देश आज 93वां वायु सेना दिवस मना रहा है। आठ अक्तूबर को हम वायु सेना दिवस मनाते हैं। 1932 में छह पायलट और 19 वायु सैनिकों के साथ एक छोटी सी शुरुआत से बढ़ते हुए हमारी वायु सेना आज 21वीं सदी की सबसे साहसिक और शक्तिशाली एयरफोर्स में शामिल हो चुकी है।
‘नव स्पर्शम दीप्तम’ – ‘टच द स्काई विद ग्लोरी’ के आदर्श वाक्य के साथ भारतीय वायु सेना, भारतीय आकाशीय सीमाओं की रक्षा में सदैव तत्पर रही है। युद्ध की स्थिति में शौर्य पराक्रम की पटकथा लिखनी हो या प्राकृतिक आपदाओं और संकटों के समय आसमान से मानवीय सहायता पहुंचानी हो। भारतीय वायु सेना के जवान हर मौर्चे पर मौजूद रहें हैं। वायु सेना प्रमुख अमर प्रीत सिंह ने कल वायु सेना दिवस की पूर्व संध्या पर कहा कि वायु सेना दिवस उन वायु योद्धाओं को समर्पित है, जिन्होंने त्याग और परिश्रम से देश के आसमानों की रक्षा की है।
वायु सेना दिवस उन वायु योद्धाओं को समर्पित है, जिन्होंने त्याग, बलिदान और कर्मठता से राष्ट्र के आकाश की रक्षा की है।
1947-48, 1962, 1965, 1971 और 1999 का करगिल, ऑपरेशन मेघदूत, कैकटस, बालाकोट एयर स्ट्राइक और ऑपरेश सिंदूर, दुनिया ने हर बार भारतीय वायु शक्ति की नई धमक देखी। समाचार कक्ष से, शक्ति सिंह।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज वायु सेना दिवस पर सभी वायु सैनिकों, भूतपूर्व सैनिकों और उनके परिजनों को बधाई दी है। सोशल मीडिया पोस्ट में राष्ट्रपति ने राष्ट्र की सेवा में अनुकरणीय साहस, प्रतिबद्धता और उत्कृष्ट सेवा के लिए वायु सेना की सराहना की।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वायु सेना दिवस पर सभी साहसी वायु योद्धाओं और उनके परिवारों को शुभकामनाएं दी हैं। प्रधानमंत्री ने एक्स पर अपनी एक पोस्ट में कहा: “वायु सेना दिवस पर सभी साहसी वायु योद्धाओं और उनके परिवारों को शुभकामनाएं। भारतीय वायु सेना वीरता, अनुशासन और सटीकता का प्रतीक है। उन्होंने हमारे आकाश की सुरक्षा में, सबसे चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। प्राकृतिक आपदाओं के दौरान भी उनकी भूमिका अत्यंत सराहनीय रही है। उनकी प्रतिबद्धता, पेशेवर कौशल और अदम्य साहस हर भारतीय को गौरवान्वित करता है।