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Ministry of Coal successfully launches 13th round of commercial coal mine auction
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कोयला मंत्रालय ने वाणिज्यिक कोयला खदान नीलामी के 13वें दौर का सफलतापूर्वक शुभारंभ किया

भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मज़बूत करने और घरेलू कोयला उत्पादन में तेज़ी लाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, कोयला मंत्रालय ने आज नई दिल्ली में वाणिज्यिक कोयला खदान नीलामी के 13वें दौर का सफलतापूर्वक शुभारंभ किया। इस कार्यक्रम में केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री जी. किशन रेड्डी मुख्य अतिथि और राज्य मंत्री सतीश चंद्र दुबे विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।

केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी ने अपने मुख्य भाषण में वित्त वर्ष 2025 में एक अरब टन (बीटी) कोयला उत्पादन को पार करने की भारत की ऐतिहासिक उपलब्धि का जश्न मनाया, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में शुरू किए गए परिवर्तनकारी सुधारों का प्रमाण है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि 2015 के बाद से, पारदर्शी नीलामी व्यवस्था, निजी क्षेत्र की बढ़ती भागीदारी और तकनीकी आधुनिकीकरण के माध्यम से कोयला क्षेत्र में व्यापक बदलाव आया है।

केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कोयला क्षेत्र आत्मनिर्भर भारत के एक प्रमुख समर्थक के रूप में उभर रहा है, जहाँ पारदर्शी और समावेशी नीलामी प्रणाली नई कंपनियों और छोटी खनन फर्मों को आकर्षित कर रही है और उन्हें उद्योग में प्रवेश के नए अवसर प्रदान कर रही है। 12 दौर में 134 खदानों की नीलामी के साथ, 41,600 करोड़ रुपए के निवेश आकर्षित हुए और 3.5 लाख रुपए से अधिक रोजगार सृजित हुए। उन्होने कहा कि हम भारत के ऊर्जा परिदृश्य को नया आकार दे रहे हैं। 13वें दौर में 14 कोयला ब्लॉक शुरू हुए, जिससे आयात पर निर्भरता और कम हुई और विदेशी मुद्रा का संरक्षण हुआ। पारदर्शी नीलामी प्रक्रिया ने स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दिया है, जिससे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) को नवाचार करने और निजी क्षेत्र के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए प्रेरित किया गया है, जिससे परिचालन दक्षता और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता में वृद्धि हुई है।

जी. किशन रेड्डी ने पारंपरिक कोयला खनन से कोयला गैसीकरण के माध्यम से कोयले के स्वच्छ उपयोग की ओर विविधीकरण की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत के 40% से अधिक कोयला संसाधन, लगभग 370 बिलियन टन, गहरे भूमिगत हैं और वर्तमान में पारंपरिक तरीकों से खनन योग्य नहीं हैं। भूमिगत कोयला गैसीकरण (यूसीजी) एक परिवर्तनकारी दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करता है, जो इन विशाल, अप्रयुक्त कोयला भंडारों को सीधे भूमिगत सिंथेटिक गैस में परिवर्तित करने की अनुमति देता है। कोयले का यथा स्थान दोहन करके, यह तकनीक न केवल अपार ऊर्जा क्षमता को बढ़ावा देती है, बल्कि सतही विक्षोभ को भी कम करती है, भूमि उपयोग को कम करती है और स्वच्छ, अधिक टिकाऊ कोयला उपयोग को बढ़ावा देती है, जो भारत के ऊर्जा रोडमैप में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कोयला उत्पादन के महत्व पर भी प्रकाश डाला और सफल बोली दाताओं से प्रोत्साहन प्राप्त करने के लिए समय से पहले उत्पादन शुरू करने का आग्रह किया। साथ ही, उन्होंने प्रगतिशील सुधारों, बाधाओं को दूर करने, स्वीकृतियों में तेज़ी लाने और व्यापार सुगमता में सुधार के लिए मंत्रालय की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। इस बात पर ज़ोर देते हुए कि कोयले की मांग में वृद्धि जारी रहेगी, उन्होंने कहा कि दुनिया के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक और उपभोक्ता के रूप में भारत को अपने विशाल भंडारों से उत्पादन बढ़ाने के लिए आगे की योजना बनानी चाहिए।

