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Pradhan Mantri Mudra Yojana completes ten years; Prime Minister Narendra Modi will interact with beneficiaries today
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प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के दस वर्ष पूरे; प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने लाभार्थियों के साथ बातचीत की

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज नई दिल्ली में मुद्रा योजना के 10 वर्ष पूरे होने पर योजना के लाभार्थियों से बातचीत की। इस प्रमुख योजना के अप्रैल 2015 में शुरू होने के बाद आज दस साल पूरे हो गए हैं।

प्रधानमंत्री ने लाभार्थियों को बधाई दी और बताया कि यह योजना किस तरह से लोगों के जीवन को बदलने में मदद कर रही है। उनके सपनों को हकीकत में बदलने में सहायक रही है। उन्होंने कहा कि यह पहल उन लोगों को सशक्त बना रही है जिन्हें पहले नजरअंदाज किया जाता था। उन्‍होंने यह भी कहा कि भारत के लोगों के लिए कुछ भी असंभव नहीं है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मुद्रा योजना को इसलिए शुरू किया गया था ताकि अनगिनत व्यक्तियों को वित्तीय सहायता मिल सके और वे अपनी उद्यमिता कौशल को प्रदर्शित कर सकें। उन्होंने कहा कि यह योजना देश के युवाओं को सशक्त बनाने का लक्ष्य रखती है। वे आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी बन सकें और केवल नौकरी की तलाश करने वाले न बनकर नौकरी देने वाले बन सकें।

प्रधानमंत्री ने बताया कि मुद्रा ऋण के 70 प्रतिशत लाभार्थी महिलाएं हैं, और लगभग आधे लाभार्थी अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्ग के हैं। उन्होंने प्रत्येक मुद्रा ऋण को गरिमा, आत्म-सम्मान और अवसर का प्रतीक बताया।

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि सरकार क्रेडिट पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करना जारी रखेगी ताकि हर इच्छाशक्ति वाले उद्यमी को विकास के अवसर मिल सकें। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि यह योजना न केवल वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देती है बल्कि जमीनी स्‍तर पर भी यह सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण भी करती है।

बातचीत के दौरान, लाभार्थियों ने प्रधानमंत्री से अपनी उद्यमिता अनुभव साझा किए। रायबरेली की एक लाभार्थी ने कहा कि इस योजना ने पूरी तरह से उसके जीवन को बदल दिया। भोपाल के एक लाभार्थी ने बताया कि इस योजना ने उसे अपना काम छोड़कर एक व्यवसाय शुरू करने का आत्मविश्वास दिया।

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के अंतर्गत अब तक 32 लाख करोड़ रुपये से अधिक के 52 करोड़ से ज्‍यादा ऋण स्वीकृत किए जा चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2015 में इस योजना को गैर-कॉर्पोरेट, गैर-कृषि, लघु और सूक्ष्म उद्यमों को दस लाख रुपये तक के जमानत-मुक्त ऋण प्रदान करने के लिए शुरू किया था। इसका उद्देश्य वित्तीय समावेशन को सुविधाजनक बनाना और उद्यमियों को सशक्त बनाना है।

2015 में शुरू हुई मुद्रा योजना ने आज 10 वर्ष पूरे कर लिए हैं। इस योजना के अंतर्गत तीन तरह के ऋण दिए जाते हैं। इसमें शिशु जिसमें ₹50000 तक का ऋण, किशोर के लिए ₹500000 और तरुण के लिए 10 लाख रुपए तक का ऋण शामिल है। मुद्रा योजना में लगभग 70 फ़ीसदी मुद्रा ऋण महिला उद्यमियों ने लिए हैं, जिससे उनकी वित्तीय स्वतंत्रता बढ़ी है और लैंगिक समानता में योगदान मिला है। इस योजना ने हाशिये पर पड़े समूहों को भी उद्यमिता के जरिए अपनी आजीविका चलाने में सक्षम बनाकर उनमें आत्मनिर्भरता की भावना को बढ़ावा दिया है। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के उद्यमियों को लगभग 50 फ़ीसदी से ज्यादा ऋण मिले हैं।

मुद्रा योजना को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहना मिली है, और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भारत में समावेशी उद्यमिता को बढ़ावा देने में इसकी भूमिका को मान्यता दी है।

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