लड़ाई में एक ऐतिहासिक कदम है। गोवा सरकार, एआईआईए गोवा और टाटा मेमोरियल सेंटर के एसीटीआरईसी के सहयोग से विकसित यह केंद्र ऐसा देखभाल मॉडल प्रस्तुत करता है, जो शल्य चिकित्सा, कीमोथेरेपी व विकिरण जैसे आधुनिक उपचार प्रणालियों को साक्ष्य-आधारित आयुर्वेदिक पद्धतियों के साथ संयोजित करता है। इस पहल का उद्देश्य स्वास्थ्य लाभ को बढ़ाना, दुष्प्रभावों को कम करना और रोगियों की प्रतिरक्षा क्षमता को बढ़ाना है, जिससे न केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी एकीकृत कैंसर देखभाल का नया मानक स्थापित हो सके।
स्वास्थ्य सेवा नवाचार के उत्प्रेरक के रूप में आयुष
केंद्रीय मंत्री श्री प्रतापराव जाधव ने मंत्रालय के व्यापक दृष्टिकोण का उल्लेख किया:
आयुष मंत्रालय ऐसे उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना के लिए प्रतिबद्ध है, जो पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों को आधुनिक जैव-चिकित्सा विज्ञान के साथ एकीकृत करते हैं। आईओआरसीसी इसी दृष्टिकोण का सशक्त उदाहरण है, जो साक्ष्य-आधारित एकीकृत पुनर्वास प्रदान करता है। यह पहल पारंपरिक कैंसर देखभाल को पूरक बनाते हुए रोगियों की जीवन गुणवत्ता और मनोसामाजिक कल्याण में उल्लेखनीय वृद्धि करती है।
श्री श्रीपाद येसो नाइक ने इस परिप्रेक्ष्य की पुष्टि करते हुए कहा:
एआईआईए गोवा में अपनाया गया यह अभिनव मॉडल जटिल स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना कर रहे अनगिनत परिवारों के लिए नई आशा का स्रोत है। इसके पुनर्वास सेवाएं न केवल कैंसर, बल्कि तंत्रिका-संबंधी और विकासात्मक विकारों के प्रबंधन में भी महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करती हैं।
नेतृत्व एवं नैदानिक विशेषज्ञता
केंद्र की अध्यक्षता एआईआईए गोवा की डीन प्रोफेसर डॉ. सुजाता कदम करेंगी, जबकि संयोजक की भूमिका डॉ. संजय खेडेकर निभाएंगे। इसके नैदानिक और शैक्षणिक दल में प्रख्यात कैंसर विशेषज्ञ व एकीकृत चिकित्सा विशेषज्ञ शामिल हैं, जिनमें डॉ. शेखर साल्कर तथा एआईआईए गोवा के अन्य संकाय सदस्य भी प्रमुख रूप से योगदान दे रहे हैं।
एआईआईए दिल्ली के निदेशक प्रोफेसर पी.के. प्रजापति ने केंद्र के अनुसंधान उद्देश्यों के बारे में जानकारी दी:
आईओआरसीसी वास्तव में एआईआईए की उस प्रतिबद्धता का प्रतीक है, जो साक्ष्य-आधारित एकीकृत स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए है। यह केंद्र आयुर्वेद, योग और आधुनिक पुनर्वास विज्ञानों के समन्वय से ऐसे मान्य प्रोटोकॉल विकसित करने का लक्ष्य रखता है, जो कैंसर देखभाल की सुरक्षा, प्रभावकारिता तथा समग्र परिणामों में सुधार सुनिश्चित करें।
एआईआईए गोवा की डीन प्रोफेसर डॉ. सुजाता कदम ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा:
आईओआरसीसी केवल बहु-विषयक नैदानिक देखभाल प्रदान करने के लिए ही नहीं बल्कि एकीकृत ऑन्कोलॉजी में उन्नत अनुसंधान, प्रशिक्षण और नवाचार का केंद्र बनने के लिए भी तैयार किया गया है। यह केंद्र आयुष-आधारित कैंसर पुनर्वास में क्षमता निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देगा।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य एकीकरण की दिशा में एक कदम
उद्घाटन समारोह में आयुष मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, एआईआईए के अकादमिक कर्मी और एकीकृत ऑन्कोलॉजी टीम के प्रमुख चिकित्सक उपस्थित थे। आयुष मंत्रालय ने आईओआरसीसी की स्थापना के साथ भारत की राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति एवं वैश्विक सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों के अनुरूप एकीकृत स्वास्थ्य देखभाल ढांचा विकसित करने के अपने दृष्टिकोण को और दृढ़ किया है।
यह पहल पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों के ज्ञान को आधुनिक चिकित्सा की कठोर साक्ष्य-आधारित विधियों के साथ जोड़कर भारत में स्वास्थ्य देखभाल से जुड़े इकोसिस्टम को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह एक ऐसा मॉडल प्रस्तुत करती है, जिसे पूरे देश में अपनाया और दोहराया भी जा सकता है।
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