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PM Modi today chaired a meeting on measures to further strengthen the fisheries sector
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प्रधानमंत्री मोदी ने आज मत्स्य पालन क्षेत्र को और मजबूत बनाने के उपायों पर आयोजित एक बैठक की अध्यक्षता की

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज लोक कल्याण मार्ग स्थित अपने आवास पर मत्स्य पालन क्षेत्र की प्रगति की समीक्षा के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) और क्षेत्रीय जल से बाहर के समुद्र में मत्स्य पालन पर ध्यान केन्द्रित किया गया।

प्रधानमंत्री ने मछली संसाधनों के बेहतर उपयोग और मछुआरों को सुरक्षा निर्देश देने के लिए उपग्रह प्रौद्योगिकी के व्यापक उपयोग पर जोर दिया।

प्रधानमंत्री ने स्मार्ट बंदरगाहों और बाजारों के माध्यम से इस क्षेत्र के आधुनिकीकरण, पकड़ी गई मछलियों के परिवहन और उसके विपणन में ड्रोन के उपयोग पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आपूर्ति श्रृंखला में मूल्य जोड़ने के लिए कामकाज की एक स्वस्थ प्रणाली की ओर बढ़ने की आवश्यकता है।

इसके अलावा, प्रधानमंत्री ने नागरिक उड्डयन के परामर्श से उत्पादन केन्द्रों से शहरों/कस्बों में बड़े नजदीकी बाजारों तक ताजी मछली ले जाने के लिए तकनीकी प्रोटोकॉल के अनुसार ड्रोन के उपयोग की खोज करने का सुझाव दिया।

प्रधानमंत्री ने उत्पादन के प्रसंस्करण और पैकेजिंग में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया। निजी क्षेत्र से निवेश को सुविधाजनक बनाने पर भी चर्चा की गई।

प्रौद्योगिकी के उपयोग के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि कृषि क्षेत्र में एग्रो टेक की तरह ही मत्स्य पालन क्षेत्र में भी मछली प्रौद्योगिकी को अपनाया जाना चाहिए ताकि उत्पादन, प्रसंस्करण और विपणन की कार्य प्रणालियों में सुधार हो सके।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अमृत सरोवरों में मत्स्य उत्पादन से न केवल इन जल निकायों की जीविका में सुधार होगा, बल्कि मछुआरों की आजीविका में भी सुधार होगा। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि आय सृजन के एक अवसर के रूप में सजावटी मत्स्य पालन को भी बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भूमि से घिरे क्षेत्रों की जरूरतों को पूरा करने के लिए एक रणनीति तैयार की जानी चाहिए, जहां मछली की मांग अधिक है, लेकिन आपूर्ति पर्याप्त नहीं है।

प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया कि समुद्री शैवाल का उपयोग ईंधन के लिए, पोषण संबंधी इनपुट के रूप में, फार्मास्यूटिकल्स और अन्य क्षेत्रों में किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी संबंधित विभागों को मिलकर काम करना चाहिए और समुद्री शैवाल क्षेत्र में आवश्यक आउटपुट और परिणाम बनाने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करना चाहिए, जिससे पूर्ण स्वामित्व सुनिश्चित हो सके।

प्रधानमंत्री ने मछुआरों को मछली पकड़ने की आधुनिक पद्धतियों में सक्षम बनाने का सुझाव दिया। उन्होंने इस क्षेत्र के विकास में बाधा डालने वाली वस्तुओं की एक नकारात्मक सूची बनाए रखने का भी सुझाव दिया, ताकि इनसे निपटने के लिए कार्ययोजना बनाई जा सके और मछुआरों के लिए व्यापार करने में आसानी और जीवनयापन में आसानी को बढ़ाया जा सके।

बैठक के दौरान, महत्वपूर्ण पहलों में हुई प्रगति, पिछली समीक्षा के दौरान दिए गए सुझावों के अनुपालन तथा भारतीय विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) और क्षेत्रीय जल से बाहर के समुद्रों से निरंतर मत्स्य पालन के लिए प्रस्तावित सक्षम ढांचे पर एक प्रस्तुति भी दी गई।

सरकार ने 2015 से विभिन्न सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों जैसे कि नीली क्रांति योजना, मत्स्य पालन और जलीय कृषि अवसंरचना विकास निधि (एफआईडीएफ), प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई), प्रधानमंत्री मत्स्य समृद्धि योजना (पीएम-एमकेएसएसवाई) और किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के माध्यम से निवेश को बढ़ाकर 38,572 करोड़ रुपये कर दिया है। भारत ने 2024-25 में 9 प्रतिशत से अधिक की क्षेत्रीय वृद्धि दर के साथ 195 लाख टन का वार्षिक मछली उत्पादन दर्ज किया है।

बैठक में केन्द्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ​​ललन सिंह, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी.के. मिश्रा, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव-2 शक्तिकांत दास, प्रधानमंत्री के सलाहकार अमित खरे, मत्स्यपालन विभाग के सचिव और वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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