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NHRC Acting Chairperson Vijaya Bharti Sayani reaffirms the Commission's commitment to the protection of human rights in various fields
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NHRC की कार्यवाहक अध्यक्ष विजया भारती सयानी ने विभिन्न क्षेत्रों में मानव अधिकारों के संरक्षण हेतु आयोग की प्रतिबद्धता की पुष्टि की

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) ने ‘गरिमा की सुरक्षा: आपूर्ति श्रृंखलाओं में मानव अधिकार संबंधी उचित परिश्रम’ पर चर्चा करने के लिए व्यापार और मानव अधिकार पर आयोग के कोर ग्रुप की बैठक बुलाई। बैठक की अध्यक्षता करते हुए, एनएचआरसी, भारत की कार्यवाहक अध्यक्ष विजया भारती सयानी ने व्याेपार में श्रम अधिकारों और सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के साथ उनके संरेखण सहित मानव अधिकारों का सम्मान करने के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि एसडीजी के अधिकांश लक्ष्य मानव अधिकार दायित्वों के अनुरूप हैं। उन्होंने व्यवसायों को सतत रूप से संचालित करने और अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं में इन सिद्धांतों का विस्तार करने के लिए अपनी संगठनात्मक संस्कृति में मानव अधिकार संरक्षण को एकीकृत करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

विजया भारती सयानी ने कहा कि एनएचआरसी, भारत व्यासपार में मानव अधिकारों के उल्लंघन के मुद्दों को संबंधित सरकारी अधिकारियों के साथ उठाने के लिए प्रतिबद्ध है। इस संदर्भ में, उन्होंने हरियाणा में अमेज़ॅन के गोदाम में कथित श्रमिक विरोधी प्रथाओं और तमिलनाडु में एप्पल उपकरणों के एक प्रमुख निर्माता फॉक्सकॉन में भेदभावपूर्ण प्रथाओं पर आयोग द्वारा हाल ही में लिए गए स्वत: संज्ञान पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इस तरह की कार्रवाइयां विभिन्न क्षेत्रों में मानव अधिकारों के संरक्षण हेतु एनएचआरसी की प्रतिबद्धता की पुष्टि करती हैं, तथा यह सुनिश्चित करती हैं कि सभी के साथ सम्मान और निष्पक्षता के साथ व्यवहार किया जाए।

इससे पहले, एनएचआरसी के महासचिव भरत लाल ने अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में इस बात पर जोर दिया कि मौलिक अधिकार भारत के संविधान के मूल में हैं, प्रस्तावना इसकी आत्मा के रूप में कार्य करती है। उन्होंने गिग श्रमिकों के सामने आने वाले जोखिमों पर प्रकाश डाला, जो कम से कम समय में भोजन पहुंचाते हैं और खुद को सड़क दुर्घटनाओं और तनावपूर्ण परिस्थितियों में उजागर करते हैं, जो मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का भी कारण बनते हैं।

भरत लाल ने सेवा और विनिर्माण दोनों क्षेत्रों में मानव अधिकार स्थितियों में सुधार की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर जोर दिया और इस बात पर जोर दिया कि असमानता और शोषण का समाज में कोई स्थान नहीं होना चाहिए। उन्होंने एक प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्था और कारोबारी माहौल का समर्थन किया, जो भविष्य की बाधाओं का आंकलन करे और उन्हें कम करे, साथ ही यह सुनिश्चित करे कि मानव अधिकारों का सार्वभौमिक रूप से सभी को आनंद मिले।

इससे पहले, बैठक का सिंहावलोकन देते हुए, संयुक्त सचिव देवेन्द्र कुमार निम ने चर्चा के विषय ‘गरिमा की सुरक्षा: आपूर्ति श्रृंखलाओं में मानव अधिकारों के प्रति उचित परिश्रम’ के बारे में विस्तार से बताया, जिसमें मानव अधिकारों और व्यावसायिक प्रथाओं से संबंधित कई पहलुओं ‘मानव अधिकारों के उचित परिश्रम का महत्व और प्रमुख विशेषताएं’, ‘मौजूदा प्रणालियों में अंतराल और चुनौतियों को समझना एवं पहचानना’ तथा ‘उभरती अच्छी प्रथाएं और भविष्यक का रास्ता’ को शामिल किया गया।

देवेन्द्र कुमार निम ने कहा कि विश्व स्तर पर एक-दूसरे से जुड़ी अर्थव्यवस्था में लाभ कमाने के चक्कर में कभी भी मौलिक मानव अधिकारों से समझौता नहीं करना चाहिए। उन्होंने यह सुनिश्चित करने की सामूहिक जिम्मेदारी को रेखांकित किया कि व्यारपार अपने संचालन में मानव अधिकार उचित परिश्रम (एचआरडीडी) को लागू करके शामिल सभी व्यक्तियों की अंतर्निहित गरिमा और अधिकारों का सम्मान करें और उन्हें बनाए रखें। उन्होंने आशा व्यक्त की कि चर्चा में ठोस सुझाव सामने आएंगे, जिन पर आयोग सरकार को आवश्यक सिफारिशें करने के लिए आगे विचार-विमर्श कर सकता है।

प्रतिभागियों में अन्य लोगों के अलावा, अजय भटनागर, महानिदेशक (अन्वे षण), जोगिंदर सिंह, रजिस्ट्रार (विधि), अनीता सिन्हा, संयुक्त सचिव, केंद्रीय कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय, सार्वजनिक उद्यम विभाग, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड, फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, दलित इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, कानूनी मामलों और नियामक सुधारों के लिए राष्ट्रीय परिषद, सतत विकास के लिए सीआईआई-आईटीसी उत्कृष्टता केंद्र, यूएनडीपी, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन, गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि, शिक्षाविद तथा प्रख्यात विषय-वस्तु विशेषज्ञ शामिल थे।

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