भारत

प्रधानमंत्री मोदी ने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर सरदार वल्लभभाई पटेल को श्रद्धांजलि अर्पित की, राष्ट्रीय एकता दिवस समारोह में हिस्सा लिया

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज गुजरात के केवड़िया में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर राष्ट्रीय एकता दिवस समारोह में हिस्सा लिया और सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती पर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की। प्रधानमंत्री मोदी ने एकता दिवस की शपथ भी दिलाई और राष्ट्रीय एकता दिवस के अवसर पर एकता दिवस परेड भी देखी। राष्ट्रीय एकता दिवस हर साल 31 अक्टूबर को सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।

प्रधानमंत्री ने कहा, “सरदार साहब के ओजस्वी शब्द…स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के पास यह कार्यक्रम…एकता नगर का यह मनोरम दृश्य…यहां आयोजित अद्भुत प्रदर्शन…मिनी इंडिया की यह झलक…सब कुछ इतना अद्भुत है…यह प्रेरित करने वाला है।” प्रधानमंत्री ने सभी देशवासियों को राष्ट्रीय एकता दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि 15 अगस्त और 26 जनवरी की तरह ही 31 अक्टूबर को यह आयोजन पूरे देश को नई ऊर्जा से भर देता है।

प्रधानमंत्री ने दीपावली के मौके पर देश और दुनिया में रहने वाले सभी भारतीयों को अपनी शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि इस बार राष्ट्रीय एकता दिवस, दीपावली के साथ-साथ एकता के इस उत्सव को मनाने का अद्भुत संयोग लेकर आया है। उन्होंने कहा, “दीपावली, दीपों के माध्यम से पूरे देश को जोड़ती है, पूरे देश को प्रकाशित करती है और अब दीपावली का उत्सव भारत को दुनिया से भी जोड़ रहा है।”

प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि इस वर्ष का एकता दिवस और भी विशेष है क्योंकि आज से सरदार पटेल की 150वीं जयंती का वर्ष शुरू हो रहा है। अगले 2 वर्षों तक देश सरदार पटेल की 150वीं जयंती मनाएगा। यह भारत के लिए उनके असाधारण योगदान के प्रति देश की श्रद्धांजलि है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि दो वर्षों का यह उत्सव एक भारत, श्रेष्ठ भारत के हमारे संकल्प को और मजबूत करेगा। उन्होंने कहा कि यह अवसर हमें सिखाएगा, जो कार्य असंभव लगते हैं कड़ी मेहनत और लगन से वे संभव किए जा सकते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात को रेखांकित किया कि कैसे छत्रपति शिवाजी महाराज ने आक्रमणकारियों को खदेड़ने के लिए सभी को एकजुट किया। महाराष्ट्र का रायगढ़ किला आज भी वह कहानी कहता है। उन्होंने कहा कि रायगढ़ किला सामाजिक न्याय, देशभक्ति और राष्ट्र प्रथम के मूल्यों की पावन भूमि रही है। प्रधानमंत्री ने कहा, “छत्रपति शिवाजी महाराज ने रायगढ़ किले में राष्ट्र के विभिन्न विचारों को एक उद्देश्य के लिए एकजुट किया था। आज यहां एकता नगर में, हम रायगढ़ के उस ऐतिहासिक किले की छवि देख रहे हैं… आज इस पृष्ठभूमि में हम एक विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि के लिए यहां एकजुट हुए हैं।”

प्रधानमंत्री मोदी ने दोहराया कि पिछले एक दशक में भारत ने एकता और अखंडता को मजबूत करने में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं। यह प्रतिबद्धता विभिन्न सरकारी प्रयासों में स्पष्ट है, जिसका उदाहरण एकता नगर और स्टैच्यू ऑफ यूनिटी है। यह स्मारक न केवल नाम से बल्कि अपने निर्माण में भी एकता का प्रतीक है क्योंकि इसे देश भर के गांवों से एकत्र किए गए लोहे और मिट्टी से बनाया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि एकता नगर में एकता नर्सरी, हर महाद्वीप की वनस्पतियों वाला विश्व वन, देशभर के स्वस्थ खाद्य पदार्थों को बढ़ावा देने वाला चिल्ड्रन न्यूट्रिशन पार्क, विभिन्न क्षेत्रों से आयुर्वेद को उजागर करने वाला आरोग्य वन और एकता मॉल है, जहां देश भर के हस्तशिल्प को एक साथ प्रदर्शित किया जाता है।

प्रधानमंत्री ने आह्वान किया कि एक सच्चे भारतीय होने के नाते हम सभी का यह कर्तव्य है कि हम देश की एकता की दिशा में किए गए हर प्रयास का जश्न मनाएं। उन्होंने रेखांकित किया कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत मराठी, बंगाली, असमिया, पाली और प्राकृत को शास्त्रीय दर्जा देने का सभी ने स्वागत किया है और यह राष्ट्रीय एकता को मजबूत करता है। भाषा के साथ-साथ, जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर में रेल नेटवर्क का विस्तार, लक्षद्वीप और अंडमान-निकोबार तक हाई-स्पीड इंटरनेट की पहुंच और पहाड़ी क्षेत्रों में मोबाइल नेटवर्क जैसी कनेक्टिविटी परियोजनाएं ग्रामीण और शहरी विभाजन को पाट रही हैं। यह आधुनिक बुनियादी ढांचा सुनिश्चित करता है कि कोई भी क्षेत्र पीछे न छूटे, जिससे पूरे भारत में एकता की भावना मजबूत हो।

