भारतीय नौसेना की नौका तारिणी नाविका सागर परिक्रमा II नामक एक वैश्विक परिनौचालन अभियान पर है। यह समुद्र में 39 दिनों की चुनौतीपूर्ण यात्रा के बाद अपने पहले पोर्ट ऑफ कॉल के लिए 09 नवम्बर, 2024 को लगभग 1430 बजे (स्थानीय समयानुसार 1700 बजे) ऑस्ट्रेलिया के फ्रीमैंटल में बंदरगाह पर पहुंची।
नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी ने इस ऐतिहासिक अभियान को 02 अक्टूबर, 2024 को गोवा से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था।
इस नौका ने गोवा से 4900 नॉटिकल मील की दूरी तय की है और 16 अक्टूबर, 2024 को भूमध्य रेखा को पार किया तथा 27 अक्टूबर, 2024 को मकर रेखा से आगे निकल गयी। इस 38 दिन की निरन्तर यात्रा में भारतीय नौसेना की जोड़ी लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना के और लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा ए को शांत वातावरण से लेकर मौसम की गंभीर स्थिति तक का सामना करना पड़ा। इस दौरान उनके सामने आने वाली चुनौतियों में 40 नॉट्स की गति से चलने वाली तेज हवाएं तथा समुद्री स्थिति 6 के अनुसार 6 मीटर की ऊंचाई वाली लहरें भी शामिल थीं। पूरी यात्रा के दौरान चालक दल के सदस्य अच्छे स्वास्थ्य के साथ उत्साह में रहे और उन्होंने विषम परिस्थितियों का सामना करते हुए भी अपनी दृढ़ता का परिचय दिया।
इस विशेष अभियान की नौसेना प्रमुख द्वारा लगातार बारीकी से नजर रखी जाती रही है और प्रतिदिन हुई प्रगति की जानकारी प्राप्त की जा रही थी। दिवाली की पूर्व संध्या पर जब यह छोटा जहाज समुद्र में था, तब नौसेना प्रमुख ने चालक दल के सदस्यों से बातचीत की। इस वार्तालाप के दौरान नौका पर सवार दल ने स्वयं को अपने मिशन के लिए पूरी तरह से प्रेरित और समर्पित बताया।
फ्रीमैंटल में आईएनएसवी तारिणी के पहुंचने पर गणमान्य व्यक्तियों द्वारा गर्मजोशी से इसका स्वागत किया गया, जिनमें पर्थ स्थित भारत के महावाणिज्यदूत, ऑस्ट्रेलिया के रक्षा सलाहकार, भारतीय नौसेना नौकायन संघ (आईएनएसए) के सचिव, रॉयल ऑस्ट्रेलियाई नौसेना के प्रतिनिधि, मीडिया के सदस्य तथा ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले भारतीय नौसेना के पूर्व सैनिक शामिल थे। इस औपचारिक समारोह के दौरान शास्त्रीय संगीत की ध्वनि से माहौल को विशेष बनाया गया, जिसे पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के तमिल एसोसिएशन ने पराई ड्रम और कोम्बू थाराई ड्रम का उपयोग करके प्रस्तुत किया, जिससे इस महत्वपूर्ण उपलब्धि को सांस्कृतिक रूप से समृद्ध कर दिया गया।
नाविका सागर परिक्रमा II एक महत्वाकांक्षी जलयात्रा है, जिसमें विश्व भर के चार प्रमुख बंदरगाहों पर रुकना शामिल है। दो महिला चालक दल इस अभियान में आईएनएसवी तारिणी की इस तरह की पहली विशेष जलयात्रा के माध्यम नौसेना की विरासत को आगे बढ़ा रहा है और यह सफर लैंगिक समानता, स्थिरता तथा वैश्विक समुद्री सहयोग को बढ़ावा देता है। यह अभियान अंतर्राष्ट्रीय समुद्री समुदायों के साथ सशक्त संबंधों को विस्तार देने की भारत की प्रतिबद्धता को भी उजागर करता है और भारत की समृद्ध समुद्री विरासत के राजदूत के रूप में कार्य करता है।
आईएनएसवी तारिणी अपने अगले पड़ाव के लिए तैयार है और ऐसे में यह उपलब्धि भारतीय नौसेना में महिला नाविकों की ताकत, उनके कौशल और जुझारूपन को रेखांकित करती है, साथ ही यह यात्रा टिकाऊ एवं समावेशी वैश्विक जुड़ाव के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि भी करती है।