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पीएम गतिशक्ति दक्षिणी जोन जिला स्तरीय क्षमता निर्माण कार्यशाला तिरुवनंतपुरम में आयोजित की गई

पीएम गतिशक्ति (पीएमजीएस) राष्ट्रीय मास्टर प्लान (एनएमपी) का शुभारंभ माननीय प्रधानमंत्री द्वारा 13 अक्टूबर, 2021 को किया गया था, ताकि स्वदेशी प्रौद्योगिकी का उपयोग करके एकीकृत मल्टीमोडल कनेक्टिविटी सुलभ कराई जा सके। इसकी रूपरेखा में केंद्र एवं राज्य दोनों ही स्तरों पर एक अंतर-मंत्रालय व्यवस्‍था, और इसके साथ ही जीआईएस-आधारित निर्णय सहायता प्रणाली भी शामिल है जिससे पूरे देश में अवसंरचना की योजना बनाने और विकास कार्य को काफी बढ़ावा मिल रहा है।

अपनी शुरुआत से लेकर अब तक ‘पीएमजीएस एनएमपी’ के तहत विभिन्न अवसंरचना एवं सामाजिक क्षेत्र मंत्रालयों और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की ओर से अनेक सफल उदाहरण देखने को मिले हैं जिसके तहत समग्र योजना बनाने के लिए ‘क्षेत्र विकास दृष्टिकोण’ को अपनाया गया है। प्रभावकारी आर्थिक एवं सामाजिक अवसंरचना योजना बनाने के लिए राज्य, केंद्र शासित प्रदेश, और जिला स्तरों पर व्यापक जानकारी की आवश्यकता होती है। स्थानीय चुनौतियों और प्राथमिकताओं की गहरी समझ रखने वाले जिला कलेक्टरों की नितांत आवश्यकता है, ताकि संबंधित आंकड़ों का सत्यापन किया जा सके और जिला स्तर पर पीएमजीएस की रूपरेखा को कार्यान्वित किया जा सके।

पीएमजीएस को जिला/स्थानीय स्तर पर ले जाने के प्रयासों के तहत ‘बीआईएसएजी-एन’ के तकनीकी सहयोग से लॉजिस्टिक्स प्रभाग सात अखिल भारतीय जिला स्तरीय कार्यशालाओं की एक श्रृंखला आयोजित कर रहा है जिसमें 100 से भी अधिक जिलों को कवर किया जा रहा है। जिला स्तरीय आउटरीच से देश भर में फील्‍ड स्तर पर आर्थिक और सामाजिक दोनों ही तरह की अवसंरचना के लिए क्षेत्र विकास योजना को काफी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

पहली जिला स्तरीय क्षमता निर्माण कार्यशाला 18 जनवरी 2024 को भोपाल (मध्य क्षेत्र- छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश) में आयोजित की गई थी। दूसरी कार्यशाला 9 फरवरी 2024 को पुणे (पश्चिमी क्षेत्र- महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान) में आयोजित की गई थी।

आज तीसरी जिला स्तरीय कार्यशाला तिरुवनंतपुरम (दक्षिणी क्षेत्र) में आयोजित की गई जिसमें केंद्रीय मंत्रालयों, एवं राज्य सरकारों के 175 से भी अधिक प्रतिभागियों और आंध्र प्रदेश, केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु और तेलंगाना के 14 जिलों के जिला स्तरीय अधिकारियों ने इस कार्यशाला में भाग लिया जिन्‍होंने नियोजन, उद्योग, शिक्षा, वन, जिला परिषद, आकांक्षी ब्लॉक, पंचायत, राजस्व, जल और भूमि सहित अवसंरचना और सामाजिक क्षेत्रों के विभागों का प्रतिनिधित्व किया। पुडुचेरी, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप के अधिकारियों ने भी वर्चुअल माध्यम से इस कार्यशाला में भाग लिया।

केरल सरकार के माननीय उद्योग, कॉयर, और कानून मंत्री पी. राजीव भी इसमें शामिल हुए और उन्‍होंने इस बात पर जोर दिया कि पीएमजीएस एनएमपी दरअसल भौगोलिक एवं स्थलाकृतिक बढ़त और सीमाओं को ध्यान में रखते हुए विकेंद्रीकृत योजना को संभव कर रहा है, जिसमें पोर्टल पर मैप किए गए भूमि रिकॉर्ड के डेटा सहित विभिन्न डेटासेट से व्‍यापक मदद मिल रही है। उन्होंने अनुरोध किया कि दक्षिणी राज्यों के राज्य विभागों और जिलों के अधिकारियों को बंदरगाहों एवं हवाई अड्डों पर मल्टीमोडल कनेक्टिविटी, इंटरनेट कनेक्टिविटी, प्रशिक्षण संस्थानों, आपदा से निपटने की तैयारियों, इत्‍यादि की योजना बनाने के लिए पोर्टल का लाभ उठाना चाहिए।

