प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पाँच देशों की यात्रा के अंतिम चरण में आज नामीबिया की राजधानी विंडहोक पहुँचे। वे नामीबिया की राष्ट्रपति डॉ. नेतुम्बो नंदी-नदैतवा के निमंत्रण पर वहां गए हैं। यह प्रधानमंत्री मोदी की नामीबिया की पहली यात्रा है और लगभग तीन दशक के बाद भारत के किसी प्रधानमंत्री की नामीबिया की यह तीसरी यात्रा है। विंडहोक के होसिऊ कुताको अंतर्राष्ट्रीय हवाई अडडे पर उनका रस्मी स्वागत किया गया और उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।
भारत और नामीबिया के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता भारतीय समयानुसार दोपहर ढाई बजे स्टेट हाउस में होगी। ऊर्जा सुरक्षा, स्वास्थ्य सेवा और फार्मास्यूटिकल्स जैसे प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर केंद्रित कई समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है।
अपनी यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री नामीबिया के संस्थापक और प्रथम राष्ट्रपति, स्वर्गीय डॉ. सैम नुजोमा को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी को द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत करने में उनके योगदान के सम्मान में नामीबिया के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया जाएगा। बाद में, प्रधानमंत्री नामीबिया की संसद में भाषण देंगे।
यह यात्रा निश्चित रूप से भारत और नामीबिया के द्विपक्षीय संबंधों में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित होगी और बिल्कुल ही सही समय पर हो रही है। अगर हम दोनों देशों के बीच के द्विपक्षीय व्यापार की बात करें तो, वर्तमान में जो है छह सौ मिलियन डॉलर का व्यापार है, और जो भारत का निवेश है नामीबिया में वो आठ सौ मिलियन डॉलर के करीब है। लेकिन यह कुछ विशिष्ट क्षेत्रों तक ही सीमित है, इसलिए इसमें अपार संभावनाएँ हैं। भारतीय सार्वजनिक कंपनियाँ और निजी कंपनियाँ भी खनन, तेल, और नवीकरणीय ऊर्जा, दवा निर्माण में संयुक्त उद्यमों की संभावनाएँ तलाश रही हैं। इसलिए, निश्चित रूप से, यह यात्रा व्यापार के लिए अगर देखा जाए तो नए क्षेत्रों को खोल सकती है और जिससे भारत की उपस्थिति जो है नामीबिया में और मजबूत भी होगी।
भारत ने पिछले वर्षो में वैश्विक दक्षिण में खुद को अग्रणी के रूप में स्थापित किया है और अलग-अलग वैश्विक मंच पर भारत ने हमेशा से ही दक्षिण देशों की चिंताओं को लेकर आवाज उठाई है। अपनी जी-20 अध्यक्षता के दौरान अफ्रीकी संघ के G20 में प्रवेश की भी वकालत की थी, तो हाँ, प्रधानमंत्री जी की जो ये नामीबिया यात्रा है ये विकासशील देशों के उत्थान के लिए और उनके साथ जुड़ाव के लिए विशेष रूप से अफ्रीकीन देशों की अगर हम बात करें तो उनमें क्षमता निर्माण और डिजिटल एवं स्वास्थ्य सुविधाओं के विकास के प्रति जो भारत की प्रतिबद्धता है उसको और मजबूत करेगी। इस यात्रा में UPI को अपनाने से लेकर जन औषधि योजना जैसे स्वास्थ्य क्षेत्र में सहयोग और कौशल विकास के मुद्दों पर चर्चा होगी, जिससे भारत को अफ्रीका में एक अच्छी विकास साझेदारी बनाने में मदद होगी और नामीबिया जैसे संसाधन संपन्न देश से भारत को अपनी ऊर्जा की ज़रूरियातों को भी पूरा करने में मदद मिलेगी।