प्रधानमंत्री के “सुधार, प्रदर्शन, परिवर्तन” के दृष्टिकोण पर प्रकाश डालते हुए, जी. किशन रेड्डी ने इस बात पर ज़ोर दिया कि मंत्रालय दक्षता, पारदर्शिता और दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए सुधारों को आगे बढ़ा रहा है। उन्होंने हितधारकों से सुधारों को और मज़बूत बनाने तथा इस क्षेत्र के विकास में तेज़ी लाने के लिए रचनात्मक सुझाव देने का भी आह्वान किया।

जी. किशन रेड्डी ने कोयला खनन में सामुदायिक विकास और स्थानीय जनता के कल्याण से जुड़े समग्र दृष्टिकोण पर भी बात की। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि आज कोयले में निवेश करना भारत के भविष्य में निवेश करना है। इस क्षेत्र में हर अवसर न केवल हमारी ऊर्जा सुरक्षा को मज़बूत करता है, बल्कि दीर्घकालिक विकास, सतत विकास और आत्मनिर्भर एवं समृद्ध ऊर्जा परिदृश्य की ओर राष्ट्र की यात्रा का हिस्सा बनने का अवसर भी प्रदान करता है।

केंद्रीय कोयला एवं खान राज्य मंत्री सतीश चंद्र दुबे ने अपने संबोधन में कहा कि भारत द्वारा एक अरब टन कोयला उत्पादन का आंकड़ा पार करने के साथ ही, वाणिज्यिक कोयला खदान नीलामी के 13वें दौर का शुभारंभ करना ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि पारदर्शी नीलामी व्यवस्था, उद्योग- अनुकूल नीतियाँ और निजी क्षेत्र की बढ़ती भागीदारी न केवल कोयला उत्पादन को बढ़ाएगी, बल्कि निवेश को आकर्षित करेगी, रोज़गार के अवसर पैदा करेगी और बुनियादी ढाँचे के विकास को गति देगी।

उन्होंने कुशल खदान बंद करने की प्रक्रियाओं, पर्यावरण संरक्षण के लिए वृक्षारोपण और स्थानीय समुदायों के लिए आजीविका सृजन सहित सतत विकास की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। उन्होंने प्रधानमंत्री द्वारा शुरू की गई “एक पेड़ माँ के नाम” पहल के तहत वृक्षारोपण अभियान पर भी प्रकाश डाला और प्रतिभागियों से इस पहल में योगदान देने का आग्रह किया।

उन्होंने यह भी दोहराया कि ऊर्जा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण के अनुरूप, व्यापार करने में सुगमता एक प्रमुख फोकस क्षेत्र बना हुआ है।

कोयला मंत्रालय में सचिव, विक्रम देव दत्त ने अपने संबोधन में, सीएमएसपी अधिनियम, 2015 के लागू होने से लेकर 2020 में वाणिज्यिक कोयला खनन की शुरुआत तक, इस क्षेत्र में हुए परिवर्तन का व्यापक अवलोकन प्रस्तुत किया। उन्होंने 1 बिलियन टन कोयला उत्पादन की उपलब्धि की सराहना की और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, रेल मंत्रालय और राज्य सरकारों के साथ समन्वय के माध्यम से खदानों के तेज़ संचालन, सुव्यवस्थित स्वीकृतियों और बेहतर लॉजिस्टिक्स के लिए मंत्रालय की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।

विक्रम देव दत्त ने भारत के ऊर्जा रोडमैप में कोयला गैसीकरण के रणनीतिक महत्व पर ज़ोर दिया। ये प्रौद्योगिकियाँ पारंपरिक कोयला दहन के लिए स्वच्छ विकल्प प्रदान करती हैं, जिससे बिजली उत्पादन, उर्वरकों और पेट्रोकेमिकल्स में उपयोग के लिए सिंथेटिक गैस का उत्पादन संभव हो पाता है। ये कार्बन उत्सर्जन को कम करती हैं, संसाधनों के उपयोग को अनुकूलित करती हैं और गहरे कोयला भंडारों से मूल्य प्राप्त करती हैं, जिनका खनन अन्यथा आर्थिक रूप से लाभदायक नहीं होता।

विक्रम देव दत्त ने भारत में कोयला गैसीकरण की वर्तमान स्थिति पर भी विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि कई प्रायोगि परियोजनाएं चल रही हैं और मंत्रालय ने कोयला गैसीकरण को बढ़ावा देने के लिए 8500 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन योजना शुरू की है, जो पात्र परियोजनाओं को वित्तीय सहायता और नीतिगत सुविधा प्रदान करती है।

