राष्ट्रीय कौशल विकास निगम और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने कौशल विकास एवं आजीवन सीखने को प्रोत्साहन देने के लिए रणनीतिक साझेदारी की
कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय (एमएसडीई) और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के तत्वावधान में राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) ने कौशल मिशन को आगे बढ़ाते हुए, आज भारत और विश्व स्तर पर कौशल विकास एवं आजीवन सीखने को आगे बढ़ाने के लिए एक रणनीतिक साझेदारी की घोषणा की। इस सहयोग का उद्देश्य दुनिया भर में लोगों को आवश्यक कौशल और योग्यताओं से सुसज्जित करके उन्हें सशक्त बनाना है, जिससे रोजगार क्षमता व सतत आर्थिक विकास में वृद्धि हो सके। इस कार्यक्रम में कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय (एमएसडीई) के सचिव अतुल कुमार तिवारी और मंत्रालय के अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
इस समझौता ज्ञापन पर राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और एनएसडीसी इंटरनेशनल के प्रबंध निदेशक वेद मणि तिवारी, और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) में रोजगार नीति, नौकरी निर्माण और आजीविका विभाग के निदेशक संघोन ली द्वारा हस्ताक्षर किए गए। समझौते में दोनों संगठनों की अपनी ताकत और विशेषज्ञता का लाभ उठाने की प्रतिबद्धता की पुष्टि की गई। यह साझेदारी प्रभावी नीतियों, शासन और वित्तपोषण संरचनाओं को विकसित करने के लिए समर्पित है जो राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कौशल विकास को प्रोत्साहित करेगी। साझेदारी का एक प्रमुख पहलू स्किल इंडिया डिजिटल केंद्र (एसआईडीएच) का कार्यान्वयन है। यह डिजिटल परिवर्तन कौशल विकास पहलों को सुव्यवस्थित करेगा तथा उनकी दक्षता, पहुंच और वैश्विक प्रभाव को बढ़ाएगा।
साझेदारी की सराहना करते हुए कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय (एमएसडीई) के सचिव अतुल कुमार तिवारी ने कहा कि साझेदारी का एक प्रमुख पहलू स्किल इंडिया डिजिटल केंद्र (एसआईडीएच) को अपनाना है और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के सदस्य देशों में सरकारें, श्रमिक और नियोक्ता संगठन शामिल होंगे तथा लागत प्रभावी मॉडल के आधार पर प्रणाली, प्रक्रियाओं, कौशल वितरण और नौकरी मिलान को डिजिटल बनाने के लिए एसआईडीएच का उपयोग करने में सक्षम होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि यह डिजिटल परिवर्तन कौशल विकास पहल की दक्षता को बढ़ाएगा, जिससे वे विश्व स्तर पर अधिक सुलभ और प्रभावशाली बनेंगे। उन्होंने ऐसी नीतियां और मंच बनाने के लिए कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय (एमएसडीई) की प्रतिबद्धता पर बल दिया जो राष्ट्रीय व वैश्विक स्तर पर सफल होने के लिए प्रतिभाओं के लिए आजीवन सीखने और निरंतर कौशल विकास का समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा कि एसआईडीएच इस प्रतिबद्धता का उदाहरण है और यह साझेदारी सीमाओं के पार कौशल विकास के माध्यम से व्यक्तियों को सशक्त बनाने के साझा मिशन को दर्शाती है।
अतुल कुमार तिवारी ने यह भी कहा कि अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) का उद्देश्य विशेषज्ञता को कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय (एमएसडीई) की स्किलिंग, रीस्किलिंग और अपस्किलिंग की प्रतिबद्धता के साथ जोड़कर, व्यक्तियों को व्यवधानों से निपटने और एक स्थायी भविष्य बनाने के लिए सशक्त बनाना है। उन्होंने यह भी कहा कि कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय (एमएसडीई) कौशल को बढ़ाएगा और रोजगार क्षमता को प्रोत्साहन देगा, जिससे उभरते नौकरी बाजार में प्रभावशाली बदलाव आएगा।
