पीएम मोदी ने दुनिया से युद्ध में नहीं बल्कि भगवान बुद्ध की शिक्षाओं में समाधान ढूंढने और शांति का मार्ग प्रशस्त करने की अपील की
पीएम नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि भाषा, साहित्य, कला और आध्यात्मिकता जैसे सांस्कृतिक स्तंभ किसी भी देश की पहचान बनाते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि आज जब देश विकास के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है, उसकी जड़ें आत्मसम्मान, आत्मविश्वास और स्वाभिमान से गहरी जुड़ी हुई हैं।
आज नई दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय अभिधम्म दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम ने भगवान बुद्ध की शिक्षाओं का उल्लेख किया। पीएम मोदी ने विश्व से अपील की कि समस्याओं का समाधान युद्ध में ढूंढने की बजाय भगवान बुद्ध की शिक्षाओं में ढूंढे जो शांति का मार्ग प्रशस्त करती हैं। पीएम मोदी ने कहा कि भगवान बुद्ध की शिक्षा से प्रेरणा लेकर देश के विकास में सकारात्मक परिवर्तन होंगे।
मैं आज अभिधम्म पर्व पर पूरे विश्व का आह्वान करता हूं। बुद्ध से सीखिए…युद्ध को दूर करिए, शांति का पथ प्रशस्त करिए, क्योंकि, बुद्ध कहते हैं- “नत्थि-संति-परम-सुखं”। अर्थात्, शांति से बड़ा कोई सुख नहीं है।
पाली भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के सरकार के निर्णय पर पीएम मोदी ने कहा कि भाषाएं केवल वार्तालाप का माध्यम नहीं है बल्कि सभ्यता और संस्कृति की आत्मा भी हैं।
इस वर्ष अभिधम्म दिवस के आयोजन के साथ एक ऐतिहासिक उपलब्धि भी जुड़ी है। भगवान बुद्ध के अभिधम्म, उनकी वाणी, उनकी शिक्षाएँ जिस पाली भाषा में ये विरासत विश्व को मिली हैं, इसी महीने भारत सरकार ने उसे शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया है। पाली भाषा को शास्त्रीय भाषा का ये दर्जा, पाली भाषा का ये सम्मान भगवान बुद्ध की महान विरासत का सम्मान है।
पीएम ने कहा कि धम्म संपूर्ण मानव जाति के लिए शांति का मार्ग है। उन्होंने कहा कि अभिधम्म दिवस हमें संदेश देता है कि दुनिया को बेहतर बनाने के लिए करुणा और सद्भावना मूल मंत्र है।
धम्म यानी, बुद्ध के संदेश, बुद्ध के सिद्धांत, धम्म यानी मानव के अस्तित्व से जुड़े सवालों का समाधान, धम्म यानी, मानव मात्र के लिए शांति का मार्ग, धम्म यानी, बुद्ध की सर्वकालिक शिक्षाएं और धम्म यानी समूची मानवता के कल्याण का अटल आश्वासन।
अभिधम्म दिवस के पावन अवसर पर पीएम ने सभी को और विशेष रूप से भगवान बुद्ध के अनुयायियों को शुभकामनाएं दी।