विक्रम देव दत्त ने कहा, “हम एक समर्पित प्रोत्साहन ढाँचे के माध्यम से कोयला गैसीकरण का सक्रिय रूप से समर्थन कर रहे हैं।” इस प्रोत्साहन योजना के लिए सात परियोजनाओं का चयन किया गया है। इससे कोयला अपनाने में तेज़ी आएगी, निवेश आकर्षित होगा और भारत स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकियों में वैश्विक अग्रणी के रूप में स्थापित होगा।

उन्होंने हितधारकों को पर्यावरण मंज़ूरी (ईसी) और वन मंज़ूरी (एफसी) में तेज़ी लाने, बाधाओं को दूर करने और ज़िम्मेदार खनन प्रथाओं को सुनिश्चित करने में मंत्रालय के पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया। पर्यावरणीय स्थिरता एक प्राथमिकता बनी हुई है, जिसमें वनीकरण, खनन-मुक्त क्षेत्रों के पुनर्वास और कड़े अनुपालन उपायों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।

कोयला मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव एवं नामित प्राधिकारी रूपिंदर बरार ने स्वागत भाषण देते हुए, निजी क्षेत्र के लिए नए अवसर खोलने और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने में वाणिज्यिक कोयला खनन के परिवर्तनकारी प्रभाव पर प्रकाश डाला।

उन्होंने यह भी बताया कि भूमिगत कोयला गैसीकरण (यूसीजी) कोयला उपयोग में एक अग्रणी तकनीक है, जो भूमिगत रहते हुए ही कोयले को सीधे सिंथेटिक गैस में परिवर्तित करने में सक्षम बनाती है। यह प्रक्रिया पारंपरिक खनन विधियों की तुलना में सतही व्यवधान को कम करती है, भूमि की आवश्यकता को कम करती है और पर्यावरणीय प्रभाव को कम करती है।

यूसीजी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, रूपिंदर बरार ने कहा कि भारत में अधिक गहराई पर स्थित विशाल कोयला भंडार हैं, जिनका पारंपरिक खनन की तकनीकी और आर्थिक सीमाओं के कारण दोहन नहीं हो पाया है। यूसीजी इन भंडारों का दोहन करने का एक स्थायी मार्ग प्रदान करता है, ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए ज़िम्मेदार और स्वच्छ कोयला उपयोग के सिद्धांतों के अनुरूप है।

यह शुभारंभ नए निवेश अवसरों को खोलने, ज़िम्मेदार खनन प्रथाओं को सुनिश्चित करने और भारत के कोयला क्षेत्र में अधिक भागीदारी को बढ़ावा देने की दिशा में एक और बड़ा कदम है। इस कार्यक्रम में सफल बोलीदाताओं के साथ पिछले चरण के समझौतों पर हस्ताक्षर भी किए गए, जिससे कोयला खनन में पारदर्शिता, दक्षता और निजी क्षेत्र की भागीदारी के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता मजबूत हुई।

वाणिज्यिक कोयला खदान नीलामी के 13वें दौर के तहत, कोयला खदान (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 2015 (सीएमएसपी) के तहत 4 कोयला खदानें और खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1957 (एमएमडीआर) के तहत 10 खदानें पेश की जा रही हैं। कुल खदानों में से 10 पूरी तरह से अन्वेषित हैं और तत्काल विकास के लिए तैयार हैं, जबकि 4 आंशिक रूप से अन्वेषित हैं, जो दीर्घकालिक निवेश के अवसर प्रदान करती हैं और भारत के कोयला क्षेत्र के विकास में योगदान देती हैं। इसके अलावा, वाणिज्यिक कोयला खदान नीलामी के पिछले दौर की तीन खदानें भी पेश की जा रही हैं। नीलामी प्रक्रिया में शामिल ये खदानें झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे कोयला उत्पादक राज्यों में फैली हुई हैं।

वाणिज्यिक कोयला खदान नीलामी का 13वां दौर नए निवेश के अवसर खोलेगा, घरेलू कोयला आपूर्ति बढ़ाएगा और भारत की ऊर्जा सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान देगा। कोयला मंत्रालय इस क्षेत्र में विकास, स्थिरता और सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है तथा यह सुनिश्चित करता है कि भारत पर्यावरण संरक्षण और सामुदायिक कल्याण को प्राथमिकता देते हुए आत्मनिर्भर कोयला अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ता रहे।

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