राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज ओडिशा के भुवनेश्वर के निकट हरिदमदा गांव में ब्रह्माकुमारी के दिव्य रिट्रीट सेंटर का उद्घाटन किया। उन्होंने ब्रह्माकुमारी के राष्ट्रीय अभियान ‘स्थायित्व के लिए जीवनशैली’ का भी शुभारंभ किया।
इस अवसर पर अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि प्रकृति मां के पास भरपूर संपदा है। जंगल, पहाड़, नदियां, झीलें, समुद्र, बारिश, हवा- ये सभी जीवों के जीवित रहने के लिए अनिवार्य हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि मनुष्य को यह याद रखना चाहिए कि प्रकृति में प्रचुरता उसकी जरूरतों के लिए है, उसके लालच के लिए नहीं। उन्होंने यह भी कहा कि मनुष्य अपने भोग-विलास के लिए प्रकृति का दोहन कर रहा है और ऐसा करके प्रकृति के प्रकोप का शिकार हो रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करना और प्रकृति के अनुकूल जीवन जीना समय की मांग है।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय संस्कृति ने हमेशा प्रकृति के अनुकूल जीवनशैली पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि हमारे दर्शन में धरती को माता और आकाश को पिता कहा गया है। राष्ट्रपति मुर्मु ने यह भी बताया कि नदी को भी माता की उपाधि दी गई है। उन्होंने कहा कि जल को जीवन कहा गया है और हम वर्षा को भगवान इंद्र और समुद्र को भगवान वरुण के रूप में पूजते हैं। उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं, हमारी कहानियों में पहाड़ और पेड़ हिलते हैं और जानवर भी आपस में बातें करते हैं। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि इसका मतलब यह है कि प्रकृति जड़ नहीं है, उसके भीतर भी चेतना की शक्ति है और ये सभी प्रकृति के संरक्षण के लिए भारतीय दार्शनिकों के सुंदर विचार हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग और मौसम की अनिश्चितता आज दुनिया के सामने बड़ी चुनौतियां हैं। उन्होंने कहा कि बाढ़, भूस्खलन, हिमस्खलन, भूकंप, जंगल की आग और सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाएं अब कभी-कभार होने वाली घटनाएं नहीं रह गई हैं। अब ये लगातार होने वाली घटनाएं बन गई हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे दैनिक जीवन में छोटे-छोटे बदलाव समाज में बड़े बदलाव का मार्ग प्रशस्त करते हैं। श्रीमती मुर्मु ने कहा कि हमें प्राकृतिक संसाधनों का न्यूनतम उपयोग सुनिश्चित करने के लिए अपनी आदतों को बदलना होगा। राष्ट्रपति ने कहा कि अक्सर नल खुले रहने से पीने का पानी बर्बाद हो जाता है। उन्होंने ध्यान दिलाते हुए कहा कि दिन में भी लाइट जलती रहती है और इसी तरह घर हो या ऑफिस, हम पंखे या लाइट बंद करने पर ध्यान नहीं देते। राष्ट्रपति ने कहा कि प्लेट में कुछ खाना छोड़ देने की आदत से हम अभी तक मुक्त नहीं हो पाए हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रकृति के अनुकूल जीवनशैली पर सिर्फ चर्चा करना ही काफी नहीं है, हमें इसे अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाना होगा। उन्होंने सभी से प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित करने की आदत डालने का आग्रह किया।
राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय अभियान ‘स्थायित्व के लिए जीवनशैली’ से जुड़े सभी लोगों की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह लोगों को प्रकृति से जोड़ने की दिशा में एक सराहनीय कदम है। उन्होंने यह भी कहा कि यह अभियान सिर्फ बैठकों, समितियों या सम्मेलनों तक सीमित नहीं रहना चाहिए। उन्होंने अभियान से जुड़े सभी लोगों से देश के अलग-अलग हिस्सों में जाकर लोगों, खासकर ग्रामीण लोगों को पर्यावरण के बारे में जागरूक करने का आग्रह किया।
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