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Panchayati Raj Ministry inaugurates National Seminar on Grassroots Governance Issues to commemorate National Panchayati Raj Day
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पंचायती राज मंत्रालय ने राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के उपलक्ष्य में जमीनी स्तर पर शासन के मुद्दे पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन किया

पंचायती राज मंत्रालय के सचिव विवेक भारद्वाज और ग्रामीण विकास विभाग के सचिव शैलेश कुमार सिंह ने आज राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर नई दिल्ली में “73वें संवैधानिक संशोधन के तीन दशकों के बाद जमीनी स्तर पर शासन” विषय पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन किया।

पंचायती राज मंत्रालय के सचिव, विवेक भारद्वाज ने अपने संबोधन में, नागरिक सशक्तिकरण और सतत विकास लक्ष्य प्राप्ति के लिए जमीनी स्तर पर डिजिटल प्रशासन को प्रदर्शित करने के भारत के अद्वितीय अवसर पर जोर दिया। उन्होंने पंचायतों को ग्रामीण परिवर्तन का इंजन बताया। उन्होंने पंचायतों के कामकाज में बढ़ती पारदर्शिता और ग्रामीण नागरिकों के सशक्तिकरण का हवाला देते हुए ग्रामीण भारत को बदलने में पंचायती राज संस्थाओं के तीस लाख से अधिक निर्वाचित प्रतिनिधियों के योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा, “यह पंचायती राज व्यवस्था को मजबूत करने के लिए चिंतन, संकल्प और पुन: पुष्टि का समय है। पंचायती राज संस्थाओं में बड़ी संख्या में निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों ने पूरे ग्रामीण भारत में महिलाओं के नेतृत्व में विकास का मार्ग प्रशस्त किया है।”

विवेक भारद्वाज ने तीन दशकों के अनुभवों का लाभ उठाते हुए मजबूत, सक्षम और आत्मनिर्भर पंचायतें बनाने के लिए मंत्रालय की प्रतिबद्धता से अवगत कराया। उन्होंने राजस्व के अपने स्रोत (ओएसआर) को बढ़ाने के लिए आत्म-प्रेरित दृष्टिकोण के साथ-साथ पंचायत स्तर पर पर्याप्त और सक्षम मानवशक्ति के महत्व पर जोर दिया।

ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव शैलेश कुमार सिंह ने स्थानीय स्वशासन को मजबूत करने के लिए पंचायत स्तर पर विकास से जुड़ी गतिविधियों और डिजिटल पहलों को एक साथ मिलाने पर प्रकाश डाला।

पंचायती राज मंत्रालय के अपर सचिव डॉ. चंद्र शेखर कुमार ने कहा, “शासन के परिदृश्य में ग्रामीण क्षेत्रों की जरूरतों को पूरा करने के लिए पंचायतों का एक बहुत ही दृश्यमान और जीवंत स्थान है और अब तक की यात्रा बहुत ही घटनापूर्ण और फलदायी रही है।” डॉ. कुमार ने स्थानीय स्वशासन के क्षेत्रों में गतिविधियों और सुधार के माध्यम से पंचायतों के सर्वांगीण विकास के लिए एक विस्तृत रोडमैप साझा किया।

ग्रामीण विकास मंत्रालय के पूर्व सचिव अमरजीत सिन्हा और पंचायती राज मंत्रालय के पूर्व सचिव सुनील कुमार की अध्यक्षता में आयोजित तकनीकी सत्रों में क्रमशः प्रभावी सार्वजनिक सेवा वितरण सुनिश्चित करने और जमीनी स्तर पर सुशासन के सिद्धांतों के विकास में पंचायती राज संस्थाओं के लिए चुनौतियों और अवसरों पर चर्चा की गई। अमरजीत सिन्हा ने प्रभावी सार्वजनिक सेवा वितरण सुनिश्चित करने में पंचायती राज संस्थाओं के समक्ष चुनौतियों और अवसरों पर प्रकाश डाला, जबकि सुनील कुमार ने जमीनी स्तर पर सुशासन सिद्धांतों के विकास पर चर्चा करते हुए पंचायतों को सशक्त बनाने के महत्व पर जोर दिया।

राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान के महानिदेशक डॉ. जी. नरेंद्र कुमार, कर्नाटक सरकार की की अपर मुख्य सचिव (पंचायती राज) उमा महादेवन, पंचायती राज मंत्रालय के संयुक्त सचिव आलोक प्रेम नागर, केरल सरकार में प्रधान सचिव (स्थानीय स्वशासन विभाग) डॉ. शर्मिला मैरी जोसेफ, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में संयुक्त सचिव संकेत एस. भोंडवे, केरल स्थानीय शासन संस्थान के महानिदेशक डॉ. जॉय एलामोन, प्रदान के प्रतिनिधि डॉ. सी.एस. प्राण, तीसरी सरकार, सरबानी बोस, यूनिसेफ की सामाजिक नीति प्रमुख ह्यून ही बान, यूएनएफपीए के नीति और भागीदारी प्रमुख जयदीप विश्वास और टीआरआईएफ के अनीश कुमार उन प्रतिष्ठित वक्ताओं में शामिल थे, जिनकी अंतर्दृष्टि ने स्थानीय स्वशासन और विकास पर सार्थक चर्चा में योगदान करते हुए पूरे कार्यक्रम को समृद्ध किया।

केंद्र और राज्य सरकारों, राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान (एनआईआरडी और पीआर), राजकीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान (एसआईआरडी और पीआर), विशेषज्ञों, शिक्षाविदों, संयुक्त राष्ट्र/बहुपक्षीय संगठनों और नागरिक समाज संगठनों के अधिकारियों सहित प्रमुख हितधारक ग्रामीण शासन परिवर्तन के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाने पर विचार-विमर्श करने के लिए एकत्र हुए। चर्चाएं पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई) के प्रभाव का आकलन करने और डिजिटल/ई-गवर्नेंस पहलों को एकजुट करने पर केंद्रित थीं।

पंचायती राज मंत्रालय द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम ने संविधान (73वां संशोधन) अधिनियम, 1992 के अधिनियमन का जश्न मनाया, जिसने पंचायती राज संस्थानों को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया। संगोष्ठी में विभिन्न पैनलिस्टों का व्यावहारिक योगदान शामिल था। प्रतिभागियों ने ग्रामीण प्रशासन के बेहतर सिद्धांतों, कुशलतापूर्वक पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति को लाभान्वित करने के लिए पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई) को मजबूत करने और मंत्रालय के ‘स्मार्ट पंचायत’ के दृष्टिकोण पर चर्चा की। डिजिटल क्षमता निर्माण, पारदर्शिता बढ़ाने और ग्राम पंचायत स्तर पर ई-गवर्नेंस को संस्थागत बनाने की पहल पर प्रकाश डाला गया।

जमीनी स्तर पर शासन पर राष्ट्रीय संगोष्ठी में देश के विभिन्न हिस्सों से लगभग 300 प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिसमें मंत्रालय की प्राथमिकताओं पर प्रकाश डाला गया, जिसमें क्षमता निर्माण के माध्यम से पंचायती राज संस्थाओं को मजबूत करना, उनके डिजिटल सशक्तिकरण के माध्यम से जमीनी स्तर पर शासन को मजबूत करना, कार्यशील पंचायत इंफ्रास्ट्रक्चर को सुनिश्चित करना और पर्याप्त मानव संसाधनों की सुविधा प्रदान करना शामिल है। .

विचार-विमर्श में ग्रामीण नागरिकों के जीवन को आसान बनाने और व्यापार करने में आसानी को आगे बढ़ाने में 2.50 लाख से अधिक ग्राम पंचायतों की केंद्रीय भूमिका पर जोर दिया गया। जैसा कि भारत आज राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस मना रहा है, मंत्रालय नीतिगत पहलों और रणनीतिक साझेदारियों के माध्यम से डिजिटल रूप से सशक्त जमीनी स्तर के शासन से जुड़े इकोसिस्टम को उत्प्रेरित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

इस अवसर पर, ‘भारत की विरासत’ विषय पर एक आकर्षक फोटो प्रदर्शनी के माध्यम से ग्रामीण भारत की सांस्कृतिक समृद्धि को प्रदर्शित किया गया, जिसका उद्देश्य राजस्व सृजन और ग्राम पंचायतों के विकास के लिए विरासत के इस्तेमाल पर चर्चा को प्रोत्साहित करना था।

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