डीपीआईआईटी के सचिव राजेश कुमार सिंह ने अपने विशेष संबोधन में इस बात पर प्रकाश डाला कि पीएम गतिशक्ति एनएमपी पर भूस्खलन जोन, आबादी के स्‍वरूप, ऊंचाई, बाढ़ संभावित क्षेत्रों, स्कूलों, अस्पतालों, परिवहन नेटवर्कों, गोदामों, दूरसंचार नेटवर्कों, आपातकालीन लैंडिंग स्थलों और मिट्टी की स्थिति इत्‍यादि पर मैप किए गए डेटा आपदा प्रबंधन के लिए अत्‍यंत मूल्यवान हो सकते हैं। यह डेटा जिला अधिकारियों को आपात स्थिति के दौरान संपूर्ण जानकारी और डेटा के आधार पर सटीक निर्णय लेने में सक्षम करेगा। उन्होंने जिला अधिकारियों को डिस्ट्रिक्ट मैटर पोर्टल पर डेटा मैप करने के लिए प्रोत्साहित किया जिसके सितंबर 2024 के आखिर तक लॉन्च होने की उम्मीद है।

इस कार्यक्रम का उद्घाटन केरल के उद्योग विभाग के प्रधान सचिव एपीएम मोहम्मद हनीश, डीपीआईआईटी (लॉजिस्टिक्स) के संयुक्त सचिव सुरेंद्र कुमार अहिरवार और केरल राज्य औद्योगिक विकास निगम (केएसआईडीसी) के एमडी एस. हरिकिशोर ने अन्य अधिकारियों के साथ मिलकर किया। केरल के उद्योग विभाग के प्रधान सचिव ने इस बात पर प्रकाश डाला कि योजना बनाने के लिए ‘पीएमजीएस एनएमपी’ का उपयोग करने से सामाजिक क्षेत्र में विकास को काफी बढ़ावा मिल सकता है, आपदा से निपटने के लिए बेहतर तैयारी हो सकती है और इस क्षेत्र में मल्टीमोडल कनेक्टिविटी संभव हो सकती है। इसे हासिल करने के लिए जमीनी स्तर पर सक्रिय भागीदारी अत्‍यंत आवश्यक है, जिससे जिला कलेक्टरों की भूमिका उनके जिलों की अनूठी प्राथमिकताओं, चुनौतियों, और विशेषताओं की पहचान करने में काफी अहम हो जाती है और ऐसे में बे‍हतरीन तरीके से क्षेत्र विकास योजना बनाने के लिए जीआईएस पोर्टल का उपयोग किया जाता है। डीपीआईआईटी के संयुक्त सचिव ने पीएमजीएस एनएमपी के व्‍यापक पैमाने एवं दायरे को रेखांकित किया और जिला अधिकारियों को अवसंरचना और सामाजिक-आर्थिक योजना बनाने के लिए इस पोर्टल को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया।

इस कार्यशाला के दौरान (i) बीआईएसएजी-एन और विभिन्न अवसंरचना एवं सामाजिक क्षेत्र मंत्रालयों/विभागों [जैसे कि सड़क, राजमार्ग एवं परिवहन मंत्रालय; बंदरगाह, शिपिंग एवं जलमार्ग मंत्रालय (एमओपीएसडब्ल्यू), दूरसंचार मंत्रालय, स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग] द्वारा पीएमजीएस के सर्वोत्तम तौर-तरीकों और उदाहरणों को दर्शाया गया, (ii) पीएमजीएस एनएमपी के विशेष उदाहरण के रूप में विझिनजाम बंदरगाह को भी प्रस्तुत किया गया। पोर्टल और डेटा का लाभ उठाते हुए इस बंदरगाह से मल्टीमोडल कनेक्टिविटी, एवं समुद्री व्यापार को बढ़ाने, लॉजिस्टिक्‍स संबंधी बाधाओं को कम करने, और क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को काफी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। (iii) सहयोग और बेहतर योजना बनाना संभव करने के लिए पीएमजीएस की भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी और क्षेत्र विकास दृष्टिकोण को नीति आयोग के आकांक्षी जिला कार्यक्रम के साथ जोड़ा गया। (iv) अवसंरचना, सामाजिक और आर्थिक सुविधाओं की प्रभावकारी योजना बनाने में पीएमजीएस एनएमपी प्लेटफॉर्म की उपयोगिता और क्षेत्र-आधारित व्यापक योजना बनाने में जिला कलेक्टरों की भूमिका पर वि‍शेष जोर दिया गया।