साझेदारी का उद्देश्य सेक्टर स्किल काउंसिल (एसएससी) को बढ़ाने, माइक्रो-क्रेडेंशियल विकसित करने और वैश्विक ज्ञान-साझाकरण मंच के माध्यम से पूर्व शिक्षण की मान्यता (आरपीएल) को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी और ज्ञान के आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करना है। कौशल और योग्यताओं की तुलनीयता को मजबूत करके, संभावित गंतव्य देशों में आवश्यक लोगों के साथ भारतीय श्रमिकों के कौशल व योग्यताओं का आकलन और तुलना करने के लिए डिजिटल उपायों को विकसित करके उन्हें काम में लगाया जाएगा, जिससे भारतीय श्रमिकों के लिए आवाजाही और वैश्विक रोजगार की संभावनाओं में सुधार होगा।
साझेदारी के बारे में चर्चा करते हुए, वेद मणि तिवारी ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) और एनएसडीसी के बीच समझौता ज्ञापन भारत में कौशल संबंधी इकोसिस्टम के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि यह साझेदारी वैश्विक अवसरों के लिए भारतीय युवाओं का एक समूह बनाने में मदद करेगी, क्योंकि साझेदारी का उद्देश्य भारतीय योग्यताओं को वैश्विक कौशल मानकों के साथ तालमेल बिठाते हुए उनका मानकीकरण करना है। वेद मणि तिवारी ने यह भी कहा कि भारत जीसीसी के लिए एक पसंदीदा गंतव्य बन रहा है, जिससे भारतीय युवाओं के लिए पूरी दुनिया के लिए दूर से वितरित ज्ञान कार्यों में भाग लेने के अवसर खुल रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कुशल प्रवासन पर सरकार द्वारा जोर दिए जाने से उन लोगों के लिए अवसर तैयार होता है, जो अंतर्राष्ट्रीय कार्यबल में शामिल होने के लिए प्रवास करना चाहते हैं। उन्होंने साउथ एशियन क्वालीफिकेशन फ्रेमवर्क जैसे क्षेत्रीय योग्यता संबंधी संरचना को विकसित करने के लिए आईएलओ के साथ काम करने के लिए भी उत्साह व्यक्त किया, जिससे पड़ोसी देशों के युवाओं को भी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि एनएसडीसी की साझेदारी से आईएलओ के सदस्य देशों को एनएसडीसी डिजिटल की सेवाएं प्रदान करने में भी मदद मिलेगी।
रणनीतिक साझेदारी के बारे में बोलते हुए, संघोन ली ने कहा कि एनएसडीसी तकनीकी क्षमता और आईएलओ मानक-सेटिंग कार्यों, त्रिपक्षीयता एवं वैश्विक पहुंच के संयोजन से वैश्विक स्तर पर प्रशिक्षण पहुंच और गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार की संभावना है। उन्होंने यह भी कहा कि एनएसडीसी के साथ साझेदारी एक तालमेल आधारित प्रभाव पैदा करेगी, जो न केवल भारत में बल्कि विश्व स्तर पर और भी अधिक सामाजिक न्याय के लिए कौशल विकास के परिवर्तन का नेतृत्व करने की सामूहिक क्षमता को बढ़ाएगी।
गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षुता को बढ़ावा देना, रोजगार और उत्पादकता के लिए कार्य-आधारित शिक्षा और टिकाऊ उद्यमों का विकास इस सहयोग का आधार होगा। डेटा-संचालित दृष्टिकोण पर सहयोग करते हुए, आईएलओ और एनएसडीसी का लक्ष्य विभिन्न उद्योगों की उभरती मांगों के साथ कौशल विकास पहल को तालमेल प्रदान करना है।
नीतिगत विकास और डेटा विश्लेषण के अलावा, साझेदारी नवीन शिक्षण कार्यक्रमों के विकास और समर्थन को प्राथमिकता देगी। इन कार्यक्रमों को लचीला और समावेशी बनाने के लिए डिजाइन किया जाएगा, जिससे शिक्षार्थियों के बीच अनुकूलनशीलता को बढ़ावा मिलेगा और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कौशल विकास समाज के सभी वर्गों के लिए प्रासंगिक और सुलभ बना रहे।