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वस्त्र मंत्रालय ने मानव निर्मित रेशे से बने कपड़े (MMF) और तकनीकी वस्त्र क्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिए PLI योजना में प्रमुख संशोधन अधिसूचित किए

वस्त्र मंत्रालय ने सिंथेटिक या कृत्रिम रूप से बनाए गए रेशों से बने परिधान और कपड़े और तकनीकी वस्त्र उत्पादों के लिए उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना में प्रमुख संशोधन अधिसूचित किए हैं। ये महत्वपूर्ण संशोधन वस्‍त्र उद्योग की चुनौतियों का समाधान करने, व्यापार सुगमता बढ़ाने, इस क्षेत्र में नए निवेश प्रोत्साहित करने और विकास को गति देने के लिए किए गए हैं। ये बदलाव रोज़गार को बढ़ावा देने और वैश्विक वस्त्र बाजार में भारत की पहुंच व्‍यापक बनाने के सरकार के ध्‍यान को रेखांकित करते हैं। योजना के संशोधित दिशानिर्देश भी जारी किए जा रहे हैं।

पीएलआई योजना में प्रमुख संशोधन:

पात्र उत्पादों का विस्तार: मैन मेड फाइबर परिधान के लिए वैश्विक व्‍यापार सुगमता मानक संबंधी 8 नए हार्मोनाइज्ड सिस्टम ऑफ नोमेनक्लेचर कोड और मैन मेड फाइबर कपड़े (फैब्रिक्स) के लिए 9 नए एचएसएन कोड शामिल करना।

नई कंपनियां स्थापित करने से छूट: आवेदक अब मौजूदा कंपनियों के अंतर्गत परियोजना इकाइयां स्थापित कर सकते हैं।

निवेश की न्यूनतम सीमा में कमी की गई: दिनांक 01 अगस्‍त, 2025 से, सभी नए आवेदकों के लिए, योजना के भाग-1 श्रेणी में न्यूनतम निवेश 300 करोड़ रुपये से घटाकर 150 करोड़ रुपये और भाग-2 श्रेणी में 100 करोड़ रुपये से घटाकर 50 करोड़ रुपये किया गया।

प्रोत्साहन के लिए वृद्धिशील टर्नओवर मानदंड में कमी की गई, पहले के 25 प्रतिशत से घटाकर इसे 10 प्रतिशत किया गया: वित्तीय वर्ष 2025-26 से, आवेदकों को अब प्रोत्साहन प्राप्‍त करने की अर्हता हेतु पिछले वर्ष की तुलना में न्यूनतम 10 प्रतिशत वृद्धिशील टर्नओवर प्रदर्शित करना होगा (दूसरे वर्ष से)।

उपरोक्त संशोधनों से प्रवेश संबंधी बाधाएं और वित्तीय सीमाएं काफी कम हो जाएंगी, जिससे क्रियान्वयन तेजी से संभव हो सकेगा।

आवेदन समय-सीमा विस्तारित:

वस्त्र मंत्रालय ने उद्योग जगत की व्यापक भागीदारी प्रोत्साहित करने के लिए, पीएलआई योजना आवेदन पोर्टल 31 दिसंबर, 2025 तक खोल दिया है। इच्छुक कंपनियों से आग्रह किया जाता है कि वे संशोधित ढांचे और बढ़ाई गई समय-सीमा का लाभ उठाकर आवेदन करें और देश को वैश्विक वस्त्र विनिर्माण केंद्र बनने के दृष्टिकोण में योगदान दें।

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