राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज नई दिल्ली में 8वें भारत जल सप्ताह का उद्घाटन किया। इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि जल संकट से जूझ रहे लोगों की संख्या को कम करने का लक्ष्य पूरी मानवता के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। सतत विकास लक्ष्यों के तहत जल और स्वच्छता प्रबंधन में सुधार के लिए स्थानीय समुदायों की भागीदारी को समर्थन देने और मजबूत करने पर जोर दिया गया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि प्राचीन काल से ही सभी को जल उपलब्ध कराने की व्यवस्था हमारे देश की प्राथमिकता रही है। लद्दाख से लेकर केरल तक हमारे देश में जल संरक्षण और प्रबंधन की प्रभावी व्यवस्थाएं मौजूद थीं। ब्रिटिश शासन के दौरान ऐसी व्यवस्थाएं धीरे-धीरे लुप्त हो गईं। हमारी व्यवस्थाएं प्रकृति के साथ सामंजस्य पर आधारित थीं। प्रकृति को नियंत्रित करने विचार के आधार पर विकसित की गई व्यवस्थाओं पर अब पूरी दुनिया में पुनर्विचार हो रहा है। जल संसाधन प्रबंधन के विभिन्न प्रकार के कई प्राचीन उदाहरण पूरे देश में आज भी उपलब्ध और प्रासंगिक हैं। हमारी प्राचीन जल प्रबंधन प्रणालियों पर शोध किया जाना चाहिए और आधुनिक संदर्भ में उनका व्यावहारिक उपयोग किया जाना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि कुएं, तालाब जैसे जलस्रोत सदियों से हमारे समाज के लिए जल बैंक की तरह रहे हैं। हम बैंक में पैसा जमा करते हैं, उसके बाद ही बैंक से पैसा निकालकर उसका उपयोग कर सकते हैं। यही बात पानी पर भी लागू होती है। लोग पहले पानी का भंडारण करेंगे, तभी वे पानी का उपयोग कर पाएंगे। जो लोग पैसे का दुरुपयोग करते हैं, वे समृद्धि से गरीबी की ओर चले जाते हैं। इसी तरह, वर्षा वाले क्षेत्रों में भी पानी की कमी देखी जाती है। जो लोग सीमित आय का समझदारी से उपयोग करते हैं, वे अपने जीवन में वित्तीय संकटों से सुरक्षित रहते हैं। इसी तरह, कम वर्षा वाले क्षेत्रों में पानी का भंडारण करने वाले गांव जल संकट से सुरक्षित रहते हैं। राजस्थान और गुजरात के कई इलाकों में ग्रामीणों ने अपने प्रयासों और जल भंडारण के प्रभावी तरीकों को अपनाकर पानी की कमी से छुटकारा पाया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि पृथ्वी पर उपलब्ध कुल जल का मात्र 2.5 प्रतिशत ही मीठा जल है। उसमें से भी मात्र एक प्रतिशत ही मानव उपयोग के लिए उपलब्ध है। विश्व के जल संसाधनों में भारत की हिस्सेदारी चार प्रतिशत की है। हमारे देश में उपलब्ध जल का लगभग 80 प्रतिशत कृषि क्षेत्र में उपयोग किया जाता है। कृषि के अलावा बिजली उत्पादन, उद्योग और घरेलू जरूरतों के लिए जल की उपलब्धता आवश्यक है। जल संसाधन सीमित हैं। जल के कुशल उपयोग से ही सभी को जल की आपूर्ति संभव है।
राष्ट्रपति ने कहा कि वर्ष 2021 में सरकार ने ‘कैच द रेन – व्हेयर इट फॉल्स व्हेन इट फॉल्स’ के संदेश के साथ एक अभियान शुरू किया है। इस अभियान का उद्देश्य जल संरक्षण, वर्षा जल संचयन और जल प्रबंधन के अन्य महत्वपूर्ण लक्ष्यों को प्राप्त करना है। वन संपदा बढ़ाने से जल प्रबंधन में भी मदद मिलती है। जल संरक्षण और प्रबंधन में बच्चों की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। वे अपने परिवार और आस-पड़ोस को जागरूक कर सकते हैं और स्वयं भी पानी का समुचित उपयोग कर सकते हैं। जल शक्ति प्रयासों को एक जन आंदोलन में बदलना होगा; सभी नागरिकों को जल-योद्धा की भूमिका निभानी होगी।
राष्ट्रपति ने कहा कि ‘भारत जल सप्ताह-2024’ का लक्ष्य समावेशी जल विकास और प्रबंधन है। उन्होंने इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए साझेदारी और सहयोग का सही माध्यम चुनने के लिए जल शक्ति मंत्रालय की सराहना की।