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वर्ष 2035 तक अपना अंतरिक्ष स्टेशन बनाने और वर्ष 2040 तक चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्री भेजने की योजना: डॉ. जितेंद्र सिंह

आगामी मानव मिशन “गगनयान” के लिए कठोर प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे चार अंतरिक्ष यात्रियों में से एक, ग्रुप कैप्टन शुक्ला को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के मिशन में शामिल होने के लिए चुना गया है, जबकि अन्य मिशन की सफलता सुनिश्चित करने के लिए गहन तैयारी चरण में हैं।

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह बात आज लोकसभा में कही। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाएं नई ऊंचाइयों पर पहुंचने वाली हैं, साथ ही आगामी चंद्रयान-4 मिशन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी भी दी। यह मिशन, जिसमें कई उन्नत डॉकिंग प्रौद्योगिकी और चंद्र नमूना संग्रह शामिल होंगे, 2040 तक भारत के अपने स्वयं के अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना के लक्ष्य की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा।

चंद्रयान-4 और भारत के अंतरिक्ष मिशन पर चर्चा के लिए लोकसभा में अपने उत्तर की शुरुआत करते हुए, केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने सदन को बताया कि सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष में 300 से अधिक दिन बिताने के बाद आज सुबह 3.27 बजे पृथ्वी की सतह पर वापस आ गईं और इसके तुरंत बाद लगभग 4 बजे सोशल मीडिया पर हमलोगों का बधाई संदेश प्रसारित किया गया, जिसमें इसे “गौरव, गर्व और राहत का क्षण” बताया गया।

मंत्री महोदय ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा सुनीता विलियम्स को लिखे गए पत्र का उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने अपनी शुभकामनाएं व्यक्त की थीं तथा उन्हें भारत आने का निमंत्रण दिया था। उन्होंने यह भी स्‍मरण कराया कि जब सुनीता 2007 में पिछली बार भारत आई थीं, तब उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की थी, जो उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री थे।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं को मजबूत करने में चंद्रयान-4 के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “यह मिशन केवल चंद्रमा पर उतरने के बारे में नहीं होगा, बल्कि डॉकिंग और अनडॉकिंग प्रक्रियाओं में महारत हासिल करने के बारे में भी होगा, जो भविष्य के अंतरग्रहीय मिशनों और अंतरिक्ष स्टेशन संचालन के लिए एक प्रमुख आवश्यकता है।” मंत्री महोदय ने आगे कहा कि भारत का दीर्घकालिक उद्देश्य चंद्रमा पर एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री को भेजना है और चंद्रयान-4 उस ऐतिहासिक उपलब्धि का अग्रदूत है।

इस मिशन में दो प्रक्षेपण यान शामिल होंगे, जो कुल पांच मॉड्यूल को को ले जाएंगे। ये मॉड्यूल जटिल युक्‍तियां करेंगे, जिसमें चंद्रमा पर जाने से पहले पृथ्वी की कक्षा में डॉकिंग करना शामिल है। चंद्र की कक्षा में पहुंचने पर, मॉड्यूल अलग हो जाएंगे, अवरोही मॉड्यूल नमूना एकत्र करेगा, जबकि आरोही मॉड्यूल शेष मॉड्यूल के साथ डॉक करने के लिए वापस आएगा। वापसी मॉड्यूल फिर पृथ्वी पर वापस आ जाएगा, जिससे भविष्‍य के मानवयुक्‍त चंद्र अभियानों के लिए आवश्‍यक पहलुओं का परीक्षण किया जाएगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने शासन और विकास में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के व्यापक उपयोग पर भी बात की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अंतरिक्ष आधारित नवाचार अब शहरी नियोजन, आपदा प्रबंधन, स्वास्थ्य सेवा और कृषि में एकीकृत हो गए हैं और यह दर्शाता है कि अंतरिक्ष विज्ञान में भारत की प्रगति आम जनता को कैसे लाभान्वित कर रही है।

इसके अलावा, उन्होंने भारत के पहले मानव अंतरिक्ष यान मिशन, गगनयान के बारे में पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए पुष्टि की कि चयनित चार अंतरिक्ष यात्रियों को कठोर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जबकि एक अंतरिक्ष यात्री, ग्रुप कैप्टन शुक्ला को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए एक मिशन में भाग लेने के लिए चुना गया था और अन्य मिशन की सफलता सुनिश्चित करने के लिए गहन तैयारी के चरण में थे।

भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को वैश्विक मान्यता मिल चुकी है और चंद्रयान-4 के साथ देश का लक्ष्य इस दिशा एक और महत्वपूर्ण छलांग लगाना है। जैसे-जैसे यह मिशन आकार लेता जाएगा, उम्मीद है कि यह वैश्विक अंतरिक्ष दौड़ में भारत की स्थिति को और मजबूत करता जाएगा और भविष्य में गहण अंतरिक्ष अन्वेषण का मार्ग प्रशस्त करेगा।

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