इस कार्यशाला के दौरान तिरुवनंतपुरम और एर्नाकुलम (केरल), पार्वतीपुरम मन्यम, अल्लूरी सीतारमारजू और वाई.एस.आर कडप्पा (आंध्र प्रदेश), और आसिफाबाद, भूपालपल्ली और भद्राद्रि-कोथागुडेम (तेलंगाना) के जिला कलेक्टरों ने इस पोर्टल का उपयोग करके अवसंरचना और सामाजिक क्षेत्र के विकास के संभावित क्षेत्रों पर प्रकाश डाला। संभावित उपयोग के कुछ उदाहरणों में ये शामिल हैं: ए) शहर स्तर पर लॉजिस्टिक्‍स योजना के लिए स्मार्ट माल ढुलाई योजना बनाना, शहरों में बाढ़ से निपटने की तैयारी करना और इसके साथ ही एर्नाकुलम में यातायात व अपशिष्ट प्रबंधन करना, बी) विझिनजाम अंतर्राष्ट्रीय समुद्री बंदरगाह पर मल्टीमोडल कनेक्टिविटी की योजना बनाना और तिरुवनंतपुरम के तटीय और दूरदराज के इलाकों में सड़क कनेक्टिविटी की योजना बनाना, सी) प्रस्तावित राजमार्गों [चिलाकापलेम-रामभद्रपुरम-रायगडा रोड, कलिंगपट्टनम-श्रीकाकुलम-पार्वतीपुरम और गारा-अलकम-बाथिली रोड] का संरेखण और इस पोर्टल का उपयोग करके पार्वतीपुरम मन्यम में पर्यटक संबंधी गतिविधियां, डी) कुमुराम भीम आसिफाबाद में पर्यटन और सामाजिक अवसंरचना (स्कूल, आंगनवाड़ी केंद्र, पीएचसी, सीएचसी, स्वास्थ्य एवं वेलनेस केंद्र) की योजना बनाना, ई) वाईएसआर कडप्पा जिले में औद्योगिक केंद्रों के आसपास अवसंरचना कनेक्टिविटी की योजना बनाना। इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले अन्य जिलों में विरुद्धनगर, रामनाथपुरम (तमिलनाडु) और रायचूर, यादगीर (कर्नाटक) शामिल थे। जिला कलेक्टरों ने स्पष्ट किया कि कॉल-बिफोर-यू-डिग (सीबीयूडी) जैसे ऐप दरअसल ऑप्टिकल फाइबर केबल जैसी अंतर्निहित परिसंपत्तियों को होने वाले नुकसान को रोकने में काफी सहायक साबित हो रहे हैं, जो कि बेहद गलत तरीके से खुदाई और उत्खनन करने के कारण होता है।

प्रतिभागियों को पीएम गतिशक्ति के लाभों के बारे में जागरूक करने के लिए व्यावहारिक प्रशिक्षण भी दिया गया, जिसमें उपयुक्त बारहमासी सड़कों, बिजली, इंटरनेट, पेयजल आदि सुविधाओं से पूरी तरह जुड़े क्षेत्र विकास के उदाहरणों की पहचान करना शामिल था। यह कार्यशाला जिलों, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों के बीच व्यापक विचार-विमर्श और पारस्परिक सीख के लिए पीएम गतिशक्ति एनएमपी के संबंधि‍त हितधारकों को एक मंच पर लाने में एक प्रभावकारी माध्‍यम साबित हुई।

जिला स्तर पर पीएम गतिशक्ति को अपनाने के प्रभाव को और ज्‍यादा बढ़ाने के लिए डीपीआईआईटी के संयुक्त सचिव ने कहा कि बीआईएसएजी-एन के सहयोग से अलग-अलग जिला-स्तरीय पोर्टल (जिला मास्टर प्लान), जिला नोडल अधिकारियों के लॉग-इन क्रेडेंशियल बनाने, और जिला स्तरीय डेटा परतों के साथ एनएमपी/एसएमपी को समृद्ध करने, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के कार्य, आवश्‍यक साधनों का विकास, सटीक उदाहरणों का विकास संबंधित राज्य पीएम गतिशक्ति इकाइयों और उद्योग विभागों के माध्यम से किए जाएंगे। पीएम गतिशक्ति एनएमपी पर जिला मास्टर प्लान पोर्टल अलग-अलग नियोजन करने की समस्‍या को दूर करके, केंद्रीय और राज्य मंत्रालयों/विभागों के विशाल डेटा परतों को उपलब्ध कराते हुए जिला-स्तरीय परियोजना नियोजन को संभव करेगा जिससे नियोजन में एकीकृत और समग्र दृष्टिकोण को बढ़ावा मिलेगा।

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