प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में त्वरित न्याय की आवश्यकता पर जोर देते हुए शनिवार को कहा कि इससे महिलाओं में अपनी सुरक्षा को लेकर भरोसा बढ़ेगा। मोदी ने कहा कि न्यायपालिका को संविधान का संरक्षक माना जाता है और उच्चतम न्यायालय एवं न्यायपालिका ने इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाया है।
उन्होंने प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की उपस्थिति में जिला न्यायपालिका के राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि भारत के लोगों ने उच्चतम न्यायालय या न्यायपालिका के प्रति कभी कोई अविश्वास नहीं दिखाया। प्रधानमंत्री ने आपातकाल लागू किए जाने को एक ‘‘काला’’ दौर बताते हुए कहा कि न्यायपालिका ने मौलिक अधिकारों को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई।
प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों पर कहा कि न्यायपालिका ने राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखते हुए राष्ट्रीय अखंडता की रक्षा की है। कोलकाता में एक महिला चिकित्सक से बलात्कार एवं उसकी हत्या और ठाणे के एक स्कूल में दो बच्चियों के यौन उत्पीड़न के मामलों की पृष्ठभूमि में उन्होंने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अत्याचार और बच्चों की सुरक्षा समाज के लिए गंभीर चिंता का विषय हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के मामलों में जितनी तेजी से न्याय मिलेगा, आधी आबादी को अपनी सुरक्षा को लेकर उतना ही अधिक भरोसा होगा।’’ प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों से निपटने के लिए कई कड़े कानून हैं और त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए आपराधिक न्याय प्रणाली में बेहतर समन्वय सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।