प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा, “पूज्य बापू कहा करते थे कि विविधता में एकता के साथ रहने की हमारी क्षमता को लगातार कसौटी पर परखा जाएगा और हमें हर कीमत पर इस परीक्षा में सफल होना है।” प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में भारत विविधता में एकता के साथ रहने के हर प्रयास में सफल रहा है। सरकार ने अपनी नीतियों और निर्णयों में एक भारत, श्रेष्ठ भारत की भावना को लगातार मजबूत किया है। प्रधानमंत्री ने आधार कार्ड के माध्यम से “एक राष्ट्र, एक पहचान” और जीएसटी और राष्ट्रीय राशन कार्ड जैसे “एक राष्ट्र” मॉडल स्थापित करने के अतिरिक्त प्रयासों सहित अन्य सरकारी प्रयासों की सराहना की, जिससे एक अधिक एकीकृत प्रणाली बनाई गई है, जो सभी राज्यों को एक ही ढांचे के तहत जोड़ती है एकता के हमारे प्रयासों के हिस्से के रूप में, हम अब एक राष्ट्र, एक चुनाव, एक राष्ट्र, एक नागरिक संहिता, यानी धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता पर काम कर रहे हैं।”

प्रधानमंत्री ने दस वर्षों के सुशासन पर विचार करते हुए जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को समाप्त करने को एक ऐतिहासिक उपलब्धि बताया। उन्होंने कहा, “पहली बार जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री ने भारतीय संविधान के तहत शपथ ली,” जो भारत की एकता के लिए एक प्रमुख उपलब्धि है। उन्होंने अलगाववाद और आतंकवाद को नकारने और भारत के संविधान और लोकतंत्र के साथ खड़े होने के लिए जम्मू-कश्मीर के लोगों की देशभक्ति की भावना की प्रशंसा की।

प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय सुरक्षा और सामाजिक सद्भाव से जुड़े अन्य मुद्दों के समाधान के लिए किए गए प्रयासों की जानकारी दी और पूर्वोत्तर में लंबे समय से जारी संघर्ष को सुलझाने में हासिल की गई प्रगति का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि किस प्रकार बोडो समझौते ने असम में 50 साल के संघर्ष को समाप्त कर दिया है। उन्होंने नक्सलवाद के असर को कम करने में मिली सफलता का उल्लेख करते हुए कहा, “भारत की एकता और अखंडता के लिए एक बड़ी चुनौती” के रूप में उभरा नक्सवाद सरकार के निरंतर प्रयासों के कारण अंतिम सांस ले रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज के भारत के पास दूरदृष्टि, दिशा और दृढ़ संकल्प है। यह एक ऐसा भारत जो मजबूत, समावेशी, संवेदनशील, सतर्क, विनम्र और विकास के पथ पर भी अग्रसर है। यह शक्ति और शांति दोनों के महत्व को समझता है। प्रधानमंत्री ने वैश्विक अशांति के बीच भारत के तेजी से विकास की सराहना की, जिसने भारत को सामर्थ्यवान बनाए रखते हुए शांति के प्रतीक के रूप में स्थापित किया। दुनिया के विभिन्न हिस्सों में जारी संघर्षों को लेकर उन्होंने कहा, “भारत एक वैश्विक मित्र के रूप में उभर रहा है।” उन्होंने एकता और सतर्कता के महत्व को भी रेखांकित करते हुए कहा कि कुछ ताकतें भारत की प्रगति से परेशान हैं और भारत के आर्थिक हितों को नुकसान पहुंचाने और विभाजन के बीज बोने का लक्ष्य रखती हैं। उन्होंने भारतीयों से इन विभाजनकारी तत्वों को पहचानने और राष्ट्रीय एकता की रक्षा करने का आग्रह किया।

प्रधानमंत्री ने अपने भाषण की समाप्ति में सरदार पटेल को उद्धृत करते हुए देशवासियों से एकता के लिए प्रतिबद्ध रहने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, ” हमें यह याद रखना है कि भारत विविधता का देश है और विविधता को बनाए रखते हुए एकता की भावना को मजबूत किया जा सकता है। एकता के दृष्टिकोण से अगले 25 वर्ष काफी महत्वपूर्ण हैं और इसलिए हमें एकता के अपने इस मंत्र को कमजोर नहीं होने देना चाहिए। उन्होंने कहा, “यह तीव्र आर्थिक विकास के लिए आवश्यक है। यह सामाजिक सद्भाव के लिए आवश्यक है। यह सच्चे सामाजिक न्याय, नौकरियों और निवेश के लिए आवश्यक है।” प्रधानमंत्री ने प्रत्येक नागरिक से भारत के सामाजिक सद्भाव, आर्थिक विकास और एकता के प्रति प्रतिबद्धता को मजबूत करने में शामिल होने का आह्वान किया।

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